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पंजीकृत गोशाला की भूमि का गोशाला, सोसायटी, ट्रस्ट के किसी भी सदस्य द्वारा व्यक्तिगत कार्यों और व्यावसायिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकेगा उपयोग
गौ सेवा आयोग व पशुपालन विभाग के नियम व शर्तों की करनी होगी अनुपालना
Bilkul Sateek News
चंडीगढ़, 5 मई। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य में नई गोशाला के लिए भूमि की खरीद या बिक्री के लिए डीड दस्तावेजों पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क को माफ करने को स्वीकृति प्रदान की गई।
गौरतलब होगा कि वर्ष 2019 में पंजीकृत गोशाला, ट्रस्ट सोसायटी के पक्ष में निष्पादित भूमि की खरीद या दान की गई जमीन पर स्टाम्प डयूटी को 5 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत कर दिया गया था।
गोसेवा आयोग पंचकूला के अनुरोध पर मुख्यमंत्री ने 7 अगस्त 2024 को पंजीकृत गोशाला की जमीन के लिए स्टाम्प डयूटी को माफ करने की घोषणा की थी, जिसे आज मंत्रिमण्डल की बैठक में मंजूरी दी गई।
अब गो-सेवा के हित में नई गोशाला के लिए पंजीकृत गोशाला, ट्रस्ट सोसायटी के पक्ष में निष्पादित भूमि की खरीद या दान के दस्तावेज पर अनुसूची 1-ए के अनुच्छेद 23 (ए) और 33 के तहत प्रभार्य स्टाम्प ड्यूटी निम्नलिखित शर्तों के साथ माफ कर दी जाएगी अर्थात पंजीकृत गोशाला, सोसायटी, ट्रस्ट गोशाला, सोसायटी, ट्रस्ट के किसी भी सदस्य के व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से काम नहीं करेगा। पंजीकृत गोशाला, सोसायटी, ट्रस्ट अपना काम ऐसे नियमों और शर्तों के अनुसार करेंगे, जो हरियाणा गो सेवा आयोग या पशुपालन विभाग, हरियाणा द्वारा लगाए जा सकते हैं।
पंजीकृत गोशाला की भूमि का उपयोग गोशाला, सोसायटी, ट्रस्ट के किसी भी सदस्य द्वारा व्यक्तिगत कार्यों और व्यावसायिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जाएगा। इसलिए, यह निर्णय लिया गया है कि नई गोशाला के लिए पंजीकृत गोशाला, ट्रस्ट और सोसायटी के पक्ष में निष्पादित भूमि की खरीद या उपहार के दस्तावेज पर लगने वाली पूरी स्टाम्प ड्यूटी माफ कर दी जाए।
नगर निकायों में लेखा प्रणाली प्रबंधन में ब्रिटिश काल से चली आ रही 1930 संहिता को निरस्त करने की मंजूरी
साथ ही नई नगरपालिका लेखा संहिता 2025 को किया अधिसूचित
मंत्रिमंडल की बैठक में निकायों में लेखा प्रणाली प्रबंधन में ब्रिटिश काल से चली आ रही मौजूदा नगरपालिका लेखा संहिता 1930 को निरस्त करने तथा राज्य की सभी निकायों में कार्यान्वयन के लिए हरियाणा नगर पालिका लेखा संहिता, 2025 (भाग-I और II) की अधिसूचना को स्वीकृति प्रदान की गई, जिसका उद्देश्य हरियाणा में नगर निकायों की लेखा प्रणाली में पारदर्शिता लाना है। सदियों पुरानी नगरपालिका लेखा संहिता 1930, रूपान्तरणीय परिवर्तनों से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने में असमर्थ थी। इसके अतिरिक्त, तकनीकी प्रगति के कारण भी नगरपालिका खाता कोड के प्रावधान अप्रचलित और अनावश्यक हो गए थे।
नगरपालिका खाता संहिता 1930 जो लगभग एक सदी से प्रभावी है, में सटीक और पारदर्शी नगरपालिका खातों को बनाए रखने में कई खामियां थी। इसके विपरीत नए अनुमोदित हरियाणा नगरपालिका खाता संहिता 2025 एक उपार्जन-आधारित दोहरी प्रविष्टि लेखा प्रणाली है, जिसका उद्देश्य शहरी स्थानीय निकायों में वित्तीय प्रबंधन प्रथाओं का आधुनिकीकरण और मानकीकरण करना है।
हरियाणा नगरपालिका लेखा संहिता 2025, देश भर में प्रत्येक सरकारी संगठन द्वारा अपनाई जाने वाली वर्तमान लेखा प्रणाली के अनुकूल है। नई संहिता न केवल हरियाणा में सभी शहरी स्थानीय निकायों के लिए एक समान और आधुनिक लेखा प्रणाली स्थापित करेगी, बल्कि लेखांकन, बजट और वित्तीय रिपोर्टिंग सहित नगरपालिका वित्त के प्रबंधन के लिए एक व्यापक ढांचा भी प्रदान करेगी। यह नगरपालिकाओं में लेखा प्रणाली को बदलने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है, जिससे बेहतर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सकेगी। इससे नगरपालिकाओं को बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बाजार से धन जुटाने में भी मदद मिलेगी।
हरियाणा नगरपालिका लेखा संहिता, 2025 (भाग-I और II) राज्य की सभी नगर निकायों पर लागू होगी।