
Bilkul Sateek News
नई दिल्ली, 7 मई। भारतीय सेना ने कल देररात 1.45 बजे पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर नौ आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। इन हमलों में कई आतंकी मारे गए और घायल हो गए। भारत ने इस एयर स्ट्राइक से पहलगाम हमले का बदला लेे लिया, जिसमें आतंकियों ने निर्दोष 26 लोगों की जघन्य हत्या कर दी थी। आतंकियों ने शादीशुदा जोड़ोें में से केवल पतियों को ही निशाना बनाया था और उनकी आंखों के सामने ही उनके सिंदूर को उजाड़ दिया था। ऑपरेशन सिंदूर उसकी का बदला है। इस हमले में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) समूह का हाथ सामने आया है।
भारत ने अपने जवाबी एयर स्ट्राइक को ऐसे डिजाइन किया था कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), हिजबुल मुजाहिदीन और उनसे जुड़े अन्य आतंकी नेटवर्क द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रमुख बुनियादी ढांचों को नष्ट किया जा सके।
आइए जानते हैं भारतीय सेना के तीनों अंगों सेना, नौसेना और वायुसेना ने इन्हीं आतंकी ठिकानों को क्यों चुना…
ऑपरेशन के लिए चुने गए इन नौ ठिकानों में से प्रत्येक का भारत में किए गए प्रमुख आतंकी साजिशों और घुसपैठ के प्रयासों से जुड़ाव का इतिहास रहा है। भारत ने भारत-पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के इकोसिस्टम में उनकी अहमियत को लेकर एनालिसिस किया और उसकी के आधार पर इन साइटों की पहचान की गई।
मुरीदकेः लश्कर-ए-तैयबा का बेस और ट्रेनिंग ग्राउंड
मुरीदके लाहौर से लगभग 40 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। यह लश्कर-ए-तैयबा और उसकी शाखा, जमात-उद-दावा का लंबे समय से केंद्र है। 200 एकड़ से अधिक में फैले, मुरीदके आतंकी गढ़ में ट्रेनिंग एरिया है, यहां उपदेश केंद्र और रसद जमा करने से जुड़ें बुनियादी ढांचे हैं। इसी को भारत ने निशाना बनाया है। भारत के अनुसार लश्कर-ए-तैयबा ने ही 2008 के मुंबई हमलों को अंजाम दिया था। 26/11 के हमलावरों को यहीं ट्रेनिंग मिली थी।
महमूनाः हिजबुल मुजाहिदीन की उपस्थिति
सियालकोट के पास स्थित महमूना कैंप का इस्तेमाल कश्मीर में ऐतिहासिक रूप से सक्रिय आतंकी गुट हिजबुल मुजाहिदीन द्वारा किया जाता था। हालांकि हाल के सालों में यह गुट कमजोर हुआ है, लेकिन भारतीय अधिकारियों का कहना है कि बचे हुए आतंकियों को अभी भी सीमा पार से ट्रेनिंग दी जा रही और उन्हें गाइड किया जा रहा, विशेष रूप से महमूना जैसे क्षेत्रों से, जहां लोकल सहायता नेटवर्क बरकरार है।
बहावलपुरः जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय
पाकिस्तान के दक्षिणी पंजाब में बहावलपुर को भारत ने सबसे बड़ा टारगेट बनाया था। इसकी वजह यह है कि यह शहर व्यापक रूप से मसूद अजहर के नेतृत्व वाले आतंकी गुट जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय के रूप में जाना जाता है। इस आतंकी समूह ने 2001 में संसद हमले और 2019 के पुलवामा आत्मघाती बम विस्फोट सहित भारत में कई हाई-प्रोफाइल हमलों की जिम्मेदारी ली है या यह उनसे जुड़ा हुआ है।
गुलपुरः राजौरी और पुंछ में हमलों के लिए लॉन्चपैड
माना जाता है कि गुलपुर का इस्तेमाल 2023 और 2024 में जम्मू-कश्मीर के राजौरी और पुंछ में ऑपरेशन के लिए फॉरवर्ड लॉन्चपैड के रूप में बार-बार किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, इस जगह का इस्तेमाल उन आतंकियों के लिए एक मंच के रूप में किया जाता था जो उन क्षेत्रों में भारतीय सुरक्षा काफिले और नागरिक ठिकानों पर हमले करते थे।
सरजाल और बरनालाः घुसपैठ के रास्ते
अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा के करीब स्थित सरजाल और बरनाला को घुसपैठ के लिए प्रवेश द्वार माना जाता है।
सवाईः लश्कर कैंप कश्मीर घाटी हमलों से जुड़ा
सवाई को उत्तरी कश्मीर, विशेषकर सोनमर्ग, गुलमर्ग और पहलगाम में हमलों से जोड़ा गया है।
कोटलीः बॉम्बर्स को मिलती है ट्रेनिंग और आतंकियों का लॉन्च बेस
कोटली पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित है। इसे बार-बार आत्मघाती हमलावरों और विद्रोहियों के लिए एक प्रमुख ट्रेनिंग ग्राउंड के रूप में चिह्नित किया गया है। सूत्रों के अनुसार, कोटली में किसी भी समय 50 से अधिक आतंकियों को ट्रेनिंग देने की क्षमता है।