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टोहाना, 18 जून। टोहाना उपमंडल के एक गांव में घर के आसपास कई दिन से सांप दिखाई दे रहे थे। जिस वजह से घरवाले और ग्रामीण दहशत में जी रहे थे। ग्रामीणों ने इसकी सूचना सहारा स्नेक रेस्क्यू टीम को दी। जिसने पांच सांपों को पकड़ा। जिसके बाद सबने राहत की सांस ली।
प्राप्त जानकारी के अनुसार टोहाना उपमंडल गांव धोलू की एक ढाणी में एक घर में बीते कई दिनों से सांप देखे जा रहे थे। ग्रामीणों के अनुसार सांप अक्सर घर के आसपास दिखाई देते थे, लेकिन तुरंत ही गायब हो जाते थे। जिससे यह पता लगाना मुश्किल हो रहा था कि वे कहां छिप रहे हैं। परिवार लंबे समय से दहशत में जी रहा था। उन्होंने सहारा स्नेक रेस्क्यू टीम के नवजोत सिंह ढिल्लों को सूचना दी। जैसे ही सूचना मिली ‘स्नेक मैन’ नवजोत सिंह ढिल्लों तुरंत मौके पर पहुंचे और पूरे क्षेत्र की सूझबूझ से तलाशी शुरू की। शुरू में घर के भीतर और आसपास में जब कुछ नहीं मिला तो उन्होंने पुराने गोबर के उपलों के ढेर को जांचना शुरू किया।
नवजोत ने टीम के साथ जब एक-एक करके उपले उठाना शुरू किए, तो कई घंटों की मशक्कत के बाद वहां सांप दिखने शुरू हुए। ढिल्लों ने सावधानीपूर्वक तीन इंडियन रेड स्नेक (स्थानीय नाम: ‘घोड़ा पछाड़’ या ‘दमन’) और दो इंडियन सैंड बोआ को रेस्क्यू किया। नवजोत ढिल्लों ने बताया कि ये सभी सांप विषैले नहीं थे। हालांकि इनके काटने से हल्का संक्रमण हो सकता है, लेकिन जान का खतरा नहीं होता। उन्होंने बताया कि रेस्क्यू किए गए सांप बेहद फुर्तीले और तेज प्रजाति के थे। जिनकी गति लगभग 60 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है। अगर ये एक बार हाथ से छूट जाएं, तो इन्हें दोबारा पकड़ना बेहद मुश्किल हो जाता है।
नवजोत सिंह ढिल्लों ने कहा कि यह इसलिए भी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि सांप कई दिनों से दिख रहे थे लेकिन उनका ठिकाना पकड़ में नहीं आ रहा था। ऐसे तेजतर्रार सांपों को काबू में करना आसान नहीं होता। उन्होंने कहा कि अगर किसी क्षेत्र में सांप दिखाई दें, तो खुद प्रयास न करें – स्नेक रेस्क्यू टीम को बुलाएं।” रेस्क्यू के बाद सभी सांपों को सुरक्षित थैली में डालकर जंगल में छोड़ा गया, जहां वे प्राकृतिक रूप से स्वतंत्र जीवन व्यतीत कर सकें।