
ओम शांति रिट्रीट सेंटर में संगम-गौरवपूर्ण वृद्धावस्था एवं सम्मानित जीवन कार्यक्रम का शुभारंभ
Bilkul Sateek News
गुरुग्राम, 17 अगस्त। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति में संयुक्त परिवार की परंपरा रही है, जहां माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा करना परिवार के प्रत्येक सदस्य की सामूहिक एवं नैतिक जिम्मेदारी होती है। हमारी परंपरा में कार्यों का विभाजन अवश्य होता है, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारी व रिश्तों का नहीं। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों का अपनी नई पीढ़ी के साथ जो भावनात्मक जुड़ाव होता है, वह केवल और केवल भारतीय संस्कृति में ही संभव है। यही कारण है कि हमारी संस्कृति में बुजुर्गों को परिवार का आधार और मार्गदर्शन का स्रोत माना जाता है।
केंद्रीय मंत्री रविवार को गुरुग्राम के बहोड़ा कला स्थित ब्रह्मकुमारी के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में समाज सेवा प्रभाग एवं ब्रह्मकुमारी के दिल्ली जोन के तत्वावधान में आयोजित संगम-गौरवपूर्ण वृद्धावस्था एवं सम्मानित जीवन के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में सोशल सर्विस विंग की चैयरपर्सन राजयोगिनी ब्रह्मकुमारी संतोष एवं ओम शांति रिट्रीट सेंटर की निदेशक ब्रह्मकुमारी आशा तथा सोशल सर्विस विंग के उप चैयरपर्सन ब्रहमकुमार प्रेम सिंह एवं सोशल सर्विस विंग के नेशनल कोऑर्डिनेटर बीके अवतार सहित केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से सचिव अमित यादव की गरिमामयी उपस्थिति रही।
केंद्रीय मंत्री ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ करने उपरांत अपने संबोधन में कहा कि समाज में पश्चिमी जीवनशैली के प्रभाव से ओल्ड ऐज होम जैसी अवधारणाएं सामने आई हैं, किंतु भारतीय परिवार व्यवस्था में बुजुर्गों का सम्मान, स्नेह और सेवा हमारी संस्कृति की मूल पहचान है। उन्होंने आह्वान किया कि नई पीढ़ी को इन मूल्यों को आत्मसात करते हुए अपने बुजुर्गों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान की भावना बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे दादा-दादी और नाना-नानी ही वे आधार स्तंभ हैं, जो हमें हमारी गौरवशाली परंपरा से परिचित कराते हैं तथा हमारे भीतर संस्कारों के बीज बोते हैं। यही संस्कार बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनाने के साथ-साथ परिवार और समाज से जोड़ते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज समाज के लिए यह आवश्यक है कि हम बुजुर्गों से ज्ञान और अनुभव प्राप्त करें, साथ ही उन्हें अकेलेपन का शिकार न होने दें। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि बुजुर्गों को एक सम्मानजनक जीवन प्रदान करने के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय और ब्रह्मकुमारी संस्था के बीच हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अन्य संस्थानों को भी प्रेरणा मिलेगी और वे मंत्रालय की इस सार्थक पहल में सहभागी बनेंगे। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा इस क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 70 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके बुजुर्गों को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जा रहा है। इसके अतिरिक्त “वरिष्ठ योजना” के अंतर्गत् बुजुर्गों को आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता के साथ-साथ एक समर्पित हेल्पलाइन के माध्यम से उनकी कठिनाइयों का निवारण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गरिमा के साथ जीवनयापन करना प्रत्येक मानव का अधिकार है। इसी ध्येय के साथ मंत्रालय द्वारा देश के प्रत्येक आवश्यकता वाले जिले में ओल्ड ऐज होम खोलने की दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है।
शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ब्रह्मकुमारी आशा दीदी ने कहा कि आधुनिक जीवनशैली ने प्रत्येक रिश्ते के लिए विशेष आयोजन का दिन निर्धारित कर दिया है। इसी दिशा में हमें ग्रैंड पेरेंट्स डे भी मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के उत्सव नई पीढ़ी के मन में प्रेम और सम्मान की भावना को जीवित रखने में सहायक होंगे। यदि हम अपने समाज में पीढ़ियों के बीच की खाई (जनरेशन गैप) को दूर करना चाहते हैं तो यह आवश्यक है कि हम संवाद और परंपराओं को जोड़ने वाले ऐसे अवसरों को महत्व दें। उन्होंने कहा कि सत्य, अहिंसा और प्रेम हमारे सांस्कृतिक जीवन मूल्यों की आत्मा हैं, जो अनादिकाल से मानव जीवन का मार्गदर्शन करते आए हैं और आगे भी प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे। उन्होंने मानव जीवन में भगवान श्रीराम के आदर्श चरित्र को आत्मसात करने का आह्वान करते हुए कहा कि यदि हम उनके गुणों को जीवन में धारण करें तो पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन और अधिक उज्ज्वल बन सकता है।
इस अवसर पर बीके विजया, बीके आशा, बीके स्वामीनाथन, बीके सुनैना, बीके उर्मिल, बीके रमाकांत आचार्य सहित ओम शांति के अनुयायी उपस्थित रहे।