
गुरुग्राम: वर्तमान डिजिटल युग में मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। इसी विषय पर विचार-विमर्श करने के लिए गुरुग्राम विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में मानसिक स्वास्थ्य और डिजिटलीकरण से उत्पन्न चुनौतियों पर गहन मंथन हुआ।
संगोष्ठी की संयोजक प्रोफेसर गायत्री रैना के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में अमेरिकन फुलब्राइट फेलो सहित कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भाग लिया। दो दिनों तक चले इस आयोजन में 6 टेक्निकल सेशंस हुए, जिनमें विभिन्न मनोवैज्ञानिक (Psychological) विषयों पर गहन चर्चा की गई।
विशेषज्ञों ने बताया कि डिजिटलाइजेशन के बढ़ते प्रभाव से लोगों में तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। सोशल मीडिया की अधिकता, स्क्रीन टाइम में वृद्धि और डिजिटल माध्यमों पर अत्यधिक निर्भरता मानसिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है। संगोष्ठी में इस समस्या से निपटने के उपायों पर भी चर्चा की गई।
कार्यक्रम में कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी (CBT) पर भी विशेष चर्चा हुई। इस विषय पर प्रोफेसर एस.पी.के. जैना और डॉ. निमिषा कुमार जैसे अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि CBT एक प्रभावी तकनीक है, जो मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान में मदद कर सकती है।
विशेषज्ञों ने दिए समाधान के सुझाव
संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जिनमें शामिल हैं:
– डिजिटल डिटॉक्स – स्क्रीन टाइम को सीमित करना और डिजिटल माध्यमों से ब्रेक लेना।
– माइंडफुलनेस और मेडिटेशन – मानसिक शांति के लिए ध्यान और योग को दिनचर्या में शामिल करना।
– सोशल कनेक्शन – वास्तविक जीवन में लोगों से बातचीत बढ़ाना और सोशल मीडिया पर कम समय बिताना।
– CBT और थेरेपी का सहारा लेना – मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए विशेषज्ञों से परामर्श लेना।
विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि डिजिटलीकरण के इस दौर में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों पर मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए, ताकि लोग इस विषय को गंभीरता से लें और जरूरत पड़ने पर समय रहते मदद ले सकें।
गुरुग्राम विश्वविद्यालय में आयोजित इस संगोष्ठी का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं की पहचान करना और उनके समाधान की दिशा में प्रभावी कदम उठाना था। इस आयोजन ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं को समझने और उन्हें दूर करने के लिए एक सार्थक मंच प्रदान किया।