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फरीदाबाद (अजय वर्मा), 13 नवंबर। फरीदाबाद के धोज में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डॉक्टर मुजम्मिल की गिरफ्तारी के बाद और दिल्ली में हुए डॉक्टर उमर द्वारा कार ब्लास्ट के बाद देश की तमाम जांच एजेंसियां और जम्मू-कश्मीर पुलिस व हरियाणा पुलिस लगातार यूनिवर्सिटी में डेरा डाले हुए हैं। यहां से आतंक से जुड़े सबूत और उससे जुड़े आतंकियों को लगातार गिरफ्तार करने का सिलसिला जारी है।
बता दें की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में लगभग 85 प्रतिशत मुस्लिम छात्र-छात्राएं हैं और केवल 15 प्रतिशत हिंदू छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। अल फलाह यूनिवर्सिटी के अंदर काम करने वाले डॉक्टर और मैनेजमेंट की बात करें तो लगभग 30 से 35 प्रतिशत डॉक्टर कश्मीर से हैं, जो बेशक रहते तो भारत में है, लेकिन उनकी विचारधारा पाकिस्तान से जुड़ी है। इसका खुलासा करते हुए यूनिवर्सिटी में नर्सिंग स्टाफ के तौर पर काम कर चुके एक युवक ने बताया कि उसकी जबरदस्ती सैलरी काट ली गई और जब उसका अंदर के स्टाफ ने सहयोग नहीं किया तो उसने वहां से नौकरी छोड़ दी। उसने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि कश्मीर के डॉक्टर हंसी मजाक में ही सही, लेकिन भारत नहीं पाकिस्तान का समर्थन करते हैं। कई बार हंसी मजाक में वह भारत के खिलाफ पाकिस्तान के समर्थन में नारे भी लगाते हैं और कहते हैं कि कश्मीर में भारत के सैनिक उन्हें परेशान करते हैं।
उसने बड़े घोटाले की तरफ इशारा करते हुए बताया कि यूनिवर्सिटी की यदि जांच कराई जाए तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है और रोज वहां पर मरीज के भर्ती होने की फर्जी रिकॉर्ड बनाए जाते हैं।
उसने बताया की एक स्टाफ को रात में पांच फर्जी फाइल बनाना अनिवार्य होता है। इसके लिए अस्पताल का सीनियर डॉक्टर और स्टाफ निचले स्टाफ पर दबाव बनाता है। महीने में यदि बात करें तो लगभग 100 से 150 फाइलें फर्जी बनाई जाती है और फर्जी फाइल न बनने पर उन्हें फटकार भी लगाई जाती है। उसे अंदेशा है कि उन फर्जी फाइलों से आयुष्मान योजना के तहत सरकार को चूना लगाया जा रहा है। पूर्व कर्मी के आरोपों को यदि सही माने तो यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि यूनिवर्सिटी आयुष्मान योजना को चूना लगाकर मोटा घोटाला कर पनप रही है, बल्कि आतंकियों को भी पनाह दे रही है। जो ना केवल देश विरोधी नारे लगाते हैं बल्कि यहां से देश विरोधी साजिशें भी रची जाती हैं, जिसके तार कश्मीर से जुड़े हुए हैं। जांच एजेंसियों की जांच के बाद ही खुलासा हो पाएगा कि इन आतंकियों के तार क्या केवल कश्मीर से जुड़े हैं या फिर विदेश और देश के अन्य राज्यों से भी इनके तार जुड़े हुए हैं। यह कहने में भी गुरेज नहीं किया जा सकता कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी आतंकवाद की यूनिवर्सिटी बन चुकी है!
गौरतलब है कि इस मामले का खुलासा करते हुए अल फलाह के पूर्व नर्सिंग स्टाफ ने बताया कि उसके इस खुलासे के बाद उसे जान का खतरा है। यदि उसे कुछ होता है तो उसके जिम्मेदार अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उसका डॉक्टर और स्टाफ होंगे।



