सनातन संसद और सनातन योद्धाओं की अवधारणा से होगा वैश्विक प्रभाव
Bilkul Sateek News
नई दिल्ली / हरिद्वार, 20 दिसंबर। सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति और वैदिक परंपरा के वैश्विक पुनर्जागरण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल के रूप में हरिद्वार की पावन भूमि पर ₹1000 करोड़ की लागत से संसार का सबसे बड़ा “विश्व सनातन महापीठ” विकसित किया जा रहा है। यह महाप्रकल्प न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में सनातन चेतना, धर्म, साधना, शिक्षा और सेवा को एक संगठित और प्रमाणिक स्वरूप में स्थापित करने का प्रयास है।
इस महाप्रकल्प का शिला पूजन एवं उद्घोष समारोह 21 नवंबर को हरिद्वार में वैदिक मंत्रोच्चारण, यज्ञ और विधिवत पूजन के साथ संपन्न हुआ, जिसे इस विशाल वैश्विक सनातन प्रकल्प की औपचारिक शुरुआत माना जा रहा है। संतों, आचार्यों, विद्वानों और श्रद्धालुओं की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ यह आयोजन सनातन धर्म के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।
इसी क्रम में 19 दिसंबर को नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में विश्व सनातन महापीठ को लेकर एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें महाप्रकल्प की परिकल्पना, उद्देश्य, निर्माण योजना और वैश्विक दृष्टि को राष्ट्रीय मीडिया के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
तीर्थ सेवा न्यास की महापरियोजना
विश्व सनातन महापीठ, तीर्थ सेवा न्यास, हरिद्वार की एक महापरियोजना (Mega Project) है।
तीर्थ सेवा न्यास एक पंजीकृत सनातन संस्था है, जो वर्षों से धर्म, संस्कृति, तीर्थ संरक्षण, संत सेवा, शिक्षा और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। न्यास का मुख्यालय हरिद्वार में स्थित है और इसके कार्यक्षेत्र देश के विभिन्न राज्यों तक विस्तृत हैं।
इस महाप्रकल्प का नेतृत्व पूज्य तीर्थाचार्य राम विशाल दास महाराज कर रहे हैं, जो तीर्थ सेवा न्यास के अध्यक्ष एवं विश्व सनातन महापीठ के पीठाधीश्वर हैं। उनके मार्गदर्शन में यह परियोजना एक सुव्यवस्थित, दीर्घकालिक और राष्ट्रहितकारी स्वरूप में आगे बढ़ रही है।
बाबा हठयोगी महाराज का वक्तव्य
बाबा हठयोगी जी महाराज ने इस अवसर पर कहा—
“विश्व सनातन महापीठ सनातन आत्मा की जागृति का केंद्र बनेगा। यहाँ धर्म केवल वाणी नहीं, बल्कि आचरण और जीवन का आधार बनेगा। यह महापीठ साधना, सेवा और संस्कार के माध्यम से समाज को सही दिशा देने का कार्य करेगी। सनातन चेतना को संगठित और सशक्त रूप में आगे बढ़ाने के लिए यह एक ऐतिहासिक और आवश्यक संकल्प है।”
संतों, विद्वानों और पदाधिकारियों का मार्गदर्शन
इस परियोजना को अनेक प्रतिष्ठित संतों और विद्वानों का मार्गदर्शन प्राप्त है। प्रमुख रूप से बाबा हठयोगी महाराज, महन्त ओमदास महाराज, डॉ. गौतम खट्टर, शिशिर चौधरी, दीक्षा छिल्लर (निदेशक – मार्केटिंग) तथा आकाश जुगराज (डायरेक्टर – मीडिया एवं जनसंपर्क) इस महाप्रकल्प के संचालन, प्रचार और संगठनात्मक समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
2025 से 2032 तक होगा चरणबद्ध निर्माण
आयोजकों के अनुसार, विश्व सनातन महापीठ का निर्माण कार्य वर्ष 2025 से प्रारंभ होकर वर्ष 2032 तक चरणबद्ध रूप से पूर्ण किए जाने का लक्ष्य रखा गया है।
यह महापीठ हरिद्वार की लगभग 100 एकड़ पवित्र भूमि पर वैदिक वास्तुशास्त्र के अनुसार विकसित की जाएगी। परियोजना की कुल अनुमानित लागत लगभग ₹1000 करोड़ है।
महापीठ में विकसित होने वाली प्रमुख संरचनाएँ
विश्व सनातन महापीठ को एक समग्र सनातन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत—
● विश्व का प्रथम “सनातन संसद भवन”
● वेद मंदिर एवं वेदागार
● गुरुकुल एवं प्रशिक्षण केंद्र (2000 विद्यार्थियों की क्षमता)
● 108 यज्ञशालाएँ
● 108 संत निवास
● 1008 भक्त एवं यात्री आवास
● देशी गौसंरक्षण केंद्र
● सनातन टाइम म्यूजियम
● विशाल धर्मसभा मैदान (लगभग 10,000 की क्षमता)
● 108 तीर्थ स्थलों का प्रतीकात्मक परिक्रमा पथ
सहित ध्यान केंद्र, विशाल भोजनालय, पुस्तकालय, शोध संस्थान और अन्य सहायक संरचनाएँ विकसित की जाएँगी।
विश्व का पहला “सनातन संसद” मॉडल
प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह विशेष रूप से बताया गया कि यह विश्व



