-भाजपा को सरकार में होने का मिल सकता है फायदा
-शहरी क्षेत्रों में है भाजपा की मजबूत पकड़
-मानेसर नगर निगम में पहली बार होंगे चुनाव, सबकी नजर
-मानेसर में भाजपा को शहरी पार्टी होने का तमगा हटाने की चुनौती
-निकाय चुनाव पर प्रदेश कांग्रेस ने भी की बैठक
-जेजेपी व इनेलो को अपनी खोई जमीन पाने का एक बेहतर मौका
Bilkul Sateek News
गुरुग्राम, 19 दिसंबर (प्रदीप नरुला)। हरियाणा में निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है। सरकार फरवरी में राज्य की 34 शहरी निकाय संस्थाओं के चुनाव करवाने के मूड में है। इसको लेकर राज्य के प्रमुख दलों ने भी तैयारियां शुरू कर दी है। भाजपा ने तो विधिवत रूप से संगठन से लेकर छोटी टोली तक को सक्रिय कर जिम्मेदारियां तय करनी प्रारंभ कर दी है। जबकि कांग्रेस ने इस पर बुधवार को प्रदेश के बड़े नेताओं की बैठक कर आगे की रणनीति बनानी शुरू कर दी है।
हरियाणा में निकाय चुनाव काफी समय से लंबित पड़े थे। जिसको लेकर तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार भी गर्म था। राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं गर्म थीं, जिनमें से एक तो यह थी कि भाजपा सरकार विधानसभा चुनाव से पहले कोई जोखिम उठाने को तैयार नहीं है, लेकिन अब हाईकोर्ट के संज्ञान के बाद राज्य सरकार ने शपथपत्र दे दिया है कि वह बहुत जल्द चुनाव प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। प्रदेश के प्रमुख सचिव ने सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दे दिए हैं कि 6 जनवरी तक वह अपनी मतदाता सूचियों को अपडेट कर लें, ताकि निकाय चुनाव की प्रक्रिया आरंभ की जा सके।
हरियाणा में निकायों के चुनाव दो चरण में होने हैं। पहले चरण में सोनीपत, अंबाला, मानेसर, गुरुग्राम और फरीदाबाद नगर निगम के चुनाव होंगे। वहीं, दूसरे चरण में रोहतक, हिसार, करनाल, पानीपत और यमुनानगर नगर निगम के चुनाव होंगे।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली और प्रभारी सतीश पूनिया ने बैठक कर संगठन को निर्देश दे दिए हैं कि वह चुनाव में किस रणनीति को लेकर आगे बढ़े। भाजपा की छोटी टोली की बैठक में भी यह तय हो चुका है कि निकाय चुनाव किस रणनीति के तहत लड़े जाएंगे।
उधर, कांग्रेस ने भी निकाय चुनाव के लिए कमर कस ली है। हालांकि कांग्रेस ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वह भाजपा की तरह चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ेगी या नहीं, लेकिन भाजपा का चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ना तय लग रहा है।
निकाय चुनाव में गुड़गांव व मानेसर के नगर निगम चुनाव काफी अहम हैं। वैसे भी भाजपा शहरी क्षेत्र की पार्टी मानी जाती है और उसका वहां काफी अच्छा प्रभाव है। जिसके चलते वह नगर निगम के चुनाव में कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहती। भाजपा को प्रदेश में सरकार होने का व निकाय चुनाव में शहरी क्षेत्र अधिक होने का भी फायदा मिल सकता है।
मानेसर नगर निगम बनने के बाद पहली बार चुनाव प्रक्रिया से गुजरेगा। इससे आने वाले विधानसभा चुनाव में भी मार्ग प्रशस्त होगा कि भाजपा गुड़गांव अर्बन के साथ-साथ अन्य क्षेत्र में भी कितना प्रभाव डाल पाएगी और कैसा प्रदर्शन कर पाएगी।
वहीं, विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से मुंह की खाने बाद इनेलो व जेजेपी के सामने अपना अस्तिव बचाने की लड़ाई है। ये निकाय चुनाव उनको अपनी खोई हुई जमीन को दोबारा पाने का एक बेहतर मौका है। इसलिए दोनों पार्टियां निकाय चुनाव में अपना दमखम दिखाने के लिए अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गईं हैं।
राज्य में किसान आंदोलन का खास असर भाजपा पर नहीं पड़ा, परंतु विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा जननायक जनता पार्टी को बुरी तरह से भुगतना पड़ा। भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद उसके 10 में से छह विधायक भी उसके हाथ से निकल गए थे। इसलिए अब निकाय चुनाव सामने देखते हुए उसने किसानों के प्रति अपना रुख बदलते हुए उनके बीच फिर से पैठ बनाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। वह अब केंद्र सरकार से किसानों से किए हुए वादे निभाने की मांग करने लगी है। जेजेपी के प्रधान महासचिव अजय चौटाला ने भी साफ कर दिया है कि वह निकाय चुनाव में पूरी तरह से भागीदारी करने के लिए तैयार हैं। अभी उन्होंने इसपर अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
उधर, कभी राज्य पर राज करने वाली इनेलो लंबे समय से विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही है। इनेलो से टूट कर जेजेपी बनने के बाद तो उसका जनाधार जैसे की खत्म सा ही हो गया। इस विधानसभा चुनाव में दो विधायक जीतने से उसको राज्य में अपने को फिर से खड़ा करने के लिए निकाय चुनाव एक सहारे के रूप में नजर आ रहा है। इसके लिए इनेलो के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला सक्रिय हो गए हैं और उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के साथ बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा की निकाय चुनाव में राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है।