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गुरुग्राम (चेतना धनखड़), 8 अगस्त। सावन का महीना जो अपने साथ झमझमाती बारिश की मस्ती, हरियाली के साथ मौसम में सुकून, लोगों में खुशी की लहर और बहुत सारे त्योहार लेकर आता है। जिन्हें सभी पूरे हर्षोल्लास से मनाते हैं। इन्ही त्योहारों के साथ सावन का अंतिम त्योहार रक्षाबंधन है जिसे भाई बहन का पावन त्योहार भी माना जाता है। कहते हैं कि ये त्योहार महाभारतकाल से शुरू हुआ था और पहली राखी द्रोपदी ने भगवान श्रीकृष्ण को बाँधी थी तब से भारत में इसे हर साल मनाया जाता है।
सदर बाज़ार में राखी के इस उत्सव पर काफी चहल पहल देखने को मिल रही है। हर तरफ अपने भाइयों के लिए सबसे खूबसूरत राखी खोजती बहनें और दुकानों पर ग्राहकों की ख़ुशी से संतुष्ट होते दुकानदार दिख रहे है। सदर की गलियों में हर तरफ झूलते रंग बिरंगे धागे और बहनों की मुस्कानों ने मानो इस त्योहार के माह को और ख़ुशनुमा बना दिया है। दूसरी तरफ धार्मिक, पारंपरिक और ट्रैंडिंग राखियों में कन्फ्यूज होते ग्राहक, कई इस आधुनिकता के साथ आज भी धार्मिक राखियां पसंद करते हैं तो कई कुछ यूनिक राखियों के साथ ट्रैंड में रहना। वहीं दुकानदार भी इस बार लोगों की उम्मीदों से ज़्यादा ख़ूबसूरत राखियां लेकर आए हैं। हस्तनिर्मित से धार्मिक और पारंपरिक से लेकर मॉर्डन राखियों तक सब स्टॉक में है। 2025 में ट्रैंडिंग है एविल आई और लाबुबु जैसी राखियाँ। जहाँ लाबुबु डॉल विश्व में ट्रैडिंग स्तर पर है वहीं भारत में लाबुबु राखी दुकानों में बच्चों से लेकर बड़ो तक सब को आकर्षित कर रही है।
एक खरीददार ने कहा “हर साल कुछ नया देखने को मिलता है लेकिन इस बार राखियों की डिज़ाइन वाक़ई में बहुत ख़ूबसूरत और अलग है।
रक्षाबंधन से पहले बाजारों में जो खुशी और जोश देखा गया, वह त्योहार के महत्व को दर्शाता है। यह त्योहार केवल राखी बाँधने का नहीं, बल्कि भाई-बहन के अटूट रिश्ते का उत्सव है, जिसे लोग पूरे दिल से मना रहे हैं।