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गुरुग्राम, 13 अगस्त। गुरुग्राम की एक सत्र अदालत ने सोहना मार्केट कमेटी के पूर्व चेयरमैन एवं भाजपा नेता सुखबीर सिंह सुखी की हत्या में 5 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने साथ पांचों पर एक एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने इस मामले में 17 अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया है। इस मामले में मुख्य आरोपी चमन सुखी के साथ अपनी बहन की लव मैरिज होने से नाराज था और अपने जीजा की हत्या के लिए पपला गैंग में शामिल हो गया था। वहीं, सुखी उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के काफी नजदीक आ गया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 1 सितंबर 2022 को सिविल लाइन्स में अग्रवाल धर्मशाला के पास पूर्व चेयरमैन सुखबीर उर्फ सुखी रेमंड्स शोरूम में कपड़े लेने के लिए आए थे। इस दौरान हथियारबंद बदमाशों ने शोरूम में घुस कर फायरिंग कर दी थी। इस घटना में सुखी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था। दिनदहाड़े वारदात के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए थे। मामले में पुलिस के आला अधिकारी जब मौके पर आए तो जांच के दौरान पपला गैंग के सदस्यों द्वारा वारदात को अंजाम दिया जाना सामने आया था। मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने पपला गैंग के शूटर चमन सहित अंकुल, राहुल, दीपक उर्फ दीपू और अनुज को गिरफ्तार किया था।
प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया था कि चमन सुखी का साला है। सुखी ने चमन की बहन पुष्पा से लव मैरिज की हुई थी जिसके कारण चमन रंजिश रखे हुए था। सुखी की हत्या के लिए चमन काफी समय से कोशिश कर रहा था। इसके लिए उसने कई बार रेकी भी कराई थी। 1 सितंबर 2022 की दोपहर को चमन को मौका मिल गया और जब सुखी अपने गांव रिठौज से कपड़े खरीदने के लिए गुड़गांव के रेमंड शोरूम पहुंचा तो उसने अपने साथियों के साथ वारदात को अंजाम दिया। वारदात के दौरान आरोपी अपने साथियों के साथ पैदल ही शोरूम में आया था और अपने वाहनों को वह दूर कहीं खड़ा कर दिया था।
पुलिस ने मामले की जांच के दौरान पाया कि आरोपी चमन गैंगस्टर पपला को छुड़ाने में भी अहम भूमिका निभा चुका है। इसके अलावा उस पर संगीन अपराधों के कई मामले दर्ज हैं। उसपर साल 2011 में बादशाहपुर में थाने में मारपीट का केस दर्ज हुआ था। इसके बाद साल 2015 में उसने महेंद्रगढ़ में एक हत्या की वारदात को अंजाम दिया था। साल 2016 में सोहना पुलिस ने उसे अवैध हथियार के साथ पकड़ा था। इसके बाद साल 2019 में उसने गैंगस्टर सुरेंद्र की हत्या की साजिश रची थी, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया था।
मामले में जांच कर पुलिस ने अदालत में चालान पेश किया। अदालत के समक्ष जो सबूत व गवाह पेश किए गए उससे आरोपियों पर लगे आरोप साबित हो गए। अतिरिक्त सत्र न्यायधीश सुनील कुमार दी की अदालत ने चमन समेत पांच आरोपियों को दोषी करार देते हुए आईपीसी की धारा 302 के तहत उम्रकैद, एक लाख रुपये जुर्माना, धारा 201 के तहत दाे साल कैद, 50 हजार जुर्माना, धारा 120बी के तहत उम्रकैद व 1 लाख रुपये जुर्माना तथा धारा 25(1B) आर्म्स एक्ट के तहत 5 साल कैद व 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।