- यह जमीन नजफगढ़ झील से बिल्कुल सटी है, सारा साल इस जमीन में पानी खड़ा रहता है
- राष्ट्रीय हरित अभिकरण में दायर याचिका पर हरियाणा राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण ने इस योजना को बनाया
- एनजीटी में इस मामले की अगली सुनवाई 22 अक्टूबर निर्धारित
- गांव बुढेडा, खेड़की माजरा, धनकोट, दौलताबाद, धर्मपुर की 75 एकड़ जमीन पर आर्द्रभूमि विकसित करने की तैयारी
प्रदीप नरुला
नजफगढ़ झील से सटे गुरुग्राम के पांच गांव की 75 एकड़ जमीन को हरियाणा राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण ने आर्द्रभूमि (वैट लेंड) घोषित करने की तैयारी कर रही है। इस सिलसिले में प्राधिकरण ने राष्ट्रीय हरित अभिकरण (एनजीटी) में एक शपथ पत्र दाखिल किया है। इसमें बताया है कि 45 दिन के अंदर इस सिलसिले में पर्यावरण मंत्रालय को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया जाएगा। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद इसको लेकर जनता से सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे, जिसमें छह महीने का समय लगेगा। इसके पश्चात पर्यावरण मंत्रालय में एकीकृत प्रबंधन योजना के तहत मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इस मामले में एनजीटी में सुनवाई 22 अक्टूबर निर्धारित है।
इंडियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हैरीटेज की तरफ से एनजीटी में नजफगढ़ झील के बचाव को लेकर इसे आर्द्रभूमि घोषित करने के लिए एक याचिका दायर की हुई है। इसको लेकर एनजीटी ने हरियाणा सरकार से जवाब तलब किया था। गत 29 जुलाई को हरियाणा राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण के सदस्य सचिव प्रदीप कुमार आईएएस ने एनजीटी में शपथ पत्र दाखिल किया है। इसमें बताया है कि नजफगढ़ झील के साथ लगते गांव बुढेड़ा, खेड़की माजरा, धनकोट, दौलताबाद और धर्मपुर गांव में निजी लोगों की जमीन पर पानी भरा हुआ है। इस जमीन को आर्द्रभूमि घोषित करने के लिए प्रदेश सरकार की योजना का विरोध जमीन मालिकों ने किया है।
इसको लेकर सिंचाई विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह आईएएस, जीएमडीए के तत्कालीन सीईओ सुधीर राजपाल आईएएस, नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव एके सिंह आईएएस, गुरुग्राम के तत्कालीन उपायुक्त यश गर्ग की अध्यक्षता में एक समिति बनी थी। समिति के इन सदस्यों ने मौके का मुआयना किया था। ऐतिहासिक साहित्य, सेटेलाइट फोटो और लोगों से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई। इसके मुताबिक नजफगढ़ झील हरियाणा हिस्से में नहीं है। ऐतिहासिक तौर पर यह दिल्ली में है। गुरुग्राम की ड्रेन नंबर दो और बादशाहपुर ड्रेन से नजफगढ़ झील की क्षमता कम होने के बार पानी नहीं जाता है, जिससे यह पानी इन पांच गांवों की जमीन पर आकर खड़ा हो जाता है। इन ड्रेन को सीधा नजफगढ़ ड्रेन से जोड़ा जा रहा है, जिससे यह पानी इस जमीन पर खड़ा नहीं होगा। अधिक बरसात होने पर इस जमीन की तरफ गेट को खोल दिए जाएंगे, जिससे दिल्ली और हरियाणा में बाढ़ की स्थिति नहीं बने। निजी लोगों की जमीन को आर्द्रभूमि घोषित करना ठीक नहीं है। इस समिति ने नजफगढ़ ड्रेन की सफाई पर जोर दिया था।
एनजीटी के आदेश पर अब हरियाणा सरकार ने 75 एकड़ जमीन को आर्द्रभूमि घोषित करने की तैयारी की है। इसके मुताबिक आर्द्रभूमि की लंबाई करीब पांच हजार मीटर (पांच किलोमीटर) होगी, जबकि चौड़ाई 60 मीटर होगी।
क्या-क्या और किए जाएंगे
शपथ पत्र के मुताबिक आर्द्रभूमि घोषित करने के साथ-साथ सीवर शोधन संयंत्र से झज्जर जा रही शोधित पानी की लाइन की क्षमता को 180 मिलियन लीटर से बढ़ाकर 550 एमएलडी किया जाएगा। यह कार्य 31 दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। नजफगढ़ झील के हरियाणा की तरफ पांच किलोमीटर लंबा बांध बनाया जाएगा, जिसको लेकर अभी जिला प्रशासन ने जमीन उपलब्ध नहीं करवाई है। ड्रेन नंबर दो को नजफगढ़ ड्रेन से अगले साल छह सितंबर माह तक जोड़ दिया जाएगा। बादशाहपुर ड्रेन को अगले तीन साल के अंदर नजफगढ़ ड्रेन से जोड़ दिया जाएगा।
करीब 4500 एकड़ जमीन पर एकत्रित होता है पानी
जीएमडीए के एक अधिकारी के मुताबिक मौजूदा समय में बारिश और सीवर शोधन संयंत्र से रोजाना निकल रहा पानी इन पांच गांवों की 4500 एकड़ खेतीहर जमीन पर एकत्रित हो जाता है। ऐसा होने से यह जमीन मालिक अपनी जमीन पर खेती नहीं कर पा रहे हैं। ड्रेन नंबर दो और बादशाहपुर ड्रेन के नजफगढ़ ड्रेन से जुड़ने के बाद इन गांवों की जमीन में सिर्फ मॉनसून के दौरान दो महीने तक पानी भरेगा, जिसे पंप करके नजफगढ़ ड्रेन में डाला जाएगा। 10 महीने तक यह इस जमीन पर खेती कर सकेंगे।