गुरुग्राम को जलभराव से बचाने की योजना
- गांव दौलताबाद, धनवापुर, खेड़की माजरा, चंदू बुढेड़ा, धनकोट की करीब 4500 एकड़ जमीन पूरे साल पानी में डूबी रहती है
- जीएमडीए ने बादशाहपुर ड्रेन और ड्रेन नंबर दो को नजफगढ़ ड्रेन से जोड़ने की योजना तैयार की है
- सिंचाई विभाग ने नजफगढ़ ड्रेन के साथ-साथ पांच किलोमीटर लंबा बांध बनाने की योजना बनाई है
- गुरुग्राम की इस योजना को लेकर दिल्ली के मुख्य सचिव ने ऐतराज जाहिर किया है
प्रदीप नरुला
गुरुग्राम की करीब 4500 एकड़ जमीन को जलभराव से बचाने की हरियाणा सरकार योजना पर दिल्ली ने आपत्ति जाहिर की है। दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने हरियाणा के मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि इस योजना के तहत किए जा रहे कार्य को तुरंत रोका जाए। इससे बारिश में हरियाणा और दिल्ली में भारी जलभराव होगा। ऐसा होने से बचने के लिए व्यापक पर्यावरण और बाढ़ प्रभाव अध्ययन की जरूरत है।
मौजूदा समय में तीन बरसाती ड्रेन के माध्यम से गुरुग्राम से पानी निकलकर नजफगढ़ ड्रेन के माध्यम से यमुना में जाता है। इनमें बादशाहपुर नाला, ड्रेन नंबर एक और दो है। ड्रेन नंबर एक की क्षमता करीब 500 क्यूसिक है, जो नजफगढ़ ड्रेन में जाकर मिलती है। इस तरह ड्रेन नंबर दो की क्षमता 1100 क्यूसिक है, जो नजफगढ़ ड्रेन से 550 मीटर पहले खत्म हो जाती है। इसका पानी गांव दौलताबाद, धनवापुर, खेड़की माजरा, चंदू बुढेड़ा, धनकोट आदि जमीन पर फैल जाता है, जिसके बाद यह धीरे-धीरे नजफगढ़ ड्रेन में जाता है। इस तरह बादशाहपुर ड्रेन करीब साढ़े तीन किलोमीटर तक कच्ची है। बादशाहपुर ड्रेन की क्षमता करीब 6000 क्यूसिक है। इसका पानी भी खेतीहर जमीन पर फैल जाता है। पूरे साल करीब साढ़े चार हजार एकड़ जमीन पर पांच से छह फीट तक पानी भरा रहता है। ये जमीन निजी लोगों की है, जिसके चलते वे खेती नहीं कर पाते हैं।
जलभराव से बचने की हरियाणा सरकार की योजना
हरियाणा सरकार ने ड्रेन नंबर दो को नजफगढ़ ड्रेन से जोड़ने के लिए करीब 22 करोड़ रुपये का टेंडर किया है, जिसके तहत 550 मीटर लंबी ड्रेन का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा बादशाहपुर ड्रेन को नजफगढ़ ड्रेन से जोड़ने के लिए साढ़े तीन किलोमीटर लंबी नई ड्रेन का निर्माण किया जाएगा। इसका इस्टीमेट अभी तैयार किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त सिंचाई विभाग ने नजफगढ़ ड्रेन के साथ-साथ पांच किलोमीटर लंबा बांध बनाने की योजना बनाई है। इससे बरसात अधिक होने पर दिल्ली की तरफ से गुरुग्राम हिस्से में पानी नहीं आएगा। योजना के तहत यदि नजफगढ़ ड्रेन में पानी अधिक आता है तो ड्रेन नंबर दो और बादशाहपुर ड्रेन का गेट गुरुग्राम में निजी लोगों की जमीन की तरफ खोल दिया जाएगा। नजफगढ़ ड्रेन में पानी का स्तर कम होने के बाद गेट को बंद कर दिया जाएगा। इसके बाद जमीन पर भरे पानी को पंप के माध्यम से नजफगढ़ ड्रेन में वापस डाल दिया जाएगा। इससे सिर्फ बरसात के दो महीनों में इस जमीन पर पानी भरेगा। 10 महीने इस जमीन पर किसान खेती कर सकेंगे।
क्यों लग रहा दिल्ली को डर
नजफगढ़ ड्रेन की क्षमता 10 हजार क्यूसिक है। 47 किलोमीटर लंबी यह ड्रेन यमुना में जाकर मिलती है। शुरुआत के 20 मीटर में इस ड्रेन में स्तर बहुत कम है, जिसके चलते पानी चलने की रफ्तार बहुत कम है। बादशाहपुर ड्रेन और ड्रेन नंबर दो की क्षमता करीब 7100 क्यूसिक है। बारिश में पानी की मात्रा 9000 क्यूसिक तक पहुंच जाती है। ढलान अधिक होने के कारण यह पानी बहुत तेज गति से आता है। इसके अलावा रोहतक से आ रही ड्रेन नंबर आठ भी नजफगढ़ ड्रेन में आकर मिलती है, जिसकी क्षमता भी 1500 क्यूसिक है। नजफगढ़ और आसपास लगते क्षेत्रों का बरसाती पानी भी नजफगढ़ ड्रेन में जाता है। दिल्ली सरकार को गुरुग्राम से निकल रही इन दोनों ड्रेन के सीधा नजफगढ़ ड्रेन से जुड़ने और नजफगढ़ ड्रेन के सामने बांध बनाने पर मॉनसून में दिल्ली के नजफगढ़ और इसके आसपास लगते गांवों में बाढ़ आने का डर है। इसके चलते उन्होंने हरियाणा सरकार की इस योजना पर ऐतराज जाहिर किया है।
100 मीटर चौड़ी है नजफगढ़ ड्रेन की चौड़ाई
नजफगढ़ ड्रेन
नजफगढ़ ड्रेन की चौड़ाई करीब 100 मीटर है। इसमें 50 मीटर का मालिकाना हक दिल्ली का है तो 50 मीटर का हरियाणा का। इस नजफगढ़ ड्रेन में कुछ जमीन का मालिकाना हक प्राइवेट लोगों के पास है। हरियाणा सरकार इन प्राइवेट लोगों से इस जमीन की खरीद-फरोख्त करेगी।