
भाजपा की 27 साल बाद सत्ता में वापसी
भाजपा को 48 सीट, आप 22 और कांग्रेस शून्य
अरविंद केजरीवाल व मनीष सिसौदिया हारे
नई दिल्ली, 8 फरवरी। दिल्ली विधान सभा में भारतीय जनता पार्टी ने 27 साल का सूखा समाप्त किया और प्रचंड बहुमत प्राप्त किया। भाजपा ने आप के मनसूबों पर झाडू़ फेर दी। भाजपा ने दिल्ली विधान की 70 सीटों में से 48 सीटों पर जीत हासिल की। आम आदमी पार्टी को 22 ही सीटें ही मिला पाई, जबकि कांग्रेस अपना खाता नहीं खोल पाई। दिल्ली समेत एनसीआर में भाजपा के कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है। इस बार भाजपा को 48 सीटों का फायदा हुआ और आप को 40 सीटों का नुकसान हुआ। नई दिल्ली सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को शिकस्त मिली, उन्हें बीजेपी के पूर्व एमपी प्रवेश वर्मा ने हराया। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल को नई दिल्ली सीट पर भाजपा के प्रवेश वर्मा ने 4089 वोटों के अंतर से हराया। मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार आतिशी ने कालकाजी सीट बचाने में कामयाबी हासिल की। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार को 3521 वोटों से हराया। जंगपुरा से पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को भी हार का सामना करना पड़ा। आप के कई और बड़े नेता अपनी सीटों पर परास्त हो गए।
सत्ताईस साल पहले भाजपा की सुषमा स्वराज 52 दिन के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थीं। इतने लंबे समय सत्ता से दूर रही भाजपा की जीत के कई कारण रहे। इस बार भाजपा जनता का विश्वास जीतने में कामयाब रही। वहीं, आप को उसका बड़बोलापन और उसके वरिष्ठ नेताओं को भष्ट्राचार ले डूबा। भाजपा की लहर में आप के दिग्गज नेता बह गए।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस गत दो बार की तरह इस बार फिर खाता नहीं खोल सकी। इस बार कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी और उसके बड़े नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत तमाम राष्ट्रीय नेताओं ने प्रचार किया था। इसके अलावा जनता को अपनी ओर मोड़ने के लिए भाजपा व आम आदमी पार्टी से भी अधिक जनकल्याणी योजनाएं शुरू करने का वादा किया था, लेकिन दिल्ली का मतदाता उसकी ओर नहीं झुका। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के तमाम नेताओं ने दावा किया था कि उनकी पार्टी अपनी पुरानी राजनीतिक जमीन को वापस हासिल करने में सफल होगी। कांग्रेस को वर्ष 2013 के चुनाव वाला भी सम्मान प्राप्त नहीं हो सका। उस समय उसने आठ सीटें जीती थीं। लिहाजा उसके प्रदर्शन में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला। जबकि वर्ष 2013 से पहले कांग्रेस के पास एक मजबूत जनाधार था। उसने वर्ष 1998, 2003 व 2008 में सरकार बनाई थी। इस तरह यह एक बड़ा झटका है क्योंकि दिल्ली के चुनावों में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच कड़ी टक्कर थी और कांग्रेस ने उम्मीद की थी कि वह अपनी पुरानी स्थिति को वापस पा सकेगी। चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस के प्रदर्शन पर भाजपा व आम आदमी पार्टी ने भी सवाल उठाए हैं। इस चुनाव में मुकाबले में कांग्रेस-भाजपा के अलावा इस बार भ्रष्टाचार आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी भी थी। 2013 के इस चुनाव में ग्रेटर कैलाश सीट पर सौरभ भारद्वाज को जीत मिली। उन्होंने 43097 वोट हासिल किए। उन्होंने भाजपा के अजय कुमार मल्होत्रा को 13092 वोट से हरा दिया था। अजय कुमार को 30005 वोट मिले थे। सन 2015 में फिर से दिल्ली में विधानसभा चुनाव करवाने पड़े। 2014 में मात्र 49 दिन सरकार चलाने के बाद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था। फरवरी 2014 में जब लोकपाल विधेयक पारित नहीं हो पाया तो अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 2015 में फिर से चुनाव कराए गए और केजरीवाल ने 70 में से 67 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की। ग्रेटर कैलाश सीट पर 2015 में मुकाबला काफी दिलचस्प रहा। आप ने यहां से सौरभ भारद्वाज को मैदान में उतारा। उन्हें 57589 वोट मिले। सौरभ भारद्वाज ने भाजपा के राकेश कुमार गुल्लैया को 14583 वोट से हरा दिया। भाजपा के राकेश कुमार गुल्लैया को 43006 वोट मिले थे। सन 2020 के विधानसभा चुनाव में आप आदमी पार्टी ने फिर जबरदस्त जनादेश हासिल किया। आप को 70 में से कुल 62 सीटों पर जीत मिली। ग्रेटर कैलाश के नतीजों की बात करें तो यहां से आप की तरफ से सौरभ भारद्वाज को जीत मिली। आप नेता ने भाजपा के शिखा रॉय को 16,809 वोट से पटखनी दी थी। आप को 60372 वोट जबकि दूसरे नंबर पर रही भाजपा को 43563 वोट मिले। 2025 में भी सौरभ भारद्वाज ग्रेटर कैलाश सीट से चुनाव लड़े। उनके सामने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शिखा रॉय और कांग्रेस से गर्वित सिंघवी थे। भाजपा प्रत्याशी ने शिखा रॉय ने 3188 वोटों के अंतर से सौरभ भारद्वाज को मात दी है। सौरभ भारद्वाज को कुल 46406 वोट मिले हैं।
इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर भी आप की हार की बड़ी वजह रही। नतीजतन आम आदमी पार्टी के कई बड़े दिग्गज नेता जैसे पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को हार का सामना करना पड़ा। इसी कतार में सौरभ भारद्वाज भी नजर आए। वह ग्रेटर कैलाश सीट से लगातार चौथी बार चुनाव मैदान में थे। यहां भी बदलाव की लहर दिखी। इसके अलावा सौरभ भारद्वाज को मंत्री पद की जिम्मेदारी तब मिली जब कई विभाग संभालने वाले दो मंत्रियों की गिरफ्तारी हुई। मार्च 2023 में आम आदमी पार्टी की सरकार ने कैबिनेट विस्तार किया था। जिसमें सौरभ भारद्वाज को स्वास्थ्य मंत्री पद की जिम्मेदारी थमाई गई। ऐसे में बतौर मंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल दो साल से भी कम रहा। मंत्री के तौर पर वह कोई नई लकीर खींचने में भी कामयाब नहीं रहे।
कालकाजी सीट से आप प्रत्याशी आतिशी चुनाव जीत गई हैं। उन्होंने 3521 वोटों के अंतर से भाजपा प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी को हराया है। बता दें कि कालकाजी सीट सबसे चर्चित सीटों में शामिल है। इस बार आम आदमी पार्टी ने कालकाजी सीट से मुख्यमंत्री आतिशी को टिकट दिया था। वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक अलका लांबा को उतारा था। इन चेहरों के कारण कालकाजी सीट एक बार फिर हॉट सीट बन गई। वहीं भाजपा ने यहां से रमेश बिधूड़ी को टिकट दिया। कालका सीट से उम्मीदवार बनाए गए बिधूड़ी अपने बयानों की वजह से विवादों में रहते हैं।
दिल्ली सरकार में मौजूदा कैबिनेट मंत्री इमरान हुसैन बल्लीमारान सीट से जीत दर्ज की हैं। उन्होंने 29823 वोटों के अंतर से भाजपा के प्रत्याशी कमल बागड़ी को हराया है। इमरान हुसैन के सरकार के मंत्री होने के चलते यह सीट भी हॉट सीट बनी हुई है। कांग्रेस की तरफ से हारून यूसुफ चुनावी मैदान में है। हारून यूसुफ भी दिल्ली सरकार में पहले मंत्री रह चुके हैं। इसलिए इस सीट के रिजल्ट पर हर किसी की नजर है।
बाबरपुर विधानसभा सीट से आप के प्रत्याशी गोपाल राय जीत गए हैं। उन्होंने 18994 वोटों के अंतर से भाजपा के प्रत्याशी अनिल वशिष्ठ को हराया है। गोपाल राय पिछले 10 साल से केजरीवाल की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे।
इस सीट से दिल्ली सरकार के मंत्री और आप प्रत्याशी मुकेश कुमार अहलावत ने जीत दर्ज की है। मुकेश के सामने भाजपा से करम सिंह थे और कांग्रेस ने जय किशन को चुनाव मैदान में उतारा था। मुकेश कुमार ने 17126 वोटों के अंतर से भाजपा के करम सिंह को हराया। मुकेश कुमार अहलावत ने कुल 58767 वोट हासिल किए हैं।