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गुरुग्राम, 19 अप्रैल। सेक्टर 4 के श्रीराम मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन पर जैसे ही सुदामा चरित्र आरंभ हुआ, कथा पंडाल की भावनाएं गहराने लगीं।
स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने जब बताया कि किस प्रकार निर्धन ब्राह्मण सुदामा अपने मित्र श्रीकृष्ण से मिलने द्वारका पहुंचे और कैसे श्रीकृष्ण ने उन्हें गले लगाकर चरण धोए… वो दृश्य जैसे श्रद्धालुओं की आंखों के सामने सजीव हो उठा।
‘भगवान सुदामा के चरण धोते समय स्वयं रो दिए, क्योंकि वे प्रेम से भरे थे, वैभव से नहीं‘, स्वामी जी के ये शब्द श्रोताओं के हृदय को छू गए। इस दौरान पंडाल में मौजूद सैकड़ों श्रद्धालु मौन होकर अश्रुपूरित नेत्रों से कथा में डूबे रहे।
कुछ ने हाथ जोड़ लिए, कुछ की आंखें भर आईं… हर किसी ने सुदामा की भक्ति और श्रीकृष्ण की करुणा को अनुभव किया।
ये प्रसंग वहां मौजूद सभी भक्तों को यह सिखा गया कि सच्चा प्रेम न धन मांगता है, न दिखावा… बस समर्पण और भावनाएं पर्याप्त हैं।