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Bilkul Sateek News
चंडीगढ़, 5 मार्च। दस रुपये की आरटीआई में कितनी ताकत है इसका अंदाज इससे पता लग जाता है कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण पानीपत (एचएसवीपी) को मय ब्याज 3,35,396 रुपये लौटाने पड़ गए। जिनमें मूल राशि 2.37 रुपये है।
राज्य सूचना आयुक्त डॉक्टर कुलबीर छिक्कारा ने आज मामले की सुनवाई के बाद एस्टेट अधिकारी को नोटिस जारी कर पूछा है कि सूचना समय पर नहीं देने के कारण क्यों न उन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाए?
क्या है मामला…
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने बताया कि रमेश नगर तहसील कैंप पानीपत निवासी उनकी चचेरी बहन ऊषा वैद ने आठ साल पहले 18 जुलाई 2017 को एचएसवीपी पानीपत में 2,37,006 रुपये जमा कराए थे। यह राशि उन्होंने कृषि भूमि अक्वायर होने पर आउस्टी कोटे से प्लॉट लेने के लिए जमा करवाई थी। लेकिन एचएसवीपी ने ना तो प्लॉट दिया और ना ही ली हुई यह राशि वापस की।
इस बारे में पिछले साल 22 मार्च उन्होंने एस्टेट अधिकारी (एचएसवीपी) पानीपत को लिखित आवेदन दिया और फिर पहली मई 2024 को हुडा कार्यालय में आरटीआई कर दी हुई शिकायत पर की गई कारवाई की रिपोर्ट मांग ली। इस आरटीआई का कोई जवाब राज्य जन सूचना अधिकारी एवं एस्टेट अधिकारी ने नहीं दिया।
प्रथम अपीलिय अधिकारी एवं एडमिनिस्ट्रेटर एचएसवीपी रोहतक ने भी प्रथम अपील को अनसुना कर दिया। इस पर स्टेट इंफर्मेशन कमीशन ने एस्टेट अधिकारी को नोटिस भेज कर 5 मार्च को सूचना आयोग में पंचकूला तलब कर लिया। इस पेशी से डरे एस्टेट अधिकारी ने 4 मार्च को ही 98,390 रुपये के ब्याज समेत कुल 3,35,396 रुपये की राशि अपीलकर्ता के बैंक खाते में डाल दी।
कपूर ने बताया कि दोषी एस्टेट अधिकारी को स्टेट इंफर्मेशन कमीशन में जुर्माना तो लगेगा ही और इन्हें लोकायुक्त कोर्ट में भी घसीटा जाएगा। ताकि उसके खिलाफ विभागीय दंडात्मक कारवाई हो और इन अधिकारियों की खराब सेवा के कारण जो ब्याज राशि सरकारी खजाने से गई है, वो इन दोषी अधिकारियों के वेतन में से काटी जाए।