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यमुनानगर: हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को कड़ा झटका दिया है। हाई कोर्ट ने दादूपुर-नलवी नहर परियोजना को डी-नोटिफाई करने के लिए राज्य सरकार की ओर से भूमि अधिग्रहण संबंधी कानून में शामिल की गयी धारा 101-ए को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है। दादूपुर-नलवी संघर्ष समिति यमुनानगर ने गत 20 दिसंबर को आये फैसले की प्रति मिलने के बाद यह जानकारी दी है।
समिति के अध्यक्ष कश्मीर सिंह ढिल्लों ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के चलते अब किसानों और जमीन मालिकों को मुआवजे की बकाया राशि मिलेगी। वहीं नहर दोबारा शुरू होने से 223 गांवों के लोगों को सिंचाई के लिए पानी भी मिलेगा। अध्य़क्ष कश्मीर सिंह ने बताया कि 2004-2005 में दादूपुर-नलवी नहर का काम शुरू हुआ था और 2008-2009 से इसमें पानी चालू कर दिया गया था।
2017 तक इस नहर में पानी रहा, जिससे क्षेत्र में जलस्तर बढ़ा और गांवों की जमीनों को सिंचाई का भी लाभ मिला। उन्होंने बताया कि नहर के लिए करीब 1026 एकड़ भूमि अधिगृहीत की गई थी। उस समय सरकार ने भूमि मालिकों को 5 लाख से लेकर 14 लाख रुपये तक प्रति एकड़ मुआवजा राशि दी थी, जबकि जमीन की कीमत 40 से 50 लाख रुपये प्रति एकड़ थी।
जमीन मालिकों ने 1.25 करोड़ रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की मांग करते हुए कानूनी लड़ाई लड़ी। इस पर हाईकोर्ट ने 2016 में 1.16 करोड़ रुपये प्रति एकड़ मुआवजा तय किया था। लेकिन, इसके बाद सरकार ने इस परियोजना से अपने हाथ खींच लिए। सरकार ने भूमि अधिग्रहण संबंधी कानून में धारा 101ए शामिल कर 2018 में इस प्रोजेक्ट को डी-नोटिफाई कर समाप्त कर दिया। संघर्ष समिति ने इसे अदालत में चुनौती दी थी।
समिति ने इसके लिए डेढ़ साल तक धरना प्रदर्शन किया। 80 किलोमीटर पैदल मार्च भी निकाला गया था। पत्रकार वार्ता में समिति के सदस्य राजेश दहिया, अर्जुन सुढैल, पवन गुगलो, सुभाष कम्बोज, अशोक कम्बोज, दलबीर सुढल, कृष्ण सैनी, सोमनाथ सैनी, अनिल भी मौजूद रहे।नहर की जगह अब जंगलदादूपुर नलवी नहर का अधिकांश हिस्सा अब जंगलनुमा बन चुका है।