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Bilkul Sateek News
चंडीगढ़/गुरुग्राम, 1 मई। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) की बैठक में पंजाब के जबरदस्त विरोध किसी काम नहीं और भाखड़ा बांध से तुरंत प्रभाव से हरियाणा के लिए 8500 क्यूसिक पानी छोड़ने का निर्णय लिया गया। बैठक में भाजपाशासित सभी प्रदेश एकजुट नजर आए और पंजाब अलग-थलग पड़ा नजर आया। वहीं, कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश ने इसमें तटस्थ भूमिका निभाई। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कल ही बोर्ड की बैठक के निर्णय से पहले बातों ही बातों इस तरह का फैसला आने का इशारा कर दिया था। इस बीच, पंजाब सरकार इस निर्णय के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है।
केंद्रीय बिजली मंत्रालय के आदेश के बाद कल बीबीएमबी कार्यालय चंडीगढ़ में जल विवाद पर बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता बोर्ड के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने की। पांच घंटे तक चली बैठक में फैसला लिया गया कि हरियाणा को भाखड़ा बांध से तुरंत प्रभाव से 8500 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा। बैठक में मौजूद पंजाब सरकार के अधिकारियों ने इसका सख्त विरोध किया, लेकिन भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड के अधिकारियों ने पंजाब के विरोध को दरकिनार करते हुए यह फैसला लिया। बैठक में मौजूद पंजाब के अधिकारियों ने बोर्ड के इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया। अब पंजाब सरकार इस फैसले के खिलाफ अदालत को रूख कर सकती है।
बैठक में हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और सिंध के कमिश्नर के साथ केंद्र सरकार के प्रतिनिधि मौजूद थे। उन्होंने हरियाणा को कम पानी देने के लिए पंजाब के खिलाफ अपने मत का इस्तेमाल किया। जबकि, हिमाचल ने निष्पक्ष भूमिका निभाई।
मालूम हो कि चंडीगढ़ में बोर्ड की शाम को हो रही बैठक के दौरान ही गुरुग्राम में केंद्रीय विद्युत, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जल विवाद पर पत्रकारों के सवालों पर कहा था कि पंजाब सरकार राजधर्म नहीं निभा रही है और पानी को लेकर उसका रवैया उचित नहीं है। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि वैसे भी यह काम बीबीएमबी बोर्ड का है, नाकि पंजाब सरकार का। खट्टर ने कहा था कि आज शाम होने वाली बीबीएमबी बोर्ड की बैठक में इस पर उचित निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि बोर्ड बिना किसी दबाव के काम करेगा। उन्होंने आगे स्पष्ट शब्दों में कहा था कि पानी के बंटवारे पर केंद्र सरकार को निर्णय लेने का पूरा अधिकार है। हरियाणा के साथ नाइंसाफी नहीं होगी और हम किसी का हिस्सा भी नहीं लेना चाहते हैं।