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गुरुग्राम, 2 जुलाई। गुरुग्राम में एक निजी अस्पताल ने ब्लिंकिट कंपनी में कार्यरत एक डिलीवरी बॉय की लाश को महज इसलिए देने से मना कर दिया कि परिजन 70 हजार रुपये का बिल नहीं भर पाए थे। जिसके बाद पुलिस के दबाव में आकर अस्पताल ने शाम को शव परिजनों को सौंपा। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया है। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया है वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।
चचेरे भाई दीपक ने बताया कि लाखवास गांव में रहने वाला उसका 26 वर्षीय चचेरा भाई कर्मबीर कई दिन से बुखार से पीड़ित था। कर्मबीर को सोहना रोड, बादशाहपुर सेक्टर-69 में स्थित Acropolis Hospital में भर्ती कराया गया था। दीपक ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने कल रात 10.30 बजे अंतिम बार देखने की अनुमति दी थी। उसने बताया कि आज सुबह 10 बजे मौत हो गई। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन परिजनों पर 70 हजार रुपये और देने का दबाव बनाता रहा। जबकि अस्पताल को इलाज के नाम पर पहले ही दो लाख रुपये दिए जा चुके थे।
दीपक ने बताया कि कर्मबीर की मौत ने पहले पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल रखा था ऊपर से अस्पताल प्रबंधन के निर्दयी व्यवहार ने इस पीड़ा को और बड़ा दिया। जब अस्पताल प्रबंधन कई घंटे तक नहीं माना तो पुलिस को सूचना दी गई। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन कर्मबीर की लाश को परिजनों को सौंपा।
दीपक ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि वे बकाया 70 हजार की राशि भर पाते। उसने बताया कि कर्मबीर की दो महीने पहले ही शादी हुई थी। उसकी मौत ने उसके पिता सेठी को बुरी तरह से तोड़ दिया है। आठ महीने पहले कर्मबीर के छोटे भाई 18 साल के अंकित की बुखार के कारण मृत्यु हो गई थी। इसके अलावा एक साल पहले कर्मबीर की मां रूमा का भी बुखार और लीवर की बीमारी के चलते निधन हो गया था। रूमा पिछले सात-आठ साल से बीमार थीं। अब परिवार में केवल कर्मबीर का पिता सेठी बचे हैं, जो फल बेचकर परिवार का गुजारा करते हैं।