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Bilkul Sateek News
चंडीगढ़, 10 अगस्त। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गुरुग्राम के सेक्टर-50 में जल निकायों की भूमि पर अवैध विकास कार्य करने और प्लॉट काटकर आवंटन करने के मामले में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। अधिकरण ने स्पष्ट किया कि एचएसवीपी ने जल निकायों की रक्षा करने की बजाय उन्हें नुकसान पहुंचाया है, जो कि ‘प्रदूषणकर्ता भुगतान करता है’ सिद्धांत का उल्लंघन है।
ग्राम आदमपुर (झारसा पंचायत) की खसरा संख्या 24 (17 कनाल 8 मरला) और खसरा संख्या 28 (15 कनाल 4 मरला) की भूमि, जिसमें पारंपरिक जल निकाय स्थित थे को अधिग्रहण के बाद गुरुग्राम के सेक्टर-50 में शामिल कर लिया गया। खसरा संख्या 24 पर कोई विकास कार्य नहीं हुआ, जबकि खसरा संख्या 28 पर सड़कें, सीवर लाइन, बिजली की लाइनें बिछाई गईं और 17 प्लॉट काटे गए, जिनमें से 11 प्लॉट के आवंटी उत्तरदाता थे। 2022-23 में इन प्लॉटों का कब्जा आवंटियों को सौंपा गया और 9 मामलों में भवन निर्माण योजनाओं को मंजूरी भी दे दी गई। कुछ भूखंडों पर निर्माण कार्य शुरू हो चुका है।
न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की पीठ ने यह फैसला 8 अगस्त को सुनाया है। फैसले में कहा गया है कि भूमि का अधिग्रहण होने के बावजूद एचएसवीपी को इन जल निकायों को यथास्थिति में बनाए रखना था। लेकिन इसके विपरीत, उसने विकास कार्य कर और भूखंड आवंटित कर पारिस्थितिकी को हानि पहुंचाई। यह आर्द्रभूमि नियम 2017 के नियम 4 का स्पष्ट उल्लंघन है, जो आर्द्रभूमियों के गैर-प्राकृतिक उपयोग को प्रतिबंधित करता है। अधिकरण ने कहा कि ये जल निकाय आदमपुर गांव के निवासियों के लिए महत्वपूर्ण जल संसाधन थे, जिन्हें नुकसान पहुंचाया गया है।
एचएसवीपी को 50 लाख रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना तीन महीने के भीतर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) के पास जमा करना होगा। इस राशि का उपयोग जल निकायों के कायाकल्प के लिए तैयार की जाने वाली योजना के तहत किया जाएगा। योजना एचएसपीसीबी, सीपीसीबी और गुरुग्राम के उपायुक्त की संयुक्त समिति द्वारा तैयार की जाएगी, जिसमें एचएसपीसीबी नोडल एजेंसी होगी। खसरा संख्या 24 की भूमि को राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार तालाब के रूप में यथास्थिति में ही रखा जाएगा। खसरा संख्या 28 के बदले हरियाणा सरकार और एचएसवीपी को वैकल्पिक भूमि पर समान आकार का नया तालाब बनाना होगा, जिसे छह महीने के भीतर पूरा किया जाना है।