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फरीदाबाद (अजय वर्मा), 25 अगस्त। अनंगपुर संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमण्डल को स्वयं सीईसी से मिलने का समय जिला प्रशासन ने दिलवाया है, तो हम जिला प्रशासन की सराहना करते है कि हम उससे किसी प्रकार का कोई टकराव नहीं चाहते और हम भी शांतिपूर्वक तरीके से जिला प्रशासन का सहयोग करने का तैयार हैं । यह बातें रविवार को अनंगपुर संघर्ष समिति के एडवाइजर विजय प्रताप ने अनंगपुर में आयोजित पंचायत को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने पहला प्रयास दिखाया है तो हमें भी आस बंधी है कि प्रशासन हमारा सहयोग करने का प्रयास कर रहा है।
विजय प्रताप ने कहा कि मैं हमेशा यही कहता रहा हूं कि सुप्रीम कोर्ट में गलत तथ्य पेश करने से मामला बिगड़ा है। जैसे किसी अस्पताल में मरीज की हालत डाक्टरों की लापरवाही से बिगड़ी जाती है इलाज कुछ और है और कर कुछ और दिया। सरकार आज भी शपथपत्र देने का तैयार नहीं है कि 4500 एकड़ जमीन पर पीएलपीए नहीं लगा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में सरकार के डीएफओ का शपथपत्र है कि 1467 एकड़ पर पीएलपीए है बाकी 3000 एकड़ जमीन पर नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी से सरकार मामला बिगड़ा रही है। अब राजनेताओं का ध्यान लोगों की तकलीफ से नहीं रहा। उनका ध्यान अपना विकास करने में है। इस तकलीफ से उनका कोई लेना देना नहीं रहा। इसी लापरवाही में सुप्रीम कोर्ट में मामला चलता रहा। कोई ध्यान देने वाला नहीं था। सुप्रीम कोर्ट में डीएफओ ने कह दिया कि करीब 5700 अवैध स्ट्रैक्चर हैं जो की गलत है हजारों साल से बसा गांव कैसे अवैध हो गया। सुप्रीम कोर्ट को मालूम ही नहीं है कि उनके आदेशों का गलत इस्तेमाल करके गांव पर कार्रवाई की जा रही है । अनंगपुर संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमण्डल जब सीईसी से मिला तो पता चला कि कि उन्होंने कहा कि हमें तो किसी ने बताया नहीं कि यह तुम्हारी मलकियत है। सुप्रीम कोर्ट के दिमाग में चल रहा है कि आप लोग वन विभाग की जमीन पर कब्जा करके बैठे हुए हैं। ये गलत तथ्य दिए गए हैं । सरकार अमैडमैंट लाए और कहके कि यह वन विभाग का इलाका नहीं है वह भी गांव वालों की मलकियत है। अगर उसे भी वन विभाग में बदलना है तो उसका भी मुआवजा देना पड़ेगा। प्राकृतिक और जीव के तालमेल से ही सारा संसार चलता है। दोनों का तालमेल बिठाना पड़ेगा। लोगों की जीविका कैसे चलेगी उस पर भी विचार करना पड़ेगा। हमारे पास खेती की जमीन बहुत थोड़ी है। हमारे जीविका चलाने का साधन यही पहाड़ हैं। विधानसभा में विधायक द्वारा मामला उठाने से ही मामला बिगड़ा है। लेकिन बार बार गलती की जा रही है। गलती सुधारने के लिए कोई तैयार नहीं है। उसके बाद भी केन्द्रीय मंत्री, विधायक, पार्षद गए और लिख कर दे आए कि गांववालों को 142 वर्ग गज प्रति मकान के हिसाब से 167 एकड़ जमीन छोड़ दी जाए। हालांकि बाद में गांववालों के मुताबिक करतार भड़ाना ने कहा कि हमें तो पता ही नहीं है कि उस कागज में क्या लिखा हुआ था और हमें लगता है कि ज्यादातर लोगों का पता नहीं था कि उस कागज में क्या लिखा हुआ है। उन्हें जानकारी नहीं है तो अनंगपुर संघर्ष समिति के अध्यक्ष चौधरी अतर सिंह को ले जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सरकार तोड़फोड़ की कार्रवाई पर रोक लगाए। टूटे हुए निर्माणों का सरकार मुआवजा दे। 4500 एकड़ पहाड़ में से 2 हजार एकड़ पीएलपीए फोरस्ट में देकर उसका मुआवजा गांववालों को दिया जाए और 2500 एकड़ जोकि ग्रामीणों की है वह गांव के लोगों के इस्तेमाल के लिए छोड़ी जाए। सरकार आर्डिनेस लाए और सुप्रीम कोर्ट से राहत दिलवाए।
पंचायत की अध्यक्षता अंनगपुर संघर्ष समिति के अध्यक्ष अतर सिंह नेता जी ने की। इस अवसर पर रणबीर चंदीला, सुभाष चौधरी राष्ट्रीय प्रवक्ता भाकियू टिकैत, राजवीर मुखिया भाकियू भानू , विनोद कौशिक, अनिल शर्मा, प्रेम कृष्ण आर्य पप्पी, महेश फागना, जसबीर जस्सी सरपंच, पप्पू सरपंच, ओम भड़ाना पाली, हरिंदर भड़ाना पार्षद राजकुमार भड़ाना, पदम भड़ाना, अजयपाल सरपंच, रोहताश बिधुड़ी, योगेश भड़ाना, दिनेश भड़ाना, सुशील भड़ाना, धरम भड़ाना, प्रेम सिंह ठेकेदार, तल्लू प्रधान, भगवत भड़ाना, चमन भड़ाना, महेंद्र भड़ाना, बाबू भड़ाना, हरि भड़ाना, दयाराम प्रधान, राजेन्द्र नंबरदार, चंद भड़ाना और कालू तंवर भी मौजूद थे।