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फरीदाबाद (अजय वर्मा), 14 नवंबर। आतंकी गतिविधियों में नाम आने के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी को शो काज नोटिस जारी कर उसकी वेबसाइट को भी बंद कर दिया गया है। इधर यूनिवर्सिटी के बैंक खातों की जांच की कमान ई.डी. ने संभाल ली है। करीब 3 दिन पहले ही खातों के लेन-देन को बंद कर दिया गया था। खातों में विदेश से भी लेन-देन हुआ है। जांच में पता लगाया जाएगा कि ट्रस्ट के जरिए मुफ्त इलाज के नाम पर कहां-कहां से फंडिंग की जा रही थी।
अल फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक और ट्रस्टी जावेद अहमद सिद्दीकी भी शक के दायरे में हैं। अपने कार्पोरेट नेटवर्क और पुराने आपराधिक मामलों को लेकर शक की सुइयां उनकी ओर भी घूम रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के महू में पला बढ़ा जावेद अहमद सिद्दीकी 1993 में दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में लैक्चरर नियुक्त हुआ था। लेकिन, उसकी महत्वाकांक्षा इतने से पूरी नहीं हो रही थी। इसके चलते उसने अपने भाई साऊद के साथ मिलकर जामिया में ही छोटा-मोटा चिट फंड टाइप बिजनेस शुरू किया था। इसमें से एक अल-फलाह इंवेस्टमेंट नाम की कंपनी भी थी, जिसकी वजह से दोनों को 3 साल तिहाड़ जेल में गुजारना पड़े थे। अल-फलाह यूनिवर्सिटी एन.ए.ए.सी. से मान्यता प्राप्त नहीं है। मान्यता के लिए कभी आवेदन नहीं किया गया था। सिद्दीकी के नेतृत्व में 9 कंपनियां अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़ी हैं और दिल्ली के जामिया नगर में स्थित हैं।
सनकी किस्म का था उमर
अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डॉक्टर उमर छात्रों में मानसिक रूप से दूसरे समुदायों के लिए नफरत भरने का काम करता था। एक छात्र ने बातचीत में बताया कि डॉक्टर उमर सनकी किस्म का था। वह अचानक से गुस्सा हो जाता था। वह मुस्लिम छात्रों को अपने फोन और लैपटॉप में भड़काऊ वीडियो दिखाता था। वह बार-बार फिलिस्तीन के बारे में बात करता था। कोई छात्र अगर ज्यादा हंसता हुआ दिखाई दे जाए तो वह भड़क जाता और कहता वहां गाजा में जुल्म हो रहा है और तुम यहां खुशी मना रहे हो। इस व्यवहार से ज्यादातर छात्र छात्राएं उससे डरते थे।
सूत्रों के मुताबिक उमर के कुछ खास छात्रों से सुरक्षा एजेंसियों ने कई घंटों तक पूछताछ की है। उनके मोबाइल व लैपटॉप की डिलीट चैट को भी रिकवर किया जा रहा है। हॉस्टल में मिले अपने कमरे को भी उमर छात्रों को रहने के लिए दे देता था, ताकि उन्हें अहसास दिला सके कि वह उनका अपना है। उमर खुद मुजम्मिल के कमरा नंबर 13 में उसके साथ रहता था। डॉक्टर शाहिन सईद को हॉस्टल का कमरा नंबर 32 मिला हुआ था। जांच एजेंसियों ने सभी के कमरों की गहन तलाशी ली है।
8 ने दिया इस्तीफा
अल-फलाह यूनिवर्सिटी में कार्यरत करीब 8 प्रोफैसरों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि प्रबंधन ने अभी तक उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया है। लगातार चल रही जांच के कारण यूनिवर्सिटी के अस्पताल को बंद कर दिया है। ओ. पी.डी. की सेवा भी आमजन के लिए पूरी तरह से बंद हो गई है। यहां इलाज के लिए भर्ती मरीजों को कहीं दूसरे अस्पताल में इलाज कराने को कहा गया है। गंभीर मरीजों को दिल्ली रैफर किया गया है। एन. आई.ए., जम्मू-कश्मीर पुलिस, दिल्ली पुलिस व फरीदाबाद क्राइम ब्रांच पूरे मामले की जांच में जुटी हैं।
सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल के तहत लखनऊ से गिरफ्तार की गई डॉ. शाहिन सईद से जम्मू कश्मीर पुलिस लगातार पूछताछ कर रही है। अभी तक की जांच में सामने आया कि शाहिन आतंकी गुट जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग की कमांडर है। धौज स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी परिसर से 30 अक्टूबर को गिरफ्तार किए गए डॉ मुज्जमिल अहमद गर्नई उर्फ मुसैब से पूछताछ के बाद 8 नवंबर को इस केस में पहली स्विफ्ट कार बरामद हुई थी। यह कार भी डॉ शाहिन के नाम पर थी और उसने डॉ. मुजम्मिल को यह कार प्रयोग करने के लिए दी थी। इसी कार से पहली बार 8 नवंबर को क्रिनकॉव राइफल, पिस्टल, मैगजीन व गोलियां मिले थे। पुलिस की टीमें मामले की जांच में जुटी हैं।
छात्रों के लिए तलाशे जा रहे विकल्प
इस यूनिवर्सिटी में कुल मिलाकर 1200 छात्र पढ़ रहे हैं। ये सभी मेडिकल से जुड़े अलग-अलग कोर्स कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक यूनिवर्सिटी को बंद करने के बाद छात्रों के भविष्य के लिए विकल्प की तलाश की जा रही है। इसके लिए फरीदाबाद के सेक्टर-3 स्थित ई.एस.आई.सी. मेडिकल कॉलेज, नूंह के नल्हड़ मेडिकल कॉलेज, छांयसा स्थित अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज, दिल्ली-एन.सी.आर. में बने अन्य मेडिकल कॉलेजों से सीटों की जानकारी मांगी जा रही है। नैक की तरफ से भी कल यूनिवर्सिटी को शो-कॉज नोटिस जारी कर कुल 7 बिंदुओं पर जवाब मांगा गया है।
खुल गया आतंक का राज
जानकारी के मुताबिक साल 2022 में उमर अपने दो अन्य साथियों के साथ टर्की गया था तभी से खुफिया विभाग उसपर नजर बनाए हुए था। उसके दो साथी जम्मू कश्मीर पुलिस के हाथ लग गए। उनसे पूछताछ में पुलिस को पता लगा कि दिल्ली, यूपी, हरियाणा, गुजरात व एक अन्य शहर में उमर व उसके साथी लोगों में दूसरे समुदाय के खिलाफ नफरत भरने का काम कर रहे हैं। वह कुछ बड़ा करने की साजिश रच रहा है। उसके बाद से जांच एजेंसी ने एक आरोपी को यूपी के सहारनपुर से उठाया और देखते ही देखते सारे पहलू सामने आने लगे। आरोपियों के कमरे से मिली डायरी से पता लगा है कि उनको अलग-अलग टास्क मिले हुए थे। इसमें सामान लाने से लेकर धमका करने का काम शामिल था। किसी भी स्थिति में यदि फिदायिन हमला करना पड़ा तो उसके लिए उमर ही तैयार था। बुधवार देर रात गांव खंदावली में लावारिस हालत में लाल रंग की इको स्पोर्टस कार को बरामद की गई थी। सी. एफ. एस. एल. की टीम ने कल कार से विस्फोटक के नमूने लिए और दिल्ली पुलिस ने कार को कब्जे में लिया। खंदावली गांव में भी ज्यादातर मुस्लिम आबादी रहती है। जांच होने तक एहतिहात के तौर पर जांच एन.एस.जी. की एक टीम भी गांव में तैनात रही।



