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अदालत ने इसे रेयरेस्ट आॅफ रेयर केस माना
संपत्ति को लेकर था विवाद
35 हजार का जुर्माना भी लगाया
17 जून 2020 को कोरोना काल में किसी थी हत्या
फतेहाबाद, 16 जनवरी। दिव्यांग भाई की तेजधार हथियार से गर्दन काट कर, सिर को डेढ़ घंटे तक पाॅलीथिन में डालकर घूमाने के बाद नहर में फेंकने के दोषी को यहां की एक अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। जिला सत्र न्यायालय ने इस हत्याकांड को रेयरेस्ट आॅफ रेयर केस मानते हुए यह सजा सुनाई है। अदालत हत्यारे भाई पर 35 हजार का जुर्माना भी लगाया है। हत्या 17 जून 2020 में कोरोना काल के दौरान की गई थी। हत्या संपत्ति को लेकर की गई थी।
मामले की पैरवी करने वाले सरकारी वकील अरुण कुमार के अनुसार पंजाब की संगरूर निवासी सुषमा देवी पत्नी मनजीत सिंह ने अपने छोटे भाई दीपक जोकि दिव्यांग था की हत्या के मामले में अपने ही भाई अशोक के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत में बताया गया था कि वे 6 भाई-बहन हैं। जिनमें से दो भाइयों की मौत हो चुकी है। उसके छोटे भाई 40 वर्षीय दीपक का तलाक हो चुका है। दीपक मां के पास टोहाना की गोगामेड़ी के पास रहता था। उनकी मां ने 10 साल पहले अपना मकान दीपक के नाम कर दिया था। इस बात से उसका दूसरा भाई अशोक काफी नाराज रहता था और कई बार दीपक को मारने कीबात कह चुका था।
सुषमा के अनुसार गांव डांगरा का सुरजीत दीपक का धर्म भाई था। 18 जून 2020 को सुरजीत ने सुषमा को फोन किया था। सुरजीत ने फोन पर बताया कि 17 जून अशोक दीपक के घर गया था। उसने अशोक के सामने बैठकर शराब पी। दोनों बैठकर बातचीत कर रहे थे। इस बीच सुरजीत दोनों को छोड़ कर अपने घर चला गया। सुबह जब सुरजीत दीपक से मिलने आया तो दरवाजा खटखटाने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला। सुषमा ने आगे कहा कि इसके बाद वह तुरंत अपने पति के साथ वहां पहुंची और पुलिस को सूचित किया। जब दरवाजा खोलकर अंदर देखा, तो बरामदे में दीपक की लाश खून से लथपथ मिली। फर्श पर उसका सिर्फ धड़ पड़ा था और सिर उसका गायब था।
सुषमा ने अपने भाई अशोक पर दीपक की हत्या का शक जताया। पुलिस जांच में पता चला कि अशोक दीपक के सिर को पॉलीथिन में डालकर अपने साथ ले गया और उसे नहर में फेंक दिया। पुलिस ने अशोक पर आईपीसी की धारा 457, 506, 302 व 201 के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। पुलिस नेे अशोक की निशानदेही पर दीपक का सिर और हत्या में प्रयुक्त अन्य सामान बरामद किया। पुलिस ने मामले से जुड़े महत्वपूर्ण सबूत और गवाह सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष पेश किए। तमाम सबूतों और गवाहों के आधार पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दीपक अग्रवाल की अदालत ने अशोक को दोषी मानते हुए उसे फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने धारा 302 के तहत फांसी तथा 20 हजार रुपये का जुर्माना और धारा 457, 506, 201 में 5-5 साल कैद तथा 5-5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।