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फरीदाबाद (अजय वर्मा), 11 जून। केंद्र सरकार द्वारा देश में साइबर क्राइम के प्रति जागरूकता को लेकर कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं और एक हेल्पलाइन नंबर 1930 जारी किया गया है, जिस पर कोई भी फ्रॉड होने पर तुरंत कॉल करने पर अमाउंट फ्रीज हो जाता है। इसके बावजूद अपराध लगातार बढ़ रहे हैं और साइबर ठग नए-नए तरीका निकाल रहे हैं। इसके बावजूद फरीदाबाद की साइबर क्राइम ब्रांच इस साल जनवरी से लेकर मई तक कुल 484 साइबर अपराधियों को कर चुकी है। साइबर पुलिस के एसीपी अशोक कुमार ने तमाम जानकारी देते हुए बताया कि कैसे लोग साइबर ठगी से बच सकते हैं और कैसे पुलिस साइबर ठगों तक पहुंचती है।
साइबर क्राइम फरीदाबाद के एसीपी अशोक कुमार ने बताया कि इस समय साइबर क्राइम चरम सीमा पर है, जिसको लेकर हम साइबर क्राइम डीसीपी उषा कुंडू के नेतृत्व में लोगों को जागरुक कर रहे हैं और बता रहे हैं की आप साइबर अपराधियों से सतर्क रहें और अपनी कोई भी निजी जानकारी किसी के साथ शेयर ना करें। उन्होंने बताया कि सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा हेल्पलाइन नंबर 1930 जारी किया गया है। जिस पर कोई भी फ्रॉड होने पर तुरंत कॉल करने पर अमाउंट फ्रीज हो जाता है। एसीपी ने बताया कि इस साल जनवरी से लेकर मई तक कुल 484 साइबर अपराधियों को हम गिरफ्तार कर चुके हैं। इस तरह हम बड़ी ही तत्परता से साइबर अपराधियों के खिलाफ काम कर रहे हैं और जो भी पीड़ित व्यक्ति 1930 पर तुरंत कॉल करता है उसका पैसा हम जल्दी ही रिकवर करके उसे लौटा देते हैं।
एसीपी अशोक कुमार ने बताया कि साइबर अपराधी समय-समय पर ठगी करने के नए तरीके निकालते रहते हैं जिसके चलते आजकल साइबर अपराधी शेयर बाजार में मोटा मुनाफा करवाने का लालच देकर साइबर ठगी कर रहे हैं और पीड़ित का अकाउंट खुद ऑपरेट करने लगते हैं और फर्जी अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करके निकाल लेते हैं और ऐसे फर्जी अकाउंट धारक को भी कुछ पैसा वह देते हैं जिन साइबर ठगों ने मिस गाइड करके खाता खुलवाया होता है। उन्होंने बताया कि साइबर ठगों द्वारा बाकायदा उनके अकाउंट में शेयर का मुनाफा दिखाया जाता है, लेकिन वह उस पैसे को जब निकलना चाहता है तो वह निकाल नहीं पाता और उन नंबरों को भी बंद कर दिया जाता है। तब उसे पता चलता है कि वह ठगी का शिकार हो गया है, तब वह पुलिस के पास शिकायत लेकर पहुंचता है। उन्होंने बताया कि शिकायत मिलने के बाद पुलिस ठगी की पूरी चैन को देखती है और जानती हैं कि वह पैसा कहां-कहां गया और उसके बाद पुलिस मामला दर्ज करके आरोपियों तक पहुंचती है और उन्हें गिरफ्तार करती है।
एसीपी ने बताया कि साइबर अपराधी डिजिटल अरेस्ट के नाम पर भी लोगों को बेवकूफ बनाते हैं और उन्हें फोन करके धमकाया जाता है कि उनके नाम के पार्सल में नशीली वस्तुएं बरामद हुई है और उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया जाता है। यही नहीं वीडियो कॉल के माध्यम से अपराधी पुलिस की ड्रेस में उन्हें धमकाते हैं और पुलिस थाने का सेटअप भी दिखाते हैं इसके साथ ही उनसे अकाउंट नंबर लिए जाते हैं, ओटीपी लिए जाते हैं और ट्रांजैक्शन करके उसका खाता खाली कर दिया जाता है। इसके बाद जब उसे एहसास होता है कि वह ठग लिया गया है तो वह पुलिस के पास आता है। उन्होंने लोगों को जागरुक करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में वह ठगों के दबाव में ना आए और समय रहते पुलिस की मदद ले। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में दो तरह से शिकायत पीड़ित पक्ष की आती है, एक तो ऑनलाइन 1930 पर और दूसरी लिखित शिकायत के माध्यम से उनके पास आती है। उन्होंने बताया कि 1930 सेंटर गवर्नमेंट की ऐसी साइट है, जो तमाम बैंकों से लिंक है जिससे पता चलता है कि पैसा किस-किस अकाउंट में गया है, जिसे तुरंत फ्रीज कर दिया जाता है। यदि पीड़ित इसमें देरी करता है तो वह पैसा आगे से आगे अन्य अकाउंट में चला जाता है और साइबर ठग उस पैसे को निकालने में कामयाब हो जाते हैं। उनका कहना था कि 1930 पर तुरंत शिकायत पर पैसा सुरक्षित हो जाता है और जब उन्हें शिकायत मिलती है तो मामला दर्ज किया जाता है और उसके बाद फ्रिज किया हुआ पैसा वापस मिल जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसे फ्रॉड में साइबर ठग लोगों को पैसे का लालच देकर अकाउंट खुलवाते हैं और फिर जांच के दौरान हम जहां अकाउंट होल्डर को भी अरेस्ट करते हैं, वही साइबर ठगों को भी काबू किया जाता है ।
आखिर में जनता से अपील करते हुए एसीपी अशोक ने कहा कि किसी भी फ्रॉड से बचने के लिए जनता को सबसे पहले सतर्क रहने की जरूरत है। कहीं भी किसी तरह का कोई भी लालच दिया जाता है तो उसकी पूरी तरह से जांच करें और ठगी होने पर तुरंत पुलिस से संपर्क करें या फिर हेल्पलाइन को डायल करें। उन्होंने कहा कि सबसे जरूरी बात यह है कि अपनी पर्सनल जानकारी किसी भी सूरत में शेयर नहीं करें।