
Bilkul Sateek News
गुरुग्राम, 24 अगस्त। सेक्टर-109 गुरुग्राम स्थित एक्सप्रेस-वे टावर्स प्रोजेक्ट के 3000 से अधिक फ्लैट खरीदार आर्थिक और मानसिक संकट से जूझ रहे हैं। ओशन सेवन बिल्डटेक प्रा. लि. द्वारा शुरू किया गया यह प्रोजेक्ट जिसे नवंबर 2016 में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के अंतर्गत लॉन्च किया गया था, आज लगभग नौ साल बाद भी सिर्फ 65 प्रतिशत ही पूरा हुआ है, जबकि खरीददारों से पूरी राशि पहले ही वसूल की जा चुकी है।
प्रोजेक्ट के प्रमोटर स्वराज सिंह यादव (दीवान सिंह यादव के पुत्र, निवासीः हाउस नं. 16, द लीजेंड सोसायटी, सेक्टर 57, गुरुग्राम) और उनकी पत्नी व सह-निदेशक सुनीता स्वराज यादव (पूर्व प्रिंसिपल, द हेरिटेज स्कूल, वसंत कुंज) पर आरोप है कि उन्होंने खरीददारों से वसूली गई धनराशि का दुरुपयोग किया और जांच एजेंसियों को वित्तीय विवरण देने से इंकार कर दिया।
इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू-2, मानेसर) में पहले ही शिकायत दर्ज की जा चुकी है, जिसमें धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के उल्लंघन का उल्लेख है। खरीददारों का आरोप है कि उनकी रकम को अन्य प्रोजेक्ट्स व कारोबारों में घुमा दिया गया, जिससे प्रोजेक्ट अधूरा रह गया।
आज, 100 से अधिक खरीददारों ने बिल्डर के घर (द लीजेंड सोसायटी, सेक्टर 57, गुरुग्राम) के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया, लेकिन बिल्डर उनसे मिलने नहीं आए।
लगातार ठगी का पैटर्न
खरीदारों ने बताया कि ठगी केवल गुरुग्राम तक सीमित नहीं हैः
ऽ बिल्डर ने जयपुर (एंबर गार्डन) और कोटपुतली (कोट फार्म्स) में भी प्लॉटिंग प्रोजेक्ट लॉन्च किए, लेकिन उन्हें भी अधूरा छोड़ दिया।
ऽ इन प्रोजेक्ट्स के सैकड़ों खरीददार रजिस्ट्री और कब्जे के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
ऽ चौंकाने वाली बात यह है कि बिल्डर ने पहले से रजिस्टर्ड प्लॉट्स (जयपुर और कोटपुतली) को दोबारा बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और यहां तक कि गुरुग्राम के वही फ्लैट भी दोबारा बेच दिए जो पहले से असली खरीददारों को आवंटित हो चुके थे।
खरीदारों की मांगें
खरीददार संघ ने रेरा हरियाणा, डीटीसीपी, ईओडब्ल्यू गुरुग्राम पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से तुरंत और कड़ी कार्रवाई की मांग की हैः
ऽ राज्यों में खरीददारों के साथ धोखाधड़ी और ठगी के मामलों में कड़ी कार्रवाई।
ऽ फंड्स की हेराफेरी और मनी लॉन्ड्रिंग की पूरी जांच।
ऽ पहले से रजिस्टर्ड संपत्तियों की अवैध रीसेल को आपराधिक विश्वासघात मानकर कार्रवाई।
ऽ अधूरे प्रोजेक्ट्स को रेरा की निगरानी में पूरा करना।
खरीददार संघ के प्रवक्ता ने कहा, “यह हरियाणा और राजस्थान में कई प्रोजेक्ट्स में किया गया एक संगठित फ्रॉड है। बिल्डर ने हजारों परिवारों के साथ ठगी की है और अब अवैध रीसेल करके सिस्टम के साथ खिलवाड़ कर रहा है। जब तक सख्त कानूनी कार्रवाई नहीं होती और हमें हमारे घर और प्लॉट नहीं मिलते, हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।”
संघ ने यह भी घोषणा की है कि मामला अब राज्य सरकार, केंद्रीय जांच एजेंसियों और मीडिया के स्तर पर उठाया जाएगा, ताकि भविष्य में और खरीददार इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार न हों।