सबसे उत्तम आसन है ‘आश्वासन’ और सबसे अच्छा योग है ‘सहयोग’
स्वार्थों का विषपान करना सिखाता है महादेव का नीलकंठ स्वरुप
Bilkul Sateek News
गुरुग्राम, 10 नवंबर। सेक्टर 10 में यूरो इंटरनेशनल स्कूल के पास स्थित हुडा ग्राउंड में सात दिवसीय भगवान शिव कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। इसका आयोजन दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान गुरुग्राम द्वारा किया जा रहा है। शाम 5 से रात 8.30 बजे तक आयोजित इस कथा में हजारों श्रद्धालुओं ने शिव कथा का श्रवण किया।
कथा के द्वितीय दिन दिव्य गुरु आशुतोष महाराज के शिष्य डॉ. सर्वेश्वर ने समुद्र मंथन प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि जब समुद्र मंथन से हलाहल कालकूट विष निकला तो जगत के कल्याण के लिए भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। जिसके कारण उनका एक नाम नीलकंठ भी पड़ गया। स्वामी ने कथा का मर्म समझाते हुए बताया कि शिव का नीलकंठ स्वरूप हमें त्याग व सहनशीलता का गुण अपने जीवन में धारण करने की प्रेरणा देता है। शिव भक्त होने के नाते हमारा भी ये कर्त्तव्य है कि हम भी विषपान करना सीखें। अर्थात् निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर जगत के कल्याण में अपना योगदान दें। ‘मैं’ से ‘हम’ तक का सफर तय करें। लेकिन अफसोस, आज मानव तो अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की पीठ में छुरा घोंपते हुए भी संकोच नहीं करता। इन्सान तो क्या, हमने तो बेज़ुबान पशु-पक्षियों को भी नहीं छोड़ा। जीभ के क्षणिक स्वाद के लिए आज रोजाना हजारों जीव काट दिए जाते हैं। आज दुनिया भर में लाखों बूचड़खाने खुल गए हैं, जिनमें नित नई आधुनिक मशीनों द्वारा कुछ मिनटों में ही लाखों जानवरों को मौत के घाट उतार दिया जाता है, वह भी बड़ी बेरहमी से।

यूं तो हम महादेव के भक्त हैं परंतु शायद हम ये भूल जाते हैं कि महादेव का एक नाम पशुपतिनाथ भी है। अर्थात् जो पशुओं के स्वामी हैं। स्वयं ही सोचिए पशुओं की हत्या कर क्या हम अपने पशुपतिनाथ को प्रसन्न कर पाएंगे? प्रभु का सच्चा भक्त ऐसा नहीं होता। वह तो परपीड़ा को समझ अपने क्षुद्र स्वार्थों का परित्याग कर देता है। उसके लिए तो सबसे श्रेष्ठ आसन है ‘आश्वासन’ जो वो दीन दुःखियों को देता है; सबसे उत्तम योग है ‘सहयोग’ जो वो यथाशक्ति प्राणीमात्र का करता है और सबसे लम्बी श्वास है ‘विश्वास’ जो वह रोती अखियों को प्रदान करता है। इसलिए आवश्यकता है अपने भीतर दया, प्रेम, त्याग व करुणा जैसे गुणों को विकसित करने की। और ये तब ही संभव है जब ब्रह्मज्ञान के माध्यम से हम नीलकंठ का दर्शन अपने घट में प्राप्त करेंगे।
इस अवसर पर कथा पंडाल में महाशिवरात्रि महोत्सव भी धूमधाम से मनाया गया, जिसमें भक्तों ने नृत्य कर खूब आनंद लूटा। द्वितीय दिवस के यजमान रहेः प्रेमकृष्ण शर्मा एवं सरला रानी शर्मा (न्यू जर्सी), चंद्र प्रकाश गुप्ता एवं ममता गुप्ता (सेक्टर 22, गुरुग्राम), बिल्ला सिंह खटाना एवं कमलेश देवी (विजय पार्क, गुरुग्राम), मोहनलाल दीवान एवं सुषमा दीवान (शिवपुरी गुरुग्राम) रवि शर्मा एवं ठाकुर जी (सेक्टर 99ए, गुरुग्राम), यजमानों के साथ-साथ अनेक विशिष्ट अतिथिगण ने भी अपनी गरिमामयी उपस्थिति प्रदान की, जिनमें मुख्य रूप से R.S. Bhatt (DTP, Gurugram), पवन कुमार जिंदल (President Daultabad road industrial association), अनिल जिंदल, किशोर बिरला, प्रदीप कौल (general secretary confederation of Bahadurgarh industries), अशोक कुमार मित्तल (Treasurer confederation of Bahadurgarh industries), पुरुषोत्तम गोयल (Governing body member confederation of Bahadurgarh industries) एंड हरी गोपाल अग्रवाल, K K Chawla श्रीमती एंड श्री सुनील काबरा, मामचंद मंढोलिया भी सम्मिलित रहे।



