
“गुरुग्राम कल्चरल फाउंडेशन” के तत्वावधान में “मेरा घर, मेरा तीर्थ” विषय पर आध्यात्मिक व्याख्यानमाला का आयोजन”
Bilkul Sateek News
गुरुग्राम, 24 अगस्त। श्रीमत्परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ जूनापीठाधीश्वर आचार्यमहामण्डलेश्वर अनन्तश्रीविभूषित पूज्यपाद स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज “आचार्यश्री” के पावन सान्निध्य एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र गुरुग्राम में संस्कृति और संस्कारों के संवर्धन को समर्पित “गुरुग्राम कल्चरल फाउंडेशन” के पावन तत्वावधान में “मेरा घर, मेरा तीर्थ” विषयक आध्यात्मिक व्याख्यानमाला आयोजित की गई।
इस गरिमामय आध्यात्मिक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर क्षेत्र के क्षेत्रीय संघचालक पवन जिन्दल समेत अनेक गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रही। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता एवं मंच संचालन डॉ मनदीप किशोर गोयल ने किया।
इस अवसर पर श्रद्धावान साधकों के मध्य अपने सारगर्भित उद्बोधन में “आचार्यश्री” ने कहा कि जब हम घर और ग्राम की बात करते हैं तो स्वयं को देवताओं से संयुक्त पाते हैं। इस जगत से भिन्न भी एक जगत है, जिसमें हमारे देवता और पितृ रहते हैं और उन्हीं से हमारा अस्तित्व है। प्राण, पवन, प्रकाश और आकाश के बिना हमारा कोई अस्तित्व नहीं है, इसलिए भारत का विचार “लोका समस्ता सुखिनो भवन्तु” का विचार है, केवल मेरा घर ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण विश्व हमारा कुटुम्ब है।
“आचार्य श्री” कहते हैं कि घर को तीर्थ बनाने का पहला सूत्र “संस्कार निर्माण” है। जिस परिवार में भोजन और भजन एक साथ होता है, वह कभी बिखर नहीं सकता। हम भारतीय “भा” से जुड़े हुए हैं, जो प्रकाश का संसूचक है। “भ” से भजन-भोजन, भेषज, भूमि और भूषा।
इसलिए अपनी जड़ों को सम्भाल कर रखिए। सफल व्यक्ति वही है, जो परिवार , पर्व-परम्पराओं एवं अपने जीवन मूल्यों से जुड़ा हुआ है।
बच्चों का कुलदेवी और देवताओं से एवं कौटुंबिक परम्पराओं से परिचय आवश्यक है, जिससे आने वाली कई पीढ़ियों तक हमारे संस्कार उज्जीवित रह सकें। घर को तीर्थ बनाने के लिए माता-पिता की आज्ञा में रहिए, उनमें देवताओं का वास है। साथ ही हमें अपने आहार, विहार, निहार और विचारों पर सर्वाधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। वैज्ञानिक उपकरणों ने अंतहीन साधनों के साथ अपरिमित हताशा दी है। समय से आहार और निद्रा आदि के नियमों का पालन करें। वृद्ध घर के जीवन्त तीर्थ हैं, उनका आदर करें। घर में अतिथि अभ्यागतों का सम्मान करें। अपनी पूजा-पद्धति और परम्पराएँ न त्याग दें। बच्चों की प्री-बेडिंग काउंसिलिंग अवश्य करें।
अपने पूर्वजों द्वारा संस्थापित जीवन मूल्यों की रक्षा, पारस्परिक संवाद एवं संस्कारों का संवर्धन ही घर को तीर्थ बनाने का सूत्र है, हम जितना अपनों के साथ रहेंगे उतने ही सामर्थ्यवान होंगे।
पवन जिन्दल संचालक उत्तर क्षेत्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मीना जिन्दल, प्रताप सिंह प्रांत संचालक हरियाणा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, डॉ. सुरेन्द्र जैन राष्ट्रीय महामंत्री विश्व हिन्दू परिषद, राम अवतार गर्ग अध्यक्ष कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन हरियाणा, सुधीर सिंगला पूर्व-विधायक गुरुग्राम, कुलभूषण सरावगी, कृष्ण सिंगला, संजय जैन, गुरु प्रसाद गुप्ता, प्रेम प्रकाश गुप्ता, डॉ. कृष्ण अग्रवाल, कार्यक्रम के संयोजक महेन्द्र लाहौरिया, दिल्ली सरकार में सचिव (राजस्व) – सह-संभागीय आयुक्त नीरज सेमवाल, देश के सुप्रसिद्ध उद्योगपति किशोर काया, लाड़ली फाउंडेशन के प्रमुख देवेन्द्र गुप्ता, अतुल गोयल, धीरज रावल वसीया, दीपक मिंडा, अरुण जैन, मनीष गोयल, अमित बंसल (सी.ए.), कृष्ण गोरखपुरिया, संजीव अग्रवाल, संजय गोयल, आर. के. बंसल, आर.पी. बंसल, सतीश अग्रवाल, संजय गर्ग, रामबाबू गुप्ता, पंकज गुप्ता, हिमान्शु सिंगल, मोहित सिंगला, गोपल अग्रवाल, कुलभूषण सरावगी, कृष्ण सिंगला, संजय जैन, गुरु प्रसाद गुप्ता, प्रेमप्रकाश गुप्ता, डॉक्टर कृष्ण अग्रवाल, कृष्णा नरेंद्र गोरखपुरिया, राज कमल सिंगला, कमल अग्रवाल, गोपाल अग्रवाल, रामबाबू गुप्ता, डॉक्टर मनदीप, राजन संजय, हनुमान गुप्ता, धीरज रावलवासिया, अनिल गोयल, अतुल गोयल, सीए अशोक कुमार गोयल, हिमांशु सिंघल, आर के बंसल, सतीश अग्रवाल, पंकज गुप्ता विकास गुप्ता, आर पी बंसल, संजय गर्ग बीट्टू, अरुण जैन, सीए अमित बंसल, महेंद्र लाहौरिया संयोजक
कार्यक्रम प्रबंधन: अमित लाहौरिया, मोहन गुप्ता, समीर अग्रवाल, मोहित सिंह, मोहित सिंगला, ललित गुप्ता, नवदीप गुप्ता, सीए मनीष गोयल, जितेन्द्र सरावगी, अभिषेक सिंगला, डॉक्टर पंकज अग्रवाल, कार्यक्रम प्रबन्धन: अमित लाहौरिया सहित गुरुग्राम कल्चरल फाउंडेशन के अधिकारी गण तथा बड़ी संख्या में उद्योगपति राम निवास मंगला, शरद गोयल, सुभाष सिंगला पूर्व पार्षद, सतपाल यादव व प्रबुद्ध गणमान्य जन उपस्थित रहे।