
फरीदाबाद : 38वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में इस बार हरियाणा जेल विभाग की प्रदर्शनी खास आकर्षण बनी हुई है। इस प्रदर्शनी में प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद कैदियों द्वारा तैयार किए गए लकड़ी के शोपीस, फर्नीचर और घड़ियां प्रदर्शित की गई हैं। इन उत्पादों को देखने और खरीदने के लिए मेले में भारी भीड़ उमड़ रही है। लोग न केवल इन वस्तुओं की गुणवत्ता की सराहना कर रहे हैं, बल्कि खरीदारी कर कैदियों का हौसला भी बढ़ा रहे हैं।
जींद जेल से आए कर्मचारी ईश्वर सिंह ने बताया कि सरकार की यह पहल कैदियों को हुनरमंद बनाकर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए की गई है। प्रदर्शनी में कैदियों द्वारा निर्मित 200 रुपये से लेकर हजारों रुपये तक के उत्पाद उपलब्ध हैं, जिन्हें लोग खूब पसंद कर रहे हैं।
सुनारिया जेल के कर्मचारी हिमांशु ने बताया कि उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर कैदियों को बांसुरी बनाना और बजाना सिखाया है। उन्होंने कहा, “बाजार में जो बांसुरी 4000 से 8000 रुपये तक मिलती है, वही हम यहां सिर्फ 1500 रुपये में उपलब्ध करा रहे हैं।”
मेले में हरियाणवी परंपरा से जुड़े पिडे (लकड़ी के छोटे स्टूल) भी विशेष आकर्षण बने हुए हैं। कई महिलाओं ने इन पिडों पर बैठकर कहा कि हरियाणा के गांवों में आज भी मेहमानों को पिडे पर बैठाया जाता है और यह बहुत आरामदायक होते हैं।
दर्शकों का कहना है कि इस तरह के प्रयास से कैदियों को एक नई दिशा मिलेगी और वे बाहर आकर अपनी आजीविका चला सकेंगे। मेले में पहुंचे आकांक्षा, बबली और अमित कुमार जैसे दर्शकों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे उत्पाद खरीदकर वे कैदियों के पुनर्वास में सहयोग कर रहे हैं।