
चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने फिलहाल बिजली दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। निकाय चुनावों को देखते हुए सरकार नहीं चाहती कि बिजली महंगी करने का असर चुनावी समीकरणों पर पड़े। इसी कारण हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग (HERC) की स्टेट एडवाइजरी कमेटी की हालिया बैठक में बिजली टैरिफ बढ़ाने पर चर्चा तो हुई, लेकिन इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया।
बैठक में बिजली कंपनियों के प्रतिनिधियों ने पीपीटी प्रेजेंटेशन के जरिए अपनी वित्तीय स्थिति और घाटे का पूरा ब्योरा पेश किया। कंपनियों ने 2025-26 के लिए कुल 4520 करोड़ रुपये की राजस्व आवश्यकता जताई। इसके बाद तय किया गया कि सरकार ही बिजली कंपनियों के घाटे की भरपाई करेगी। जल्द ही इस पर सरकार और आयोग के बीच बैठक होगी
बैठक के दौरान HERC के चेयरमैन नंदलाल शर्मा ने बिजली कंपनियों को निर्देश दिया कि औसत आपूर्ति लागत और औसत राजस्व वसूली के बीच अंतर को कम किया जाए। उन्होंने बिजली कंपनियों से विशेषज्ञ सलाहकारों की नियुक्ति करने को भी कहा, ताकि विद्युत क्षेत्र की कार्यप्रणाली को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाया जा सके।
इस बैठक में दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (DHBVN) के एमडी ए. श्रीनिवास, उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (UHBVN) के एमडी अशोक कुमार माणा और हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम (HVPNL) की एमडी आशिमा बराड़ ने अपनी प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की।
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार चुनावी माहौल में जनता पर आर्थिक बोझ नहीं डालना चाहती। अगर इस समय बिजली महंगी की जाती, तो इसका असर निकाय चुनावों में देखने को मिल सकता था। हालांकि, भविष्य में सरकार इस पर पुनर्विचार कर सकती है।