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गुरुग्राम, 18 अप्रैल। डीपीजी डिग्री कॉलेज गुरुग्राम में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन “मल्टीडिसिप्लिनरी अप्रोचेज फॉर इनोवेशन एंड सस्टेनेबिलिटी: ग्लोबल सॉल्यूशंस फॉर कंटेम्पररी चैलेंजेज (NCMIS-2025)” का सफल आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य नवाचार और सतत विकास से संबंधित समकालीन वैश्विक चुनौतियों के लिए बहु-आयामी समाधानों की तलाश करना था।
समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और स्मारिका विमोचन के साथ हुआ। उद्घाटन समारोह में कॉलेज के चेयरमैन राजेन्द्र गहलोत, वाइस चेयरमैन दीपक गहलोत, अतिथि विष्णुदत्त, प्राचार्य एस.एस. बोकेन, रजिस्ट्रार अशोक गोगिया, डीन अकादमिक डॉ. धरमबीर सिंह, डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. माधवी और डॉ. पलक महाजन एवं सम्मेलन की संयोजिका डॉ. अमिता और डॉ. रीना की गरिमामयी उपस्थिति रही।
अपने स्वागत भाषण में वाइस चेयरमैन दीपक गहलोत ने अंतरविषयी सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। प्राचार्य एस.एस. बोकेन और रजिस्ट्रार अशोक गोगिया ने शोध और नवाचार को वैश्विक समस्याओं के समाधान हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
मुख्य वक्ताओं में इग्नू के प्रोफेसर डॉ. पवनेश कुमार ने ‘सस्टेनेबिलिटी’ विषय पर आर्थिक प्रबंधन और 4R सिद्धांत (Reduce, Reuse, Recycle, Reimagine) के माध्यम से विचार प्रस्तुत किया। आईएएसआरआई के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. दिनेश ने पेटेंट और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में शोध की संभावनाओं पर चर्चा की। जी.डी. गोयनका के डिपार्मेंट ऑफ फार्मेसी से डॉ. राहुल सिंह ने सस्टेनेबल फार्मेसी प्रैक्टिस: चैलेंजिस एंड ऑपच्यूनिटीज विषय पर प्रकाश डाला।
तकनीकी सत्रों में देश के विभिन्न हिस्सों से आए विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। के.आर. मंगलम यूनिवर्सिटी की डॉ. इंदिरा भारद्वाज ने ‘ग्रीन रेज़िलिएंस’, प्रो. इंदिरा ढुल ने ‘सस्टेनेबल लिविंग के लिए शिक्षा’, जेएनयू के डॉ. भूपेंद्र चौधरी ने फसलों में जेनेटिक मोडिफिकेशन, दिल्ली विश्वविद्यालय की डॉ. दीपा खर्ब ने ‘ग्रीन टेक्नोलॉजी’, जामिया मिलिया इस्लामिया की डॉ. समीना हुसैन ने ‘वेस्ट-टू-वेल्थ इनोवेशन’, एनआईईटी की डॉ. सारिका अग्रवाल ने मशीन लर्निंग एप्लिकेशन व सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हरियाणा के डॉ. संजीव कुमार ने नई शिक्षा नीति के विषय में बहुत विस्तारपूर्वक जानकारी देकर सभी का ज्ञानवर्धन किया।
इस सम्मेलन ने विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों, शोधार्थियों और शिक्षाविदों को एक साझा मंच प्रदान किया, जहाँ सतत भविष्य के लिए एकीकृत समाधान खोजने पर विचार-विमर्श हुआ।
सम्मेलन में लगभग 290 शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए, जो विभिन्न विषयों पर केंद्रित थे और जिनमें नवाचार, पारिस्थितिकी, सामाजिक सरोकार और तकनीकी समाधान जैसे क्षेत्र शामिल थे।
सम्मेलन की समन्वयक डॉ. अमिता, डॉ. रीना, डॉ. शालिनी, डॉ. प्रिया शुक्ला, डॉ. प्रियंका, डॉ. रेखा, स्वाति, डॉ. दीपिका, पूजा, मीनू शर्मा तथा डॉ. प्रियजोत ने सम्मेलन के सफल आयोजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इसके साथ ही कॉन्फ्रेंस को सफल बनाने में रिसर्च कमेटी के सदस्य डॉ. शमा परवीन, गीतांजलि, डॉ. आशा, डॉ. शैलजा, डॉ. अनुराधा यादव, शिखा, डॉ. अंकुश और दिनेश का अहम योगदान रहा।
अंत में, सम्मेलन का धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अमिता द्वारा दिया गया, जिन्होंने सभी अतिथियों, वक्ताओं, प्रतिभागियों और आयोजकों को उनके सक्रिय सहयोग व सहभागिता के लिए धन्यवाद दिया।
कॉलेज प्रबंधन और आयोजकों की सराहनीय पहल से यह सम्मेलन न केवल शैक्षणिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक एवं पर्यावरणीय चेतना के प्रसार में भी एक मील का पत्थर साबित हुआ।