
नई दिल्ली, 21 फरवरी। इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन ने केंद्र सरकार से पत्रकारों के संरक्षण के लिए एक प्रभावी कानून बनाने की मांग की। आईजेयू का कहना है कि इस समय राजनेताओं और माफिया गिरोह एकजुट होकर प्रेस की आजादी के लिए खतरा बन गए हैं। इनके हौंसले इतने बढ़े हुए हैं कि पत्रकारो की हत्या तक की जा रही है। पत्रकारों के मामले में पुलिस की भुमिका भी नाकारात्मक है।
आईजेयू की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की 13 से 15 फरवरी तक गोवा में हुई बैठक में पारित एक प्रस्ताव में कहा गया है कि पत्रकारों को संरक्षण देने के लिए प्रभावी कानून बनाए जाने समय की मांग है।
आईजेयू के अध्यक्ष के.बी. पंड़ित ने आज यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि बैठक में आए 15 से अधिक राज्यों के वरिष्ठ पत्रकारों की राय थी की राजनेताओं और गुंडातत्वों ने एकजुट होकर प्रेस की आजादी के लिए खतरा उत्पन्न कर दिया है। ऐसे तत्वों को हतोत्साहित करने के लिए कड़ा कानून बनाए जाने की जरूरत है। जब भी पत्रकार समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए भ्रष्टाचार और समाजविरोधी कार्यों का पर्दाफाश करते हैं तो वे मीडिया को धमकाते हैं और उनको धमकाने के लिए वे हत्या तक कर देते हैं। ऐसे में पत्रकारों को कानूनी संरक्षण दिया जाना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि पत्रकारों को कम से कम 10 लाख रुपये का बीमा संरक्षण और वृद्ध पत्रकारों को 25 हजार रुपये मासिक पैंशन दिए जाना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस सम्बद्ध में राजस्थान, मध्यप्रदेश और हरियाणा सरकार ने पहल की है यह सराहनीय है। पंड़ित ने कहा कि पत्रकारों को परेशान करने के लिए राजनेता और गुंडातत्व पुलिस में उनके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करवा देते हैं, ऐसे मामले न्यायालय में सालों तक लंबित पड़े रहते हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारों के खिलाफ जब भी कोई शिकायत आती है तो डीएसपी रैंक के अधिकारी से पहले उसकी जांच होनी चाहिए और उसके बाद एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए। यदि जांच के बाद वह एफआईआर झूठी पाई जाए तो झूठी शिकायत देने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।