
नूंह, 21 फरवरी। जिला उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा के मार्गदर्शन में जिले के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को सूरजकुंड मेले का फ्री में भ्रमण करवाया जा रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह के नेतृत्व में सरकारी स्कूलों के सभी खंडों से स्कूलों को शमिल किया गया। आज सूरजकुंड मेले के लिए राजकीय विद्यालय कवरशिक्का, सीआरसी लुहिंगा कला, केकेपुर, गोदला, राजपुर, हथनगांव, बदरपुर के 640 बच्चों ने हरियाणा रोडवेज की 12 बसों से यात्रा की।
जिला शिक्षा विभाग द्वारा सूरजकुंड टूर के लिए बसों के संचालन और प्रबंधन के लिए जिला एफएलएन संयोजिका कुसुम मालिक, एईओ अमित कुमार के साथ लेक्चरर दिनेश गोयल ने रोडवेज महाप्रबंधक एकता चोपड़ा और ड्यूटी इंचार्ज महबूब खान के साथ समन्वय करके बच्चों के लिए बेहतरीन प्रबंधन किया। भ्रमण करके आई छात्राओं के साथ उनके अभिभावकों , शिक्षकों ने जिला प्रशासन का धन्यवाद किया।
जिला उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने बताया कि सूरजकुंड मेला एक अद्वितीय मेला है क्योंकि यह भारत के हस्तशिल्प, हथकरघा और सांस्कृतिक ताने-बाने की समृद्धि और विविधता को प्रदर्शित करता है, और यह दुनिया का सबसे बड़ा शिल्प मेला है। यह मेला सूरजकुंड मेला प्राधिकरण और हरियाणा पर्यटन द्वारा केंद्रीय पर्यटन, कपड़ा, संस्कृति और विदेश मंत्रालयों के सहयोग से आयोजित किया जाता है।
सूरजकुंड मेला भारत और दूसरे देशों के हस्तशिल्प के लिए जाना जाता है, जिसमें मिट्टी के बर्तन, कपड़ा, कालीन और लकड़ी का काम वाली चीजें मिलती हैं। इसके अलावा मेले में हथकरघा से जुड़ा सामान जैसे दरी मैट, कुशन, हैंड टॉवल, एप्रन, लकड़ी और लोहे के स्टूल और चेयर जैसी चीजें शामिल है। इन सभी चीजों की शॉपिंग कर सकते हैं। वहीं मेले में विदेशी नागरिक भी पहुंचते हैं, ऐसे में सूरजकुंड मेले में तुर्की के हस्तशिल्प अपनी लैंप लाइट लेकर पहुंचे हैं। भ्रमण के दौरान जिले के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों ने खूब एंजॉय किया। वहीं मेले में बने सेल्फी प्वाइंट पर अपनी सेल्फी लेकर भ्रमण को यादगार बनाया।
मेले में हरियाणवी संस्कृति को दर्शाने के लिए ‘अपना घर’ के माध्यम से विद्यार्थियों को हरियाणा की पारंपरिक जीवनशैली और ऐतिहासिक वस्तुओं के बारे में जानने का अवसर मिला । बच्चों ने हरियाणा की विभिन्न संस्कृति को देखकर अपने को आश्चर्यचकित पाया। वहीं मेले में विभिन्न राज्यों के साथ कई देशों ने भाग लिया। जिसमें विदेशी शिल्पकार और कलाकार के साथ-साथ उनके हुनर को देखा और बच्चों ने खरीददारी भी की। जिससे विद्यार्थियों को वैश्विक संस्कृतियों और कलाओं की झलक देखने को मिली।