
दादा व पिता दोनों की सेवाएं सेना को समर्पित
घर पहुंचने पर किया स्वागत
देव पंघाल की मां बोली, यह गौरवमय क्षण
इंजीनयरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़ दी एनडीए की परीक्षा
झज्जर (विनीत नरूला), 26 दिसंबर। जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिजूल है कद आसमान का। इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है झज्जर जिले के गांव सासरौली निवासी देव पंघाल ने। देव पंघाल अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी है, जोकि देश सेवा के लिए सेना में भर्ती हुआ है। देव पंघाल के दादा योगेंद्र सिंह जाट रेजिमेंट की दूसरी बटालियन में थे। उन्होंने 1962, 1965 और 1971 के युद्ध में भाग लिया था। इस कारण उनके दादा को गैलंट्री अवॉर्ड मिला था। उन्होंने सैनिक स्कूल कुंजपुरा से शिक्षा प्राप्त की थी। इसके बाद आर्म्ड फोर्स में भर्ती हुए थे।
देव पंघाल के पिता बलवान सिंह भी सेना में कर्नल की पोस्ट पर कार्यरत है। बलवान सिंह ने चेन्नई स्थित ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी से प्रशिक्षण हासिल कर 18 ग्रेनेडियर में कमिशन प्राप्त किया। इस बटालियन को कमांड करने का मौका भी मिला। वह गौरवान्वित महसूस करते हैं, जो उन्हें कारगिल युद्ध के दौरान दो चोटियों ‘तोलोलिंग और टाइगर हिल‘ में नेतृत्व करने का मौका मिला। कारगिल युद्ध में टाइगर हिल पर कब्जा करना सबसे अधिक महत्वपूर्ण था।
सेना में भर्ती हुए देव पंघाल की मां यमुना बेटे की उपलब्धि पर काफी खुश है। उनका कहना था कि उनके परिवार की तीसरी पीढ़ी ने जिस तरह से सेना में बतौर लेफ्टिनेंट के पद पर कार्यभार संभाला है वह उनके गांव, जिला, प्रदेश और देश के लिए गौरव की बात है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि उन्हें दूसरा जन्म मिला तो वह फौजी की पत्नी ही बनना चाहेंगी। कारण कि दूसरे के लिए समर्पण की भावना केवल सेना में भर्ती होने के बाद ही मिल सकती है। उन्होंने कहा कि आज हमें जरूरत है प्रदेश व देश के युवा वर्ग को नशे की चपेट में आने से बचाने की। यह तभी संभव हो पाएगा जब हम सभी मिलकर इसके लिए कार्य करें।
लेफ्टिनेंट देव पंघाल ने कहा कि उन्हें सेना में भर्ती होने की प्रेरणा अपने पिता व दादा से मिली थी। अब पास आऊट होने के बाद उनकी इच्छा यही है कि जो कुछ करूंगा देश के लिए करूंगा। उन्होंने कहा इंजीनयरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़कर एनडीए की परीक्षा दी, जिसमें वह सफल हो गया। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वह रिजल्ट के पीछे न भागे केवल और केवल मेहनत करे।