
A selective focus shot of male hands in handcuffs on a wooden table
Bilkul Sateek News
गुरुग्राम, 24 जुलाई। गुरुग्राम-फरीदाबाद में घर खरीददारों से 1000 करोड़ की ठगी की मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गुरुग्राम क्षेत्रीय कार्यालय की टीम ने रमन पुरी, वरुण पुरी और विक्रम पुरी को गिरफ्तार किया है। तीनों मेसर्स यूनिवर्सल बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटर और पूर्व निदेशक हैं। तीनों की गिरफ्तारी 22 जुलाई को एक रियल एस्टेट धोखाधड़ी मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत की गई है। तीनों के खिलाफ अदालती समन जारी हो रखा था और वे पिछले 7 साल से भी अधिक समय से फरार थे। अदालत ने तीनों को कई मामलों में भगोड़ा घोषित कर रखा था। दिल्ली पुलिस ने हाल ही में तीनों को गिरफ्तार किया। जिसके बाद ईडी ने तीनों को अपनी गिरफ्त में ले लिया था। ईडी ने तीनों के खिलाफ जारी प्रोडक्शन वारंट के आधार पर गुरुग्राम में ईडी की विशेष न्यायालय के समक्ष पेश किया। जहां से तीनों को 29 जुलाई तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया है।
ईडी ने इस मामले में 30 से ज्यादा एफआईआर के बाद जांच शुरू थी, जो मेसर्स यूनिवर्सल बिल्डवेल, उसके डायरेक्टर और प्रमोटरों के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग थानों में दर्ज है। जिनमें आरोप है कि फ्लैट और कमर्शियल प्रॉपर्टी देने का झांसा देकर सैकड़ों लोगों से पैसे वसूले गए, लेकिन आज तक प्रोजेक्ट को पूरा नहीं किया। पीड़ितों ने 2010 से पहले इसमें धन निवेश किया था, लेकिन अभी तक ना तो उन्हें मकान मिला और ना ही प्रोजेक्ट पूरा हुआ। कंपनी को बाद में दिवालिया प्रक्रिया में ले जाया गया और एनसीएलटी ने कुछ मकानों को खरीददारों को देने का आदेश दिया था और बाकी प्रॉपर्टी को लिक्विडेशन में डाल दिया था।
इस मामले की जांच में सामने आया कि कंपनी के प्रमोटरों ने 8 बड़े प्रोजेक्टों के नाम पर लोगों से 1000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा एकत्र किए थे। इनमें गुरुग्राम और फरीदाबाद के प्रोजेक्ट जैसे यूनिवर्सल ट्रेड टॉवर, यूनिवर्सल ग्रीन्स, यूनिवर्सल बिजनेस पार्क, यूनिवर्सल स्क्वायर, मार्केट स्क्वायर, औरा, द पवेलियन और यूनिवर्सल प्राइम भी शामिल हैं।
इन पैसों में से सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा ही प्रोजेक्ट पर खर्च किया गया था, बाकी पैसे तीनों ने निजी जमीन खरीदने, महंगी प्रॉपर्टी लेने और पर्सनल फायदों में खर्च किए। इतना ही नहीं, तीनों जाली दस्तावेज बनाकर प्रॉपर्टी को दो-दो बार बेचा। तीनों ने कुछ एग्रीमेंट्स पर जाली साइन करके बैंकों और निवेशकों को धोखा दिया था।
ईडी को शक है कि इस ठगी में और भी लोग शामिल हो सकते हैं।