
Bilkul Sateek News
गुरुग्राम, 7 जुलाई। जेट एयरवेज के पूर्व सीईओ संजीव कपूर ने दो दिन पहले ही एक्स हैंडल पर गुरुग्राम की सड़कों पर बिखरेगी गंदगी और उनके बीच घूमती गायों की फोटो की जारी कर पूछा था कि क्या हरियाणा ऐसे ही डिज्नीलैंड बनेगा। कूड़े की तस्वीरों के साथ ही गूगल मैप का स्क्रीनशॉट भी जिसमें उस जगह को दर्शाया गया था। सेक्टर 44 के इन कूड़े के ढेर की फोटो एक बार फिर से गुरुग्राम में बदहाल होती परिस्थितियों को पूरे देश के सामने ले आई। इन फोटो के शेयर होने के बाद लोगों ने कमेंट की बाढ़ और कईयों ने साथ में गुरुग्राम की गंदगी भरे फोटो और वीडियो टैग साथ में किए हैं। एक ने बंधवाड़ी की गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड की बदतर हालत का वीडियो भी टैग किया है।
कपूर ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘महीनों बाद, पहले से भी बदतर स्थिति। शर्म आनी चाहिए आप पर, @MunCorpGurugram @DC_Gurugram @cmohry जमीन, कर-भुगतान करने वाले नागरिकों और यहां तक कि गायों के प्रति भी कोई सम्मान नहीं है! और आप हरियाणा में डिज्नीलैंड बनाना चाहते हैं? हास्यास्पद!’
उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अपील की, उन्हें पोस्ट में टैग किया और स्वच्छ भारत मिशन के तहत त्वरित कार्रवाई का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “@narendramodi जी, कृपया कुछ कीजिए! #SwachhBharat।”
इसके बाद की पोस्ट में भी कपूर ने जिला प्रशासन की तीखी आलोचना करते हुए ऐप के माध्यम से कचरा रिपोर्ट करने के विचार का उपहास किया। उन्होंने व्यंग्यात्मक रूप से कहा कि अधिकारी वास्तविकता से बेखबर लगते हैं, उन्होंने सुझाव दिया कि वे ‘आंखों पर पट्टी बांधकर गाड़ी चला रहे हैं’। कपूर ने कहा कि इस तरह के ऐप के लॉन्च की संभावना प्रचारित की जाएगी और अधिकारी वास्तव में समस्या का समाधान किए बिना ही अपना काम पूरा मान लेंगे।
वहीं, एक ने अपने कमेंट में कहा, ‘मिलेनियम सिटी में मिलेनियम का मतलब है सड़कों पर भरा ढेर सारा कचरा।’ दूसरे ने कहा, ‘पोस्ट की सराहना करता हूं सर। दुख की बात है कि कुछ नहीं होगा। पूरा शहर इसी तरह दिखता है। सभी ग्रीन बेल्ट को कूड़े के ढेर में बदल दिया गया है! कुछ महीने पहले गुरुग्राम आया हूं और अभी से पछता रहा हूं।’
एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘गिरती अचल संपत्ति को बेचने के लिए ‘डिज्नीलैंड-शैली’ के मनोरंजन पार्क का विपणन करने के बजाय, वे मौजूदा शहर का ख्याल क्यों नहीं रख सकते? हम फैंसी विकास की भी मांग नहीं कर रहे हैं – बस पहले की तरह सफाईकर्मियों को काम पर रखें और गुड़गांव को साफ रखें!’
एक अन्य ने टिप्पणी की, ‘संभवतः अब समय आ गया है कि शीर्ष मेट्रो शहरों में नगर निगमों का निजीकरण कर दिया जाए। जवाबदेही लागू करना ही एकमात्र समाधान है। यदि बिजली वितरण कंपनियों को निजी क्षेत्र को सौंपा जा सके, तो ऐसा करना बहुत आसान हो जाएगा।’