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पलवल (अजय वर्मा), 12 दिसंबर। बागवानी विभाग पलवल लगातार किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित किर रहा है। जिससे यहां के किसानों का रुझान मधुमक्खी पालन की ओर बढ़ रहा है।
बागवानी विभाग के जिला सलाहकार कृष्ण कुमार ने बृहस्पतिवार को फील्ड विजिट के दौरान मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों को जागरूक करते हुए कहा कि मधुमक्खी पालन एक वैज्ञानिक और फायदेमंद व्यवसाय है। जिसे सही जानकारी और प्रशिक्षण के साथ शुरू करके अच्छी आय अर्जित की जा सकती है और बागवानी को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। बागवानी विभाग द्वारा मधुमक्खी पालन करने के लिए किसानों को 85 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जा रही है।
कृष्ण कुमार ने कहा कि मधुमक्खी पालन एक लाभदायक व्यवसाय है जिसमें शहद, मोम और अन्य उत्पादों के लिए मधुमक्खी कॉलोनियों (छत्तों) का रखरखाव किया जाता है। जिसे कम जगह और कम लागत में शुरू किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए उचित प्रशिक्षण और मधुमक्खी के प्राकृतिक भोजन स्रोतों (फूलों) की उपलब्धता आवश्यक है; सरकार भी इस व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी प्रदान करती हैं।
उन्होंने बताया कि पलवल जिले के गांव आमरू के प्रगतिशील किसान आकाश और गांव चांदहट के किसान समयवीर मधुमक्खी का पालन कर रहे हैं। किसानों ने 50 मधुमक्खी के बक्सों से यह कार्य शुरू किया था और 2200 बक्सों तक पहुंच गए हैं। किसानों का यह शहद प्राकृतिक है जिसकी बाजार में कीमत करीब 600 रुपये प्रति किलोग्राम है। किसान शहद का उत्पादन कर डाबर व पतंजलि को सप्लाई भी कर रहे हैं। मधुमक्खी पालन करने से किसानों को आर्थिक लाभ पहुंच रहा है। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी की खेती करें और मधमुक्खी पालन कर लाभ उठाएं।
गांव आमरू के प्रगतिशील किसान आकाश कटारिया ने बताया कि दो सालों से मधुमक्खी फार्मिंग कर रहे हैं। उन्होंने बागवानी विभाग के मधुमक्खी पालन केंद्र रामनगर कुरुक्षेत्र से सात दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त किया था। बागवानी विभाग द्वारा मधुमक्खी का पालन करने के लिए 85 प्रतिशत अनुदान दिया था। उन्होंने बताया कि चार बॉक्स से मधुमक्खी का पालन शुरू किया और वर्तमान में 120 बॉक्स के साथ मधुमक्खी का पालन कर रहे हैं। जुनून के साथ मधुमक्खी पालन के कार्य को कर रहे हैं। मधुमक्खी का प्राकृतिक शहद तैयार कर रहे हैं। सीजन के हिसाब से अलग-अलग फ्लेवर का शहद तैयार किया जा रहा है। बाजार में प्राकृतिक शहद की मांग लगातार बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि एक बॉक्स से साल भर में 50 किलोग्राम शहद तैयार हो जाता है।
गांव चांदहट के प्रगतिशील किसान समयवीर ने बताया कि पिछले 30 साल से मधुमक्खी का पालन कर रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा मधुमक्खी पालन के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन एक अच्छा कार्य है। उन्होंने मधुमक्खी पालन के 2200 बॉक्स लगाए हुए हैं। किसानों को मधुमक्खी पालन के बारे में जागरूक किया जा रहा है। किसान मधुमक्खी पालन कर आर्थिक रूप से मजबूत बन सकते हैं।



