
मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली वाहिका अवरुद्ध होने से होता है Ischemic Stroke
सर्जरी में देरी होने से जीवनभर बिस्तर तक सिमटकर रह जाता है मरीज
डॉक्टरों ने Mechanical Thrombectomy की मदद से किया सफल उपचार
फरीदाबाद (अजय वर्मा), 24 फरवरी। फरीदाबाद के Fortis Escorts Hospital में डॉक्टरों ने ischemic stroke से पीड़ित 45 वर्षीय मरीज का सफल उपचार किया है। ischemic stroke तब होता है जब मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली एक वाहिका अवरुद्ध हो जाती है। ऐसे में सर्जरी में देरी होने से मरीज जीवनभर बिस्तर तक सिमटकर रह जाता है। डॉक्टरों ने mechanical thrombectomy की मदद से मरीज का सफल उपचार किया। सर्जरी लगभग आधे घंटे तक चली और एक सप्ताह बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
इस केस की जानकारी देने ओर लोगों को गंभीर स्ट्रोक की समस्या का एडवांस मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी से सफल उपचार को लेकर लोगों को जागरूक के लिए आज प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। साथ ही इलाज करवाने वाले मरीज और उसकी बेटी के सुखद अनुभवों को भी सांझा किया गया।
प्रेसवार्ता में न्यूरोलॉजी एंड हेड न्यूरो इंटरवेंशन के विशेषज्ञ डॉ. विनीत बांगा ने बताया कि यह एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है। अस्पताल में मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी (यह इस्केमिक स्ट्रोक के बाद, ब्रेन से रक्त के थक्कों को निकालने की मिनीमली इन्वेसिव प्रक्रिया है) की मदद से मरीज का सफल उपचार किया गया। यह सर्जरी लगभग आधे घंटे चली और एक सप्ताह बाद, मरीज को स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
मरीज को शरीर और चेहरे के दाएं भाग में कमजोरी महसूस होने तथा बोलने में असमर्थता महसूस करने के बाद फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में तत्काल मरीज का सीटी स्कैन, सीटी एंजियोग्राफी और सीटी परफ्यूजन किया गया, ताकि उनके ब्रेन को हुए नुकसान तथा ब्रेन को रक्त सप्लाई करने वाली अवरुद्ध वाहिकाओं का मूल्यांकन हो सके। इन जांचों से पता चला कि उनके ब्रेन को रक्त सप्लाई करने वाली प्रमुख वाहिका में अवरोध थे और साथ ही, उनके ब्रेन के कई हिस्सों को नुकसान की संभावना भी थी।
इस जांच के बाद, तत्काल ब्रेन सर्जरी करने का फैसला लिया गया ताकि मरीज के ब्रेन को और नुकसान से बचाया जा सके। सर्जरी में देरी से मरीज जीवनभर बिस्तर तक सिमटकर रह जाता। इस सर्जरी के बाद, मरीज की सही ढंग से रिकवरी होने लगी और उनकी कंडीशन में भी धीरे-धीरे सुधार हुआ है।
डॉ. विनीत बांगा ने बताया कि हमने थ्रोम्बेक्टोमी प्रक्रिया की मदद से मरीज का उपचार किया। इसमें एक छोटी सुई को मरीज के पैर में डाला गया। इस सुई में महीन ट्यूब्स (वायर, पाइप और कैथेटर) को पिरोया गया था जो रक्त वाहिकाओं में फंसे रक्त के थक्कों को सोखने के लिए थीं। यह प्रक्रिया काफी जटिल किस्म की थी, और इसे दक्षता के साथ अनुभवी हाथों से अंजाम देना जरूरी था, क्योंकि मामूली चूक से भी ब्रेन में हेमरेज का खतरा था जो जीवनघाती साबित हो सकता था। सर्जरी में देरी होने पर भी मरीज के आईसीयू में वेंटिलेटर पर निर्भरता और बिस्तर तक सिमटकर रह जाने का खतरा था।”
डॉ बांगा ने कहा कि इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी ने स्ट्रोक के इलाज में क्रांति कर दी है, खासतौर से इस्केमिक स्ट्रोक के मामलों में तो यह बेहद लाभदायक है क्योंकि ऐसे में हर मिनट महत्वपूर्ण होता है। मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी से हमें ब्रेन को रक्त प्रवाह रोके बगैरह ही रक्त के थक्के हटाने में मदद मिली और इसके परिणामस्वरूप ब्रेन को नुकसान होने से बचाव हो सका। इस मामले में, समय पर हस्तक्षेप करने से न सिर्फ मरीज की मोबिलिटी (चलने-फिरने की क्षमता) और स्पीच (बोलने की क्षमता) को लौटाया जा सका, बल्कि उन्हें आजीवन विकलांग होने से भी बचा लिया गया। ऐसी एडवांस प्रक्रियाओं से स्ट्रोक मरीजों का जीवन बचाने की संभावना में काफी सुधार होता है और उनकी जीवन गुणवत्ता भी बेहतर बनती है।