सुसाइड नोट में नहीं था अमित का नाम
मध्यप्रदेश के इंदौर की रहने वाली थी पूजा
पांचवीं मंजिल से गिरकर हुई थी मौत
उस समय फ्लैट में ही मौजूद था अमित
साथ में पूजा की एक पत्रकार मित्र भी थी मौजूद
अनुज मिश्रा के साथ भ्रूण हत्या पर किया था स्टिंग ऑपरेशन
स्टिंग ऑपरेशन के बाद से पूजा को मिल रही थी धमकियां
डॉक्टरों ने लगाया था पूजा पर उगाही का आरोप
वेब पोर्टल ने निकाल दिया था नौकरी से
Bilkul Sateek News
फरीदाबाद (अजय वर्मा), 7 मार्च। बहुचर्चित पत्रकार पूजा तिवारी आत्महत्या मामले में 9 साल बाद फैसला आया है। अतिरिक्त सत्र न्यायालय के न्यायमूर्ति एसके शर्मा की अदालत ने आरोपी हरियाणा पुलिस इंस्पेक्टर अमित कुमार को बरी कर दिया। एफआईआर और पूजा तिवारी के सुसाइड नोट में अमित का नाम न होने व क्राइम सीन रिक्रिएट में उसकी भूमिका नहीं मिलने की वजह से यह फैसला सुनाया। अमित के वकील ने बहस के दौरान इन्हीं दलीलों को अदालत के समक्ष रखा था। वहीं, दूसरी ओर पूजा के पिता रवि तिवारी का कहना है कि केस को इतने लंबे समय तक लटकाया गया। उनकी बेटी को न्याय नहीं मिला। वह फैसले के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट जाएंगे।
वर्ष 2016 में पत्रकार पूजा तिवारी की मौत आज तक एक रहस्य बनकर रह गई है कि पूजा तिवारी ने पांचवीं मंजिल से कूद कर जान दी थी या फिर उसको किसी ने धक्का देकर मारा होगा। इस मामले में पूजा तिवारी के एक नजदीकी माने जाने वाले हरियाणा पुलिस के इंस्पेक्टर अमित पर पूजा के पिता ने प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप लगाए थे और उसी के द्वारा पूजा को उसके फ्लैट से धक्का मारने के आरोप लगाकर मामला दर्ज करवाया था। पिछले नौ साल से यह मामला अंडर ट्रायल चल रहा था और सबूतों अभाव में अदालत ने इंस्पेक्टर अमित को बरी कर दिया। इसी बात की जानकारी देने के लिए इंस्पेक्टर अमित के पक्ष के वकीलों ने आज प्रेसवार्ता कर जानकारी दी और अदालत के इस फैसले का सम्मान किया और कहा कि आज नौ साल बाद इंस्पेक्टर अमित को इस झूठे केस से अदालत ने अमित के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं होने के कारण बरी कर दिया है।
वकीलों ने कहा कि इस मामले में उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आखिरकार अमित को इस मामले में क्यों शामिल किया गया, जबकि पूजा ने सुसाइड नोट में मरने से पहले कुछ लोगों के नाम साफ-साफ लिखे थे, लेकिन इसके बावजूद आजतक उन लोगों को आरोपी समझ कर उन पर कोई कार्रवाई नहीं शुरू हुई। उन्होंने कहा कि पूजा तिवारी एक निडर पत्रकार थीं और उसने किसी मामले को लेकर कुछ डॉक्टरों का स्टिंग ऑपरेशन किया था। जिसके बाद एक अन्य पत्रकार और उक्त डॉक्टरों के द्वारा उस पर किसी तरह का दबाव दिया जा रहा था जिसके चलते पूजा तिवारी ने आत्महत्या की थीं। पूजा ने उन लोगों के नाम भी सुसाइड नोट में लिखे थे। इस फैसले के बाद परिजनों द्वारा हाईकोर्ट में जाने के सवाल पर उन्होंने अपनी संवेदना पूजा के पिता के साथ जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी बेटी को खोया है और उन्हें इस केस को अपने वकीलों की राय के हिसाब से आगे जरूर लेकर जाना चाहिए यह उनका अधिकार है। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि आज अदालत ने इंस्पेक्टर अमित को बरी करके ये बता दिया है कि कानून किसी के साथ अन्याय नहीं करता, हां देरी जरूरी होती है लेकिन अंत में पीड़ित को न्याय जरूर मिलता है।
बता दें कि एक मई 2016 को पत्रकार पूजा तिवारी की सेक्टर-46 स्थित सद्भावना अपार्टमेंट की पांचवीं मंजिल से गिरकर मौत हो गई थी। पूजा एक वेब पोर्टल की रिपोर्टर थीं। घटना के समय उनकी एक पत्रकार दोस्त और फरीदाबाद पुलिस लाइन में तैनात इंस्पेक्टर अमित कुमार भी मौजूद थे। उस वक्त पूजा के पिता रवि तिवारी ने सूरजकुंड पुलिस को दी शिकायत में कहा था कि उनकी बेटी को आईएमए के पूर्व चीफ समेत तीन डॉक्टरों ने आत्महत्या के लिए मजबूर किया था। पूजा और उनके पत्रकार दोस्त अनुज मिश्रा ने मार्च में इन डॉक्टरों के खिलाफ भ्रूण हत्या मामले का एक स्टिंग ऑपरेशन किया था। डॉक्टरों ने साजिश के तहत उनकी बेटी पर दो लाख रुपये उगाही करने का आरोप लगाकर सेंट्रल थाने में केस दर्ज कराया था। महिला डॉक्टर सेक्टर-17 में नर्सिंग होम चलाती हैं। वेब पोर्टल ने बेटी को नौकरी से निकाल दिया था। इससे वह मानसिक तौर पर काफी परेशान थी। पिता के मुताबिक, घटना से महज 20 दिन पहले ही पूजा सद्भावना अपार्टमेंट में शिफ्ट हुई थी।



