
Bilkul Sateek News
गुरुग्राम : भ्रष्टाचार का दीमक जिस पर लगता है, वह पूरी तरह से बर्बाद और तबाह हो जाता है। कुछ ऐसा ही नजारा दिल्ली-जयपुर हाइवे स्थित हीरो होंडा चौक फ्लाईओवर पर नजर आ रहा है। यह फ्लाईओवर जब से बना है, लगातार धंसता जा रहा है। जयपुर से दिल्ली की दाईं तरफ की लेन पर 200 मीटर में दो जगह पर धंस गया है। लेन पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने इस लेन की बेरीकेडिंग करके यातायात संचालन को बंद कर दिया है। वहीं, इस लेन के साथ लगती एक अन्य लेन पर खस्ताहाल नजर आ रही है, जिसके धंसने की आशंका बनी हुई है। फ्लाईओवर के धंसने का मामला शुक्रवार को सामने आया था।
गुरुग्राम पुलिस की सूचना पर एनएचएआई के अधिकारी मौके पर पहुंचें। अधिकारियों ने फ्लाईओवर की बेरीकेडिंग करवा दी। यातायात डायवर्ट कर दिया गया है। एनएचएआई ने लेन पर बने बड़े-बड़े दो गड्ढों को ढक दिया है। लेकिन, सवाल यह है कि आखिर कब तक लोगों को इस फ्लाईओवर पर इसी तरह खतरे के साथ सफर करना पड़ेगा।
साल 2017 में इस फ्लाईओवर को यातायात के लिए खोला गया था। तब से इसके क्षतिग्रस्त होने का सिलसिला शुरू हो गया। अब तक पांच बार यह हाइवे क्षतिग्रस्त हो चुका है। इस मामले में एनएचएआई के एक अधिकारी का कहना है कि मामले से उच्चाधिकारियों को सूचित कर दिया है। विशेष विशेषज्ञों की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करने का आग्रह किया है। क्षेत्रीय अधिकारी ने समिति का गठन करना है।
आठ मई, 2019 की रात को इस फ्लाईओवर का एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। 25 मई को आरटीआई कार्यकर्ता रमेश यादव की शिकायत पर थाना सेक्टर-37 पुलिस ने मामला दर्ज किया था। इस मामले में निर्माता कंपनी के चार अधिकारियों को गिरफ्तार किया था, जिसे बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया।
इस मामले की अगली सुनवाई अदालत में 14 फरवरी को निर्धारित है। मामले में खास बात यह है कि एफआईआर होने के चार साल बाद पुलिस ने अदालत में इस मामले में चालान प्रस्तुत किया था। फिलहाल इस मामले के चारों आरोपी 30-30 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत पर हैं। RTI कार्यकर्ता रमेश यादव का कहना है कि जब से इस फ्लाईओवर को यातायात के लिए खोला गया है, तब से इसके धंसने का सिलसिला जारी है। इस हाइवे के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ है।
उनका कहना है कि इस मामले में उनकी शिकायत पर जो एफआईआर दर्ज की गई थी। निर्माण एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ तो कार्रवाई की गई थी। लेकिन, NHAI के किसी भी अधिकारी को शामिल नहीं किया। उनकी मांग है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और विभागीय अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी वाहिए।