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गुरुग्राम, 22 अक्टूबर। गुरुग्राम में बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली की तर्ज पर कृत्रिम बारिश पर विचार किया जा रहा है। नगर निगम कमिश्नर प्रदीप दहिया ने शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस विषय पर चर्चा भी की है। दीवाली के बाद से गुरुग्राम में वायु में प्रदूषण का स्तर लगातार खराब बना हुआ है।
शहर के कुछ इलाकों में रात के समय एक्यूआई 400 के खतरनाक स्तर तक पहुंच रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर है। फिलहाल गुरुग्राम में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के चरण दो के नियम लागू हैं। इन नियमों के तहत निर्माण कार्यों पर आंशिक प्रतिबंध, डीजल जनरेटर के उपयोग पर रोक और सड़कों पर पानी का छिड़काव जैसे कदम शामिल हैं।
शहर में मुख्य सड़कों की सफाई को पूरी तरह मैकेनाइज्ड करने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। इससे पदूषण का एक प्रमुख कारण सड़कों पर जमे धूल को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। हालांकि, बढ़ते एक्यूआई स्तर को देखते हुए प्रशासन को और सख्त कदम उठाने की जरूरत महसूस हो रही है।
पिछले साल गुरुग्राम की कुछ रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) ने अपने स्तर पर कृत्रिम बारिश करवाई थी। जिससे प्रदूषण के स्तर में कुछ कमी देखी गई थी। इसको देखते हुए नगर निगम अब इसे बड़े पैमाने पर लागू करने की योजना बना रहा है। कृत्रिम बारिश के जरिए हवा में मौजूद प्रदूषक कणों को कम करने में मदद मिलती है, जिससे शहरवासियों को साफ हवा मिल सके।
जिला अस्पताल के पीएमओ डॉ. लोकवीर का कहना है कि जिले में प्रदूषण के कारण सांस संबंधी बीमारियों में वृद्धि देखी जा रही है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों में खांसी जुकाम, गला खराब और बुखार हो रहा है। आमजन से आग्रह है कि प्रदूषण से बचाव के उपायों पर अमल करें।
नगर निगम कमिश्नर प्रदीप दहिया ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा प्रदान की गई राशि से 10 इंटीग्रेटेड एंटी-स्मॉग गन मशीनें खरीदी जा रही हैं, जो जल्द ही शहर में धूल और प्रदूषण को कम करने के लिए काम शुरू करेंगी। ये मशीनें पानी की बारीक बूंदों के जरिए हवा में मौजूद प्रदूषक कणों को जमीन पर लाने में सहायक होंगी।



