
अंबाला : अमेरिका ने हाल ही में हरियाणा के 110 युवकों को डिपोर्ट किया है। इस प्रक्रिया का तीसरा जत्था रविवार को भारत पहुंचा। अमेरिकी विमान ने एक बार फिर अमृतसर एयरपोर्ट पर लैंड किया, जहां इन भारतीयों का वेरिफिकेशन किया गया। इसके बाद उन्हें हरियाणा लाने के लिए वोल्वो बसों में भेजा गया।
पहले के मुकाबले, इस बार हरियाणा सरकार ने इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाते हुए कैदी वैन की बजाय वोल्वो बसों का इंतजाम किया। इससे पहले, हरियाणा सरकार ने अमेरिका से डिपोर्ट हुए युवाओं को लाने के लिए कैदी वैन भेजी थी, जिस पर पंजाब के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने इस पर सवाल उठाया था कि इन युवाओं को अपराधियों की तरह कैदी वैन में क्यों लाया जा रहा है, जबकि वे अपने ही भाई-बहन हैं और उन्हें सम्मान से लाना चाहिए।
धालीवाल ने कहा था, डिपोर्ट होने वाले लोग अपराधी नहीं हैं, वे हमारे अपने लोग हैं। उनके लिए इस तरह की बसें भेजना उचित नहीं है। क्या हरियाणा के पास इतनी छोटी बात के लिए कोई ठीक बस नहीं थी? उन्होंने हरियाणा सरकार से यह आग्रह किया था कि वे इस पर ध्यान दें और इन युवाओं को सम्मानपूर्वक लाएं। पंजाब के मंत्री के इस सवाल पर हरियाणा सरकार ने तत्परता दिखाते हुए इस बार वोल्वो बसों का इंतजाम किया। हरियाणा के परिवहन मंत्री अनिल विज ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पहले उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं थी, लेकिन अब इस पर जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
इस बार, हरियाणा के युवकों को अमृतसर एयरपोर्ट से वोल्वो बसों के जरिए उनके घर भेजा गया। इस परिवर्तन को लेकर राज्य के अंदर बस विवाद अब शांत होता हुआ दिखाई दे रहा है। कुलदीप सिंह धालीवाल के सवाल का असर साफ देखा गया, और हरियाणा सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि डिपोर्ट किए गए युवाओं को सम्मानजनक तरीके से उनके राज्य लाया जाए।