“री-एसेट्स इंडिया 2025” सम्मेलन में महानिदेशक हेमंत जैन ने बताया मैनपावर का महत्व
Bilkul Sateek News
फरीदाबाद (अजय वर्मा), 11 दिसंबर। राष्ट्रीय विद्युत प्रशिक्षण संस्थान (NPTI) के महानिदेशक हेमंत जैन ने “री-एसेट्स इंडिया 2025” सम्मेलन में भारत के एनर्जी ट्रांज़िशन के अगले चरण को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए विशेष रूप से मैनपावर की आवश्यकता पर जोर दिया। जैन ने कहा कि भारत के महत्वाकांक्षी स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य को प्राप्त करना और देश के लिए एक स्थिर, गुणवत्तापूर्ण और टिकाऊ शक्ति आपूर्ति सुनिश्चित करना तभी संभव है जब इस सेगमेंट में कुशल मैनपावर की कमी को सकारात्मक रूप से भरा जाए।
अपने संबोधन में हेमंत जैन ने रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपर्स और इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स की लागत समानता हासिल करने में अपार सफलता की सराहना की, जिससे रिन्यूएबल एनर्जी की सिस्टम लागत पारंपरिक स्रोतों के बराबर हो गई है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों की दिशा में एक बड़ा कदम है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि रिन्यूएबल एनर्जी के व्यापक एकीकरण के मार्ग में अभी भी कई जटिल चुनौतियाँ मौजूद हैं। इन चुनौतियों में 24*7 भरोसेमंद बिजली आपूर्ति, पावर बैलेंसिंग, पीक डिमांड को पूरा करना और वेरिएबल रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों का मज़बूत ग्रिड इंटीग्रेशन शामिल हैं।
एनपीटीआई विशेष रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से अगली पीढ़ी के पावर सेक्टर प्रोफेशनल्स के निर्माण में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है।
भारत की ऊर्जा संक्रमण आवश्यकताओं के अनुरूप एनपीटीआई ने अपने शैक्षिणिक कार्यक्रम डिज़ाइन किए हैं। इनमें प्रमुख रूप से पावर मैनेजमेंट में एमबीए और रिन्यूएबल एनर्जी और ग्रिड इंटीग्रेशन टेक्नोलॉजी में पीजीडीसी शामिल हैं। एमबीए प्रबंधन, वित्त और ऊर्जा रणनीति कौशल को सुदृढ़ करता है। तो वहीं पीजीडीसी तकनीकी और व्यावसायिक दोनों आयामों को कवर करता है। ये शैक्षिणिक कार्यक्रम न केवल तकनीकी ज्ञान प्रदान करते हैं बल्कि कमर्शियल, पॉलिसी और रेगुलेटरी पहलुओं पर भी मजबूत समझ विकसित करते हैं, ताकि भारत के पावर सेक्टर में एक समग्र और गुणात्मक परिवर्तन सुनिश्चित किया जा सके।
जैन ने स्पष्ट किया कि इन चुनौतियों का समाधान केवल तकनीकी नवाचार से नहीं हो सकता, बल्कि इसके लिए एक विशेषीकृत, अत्यंत कुशल मानव संसाधन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत को अगले दशक में अपनी रिन्यूएबल ऊर्जा अवसंरचना को मजबूती से विकसित करने के लिए ऐसे पेशेवरों की आवश्यकता है जिनमें तकनीकी दक्षता के साथ-साथ कमर्शियल, पॉलिसी और रेगुलेटरी समझ भी हो।



