अजय वर्मा
बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के हिन्दू राष्ट्र की मांग के बाद अब किसान राष्ट्र की मांग उठी है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज के शिष्य शैलेन्द्र योगिराज सरकार व विश्व के पहले किसान पीठाधीश्वर किसानाचार्य शैलेन्द्र योगिराज सरकार महाराज ने यह मांग की है। और कहा है कि हिन्दू राष्ट्र से लोगों का पेट नहीं भरेगा। लोगों का पेट किसानों से ही भरेगा। और बार बार हिन्दू राष्ट्र की मांग से देश में अशांति जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। हो सकता है कि हिन्दू राष्ट्र के बाद मुस्लिम राष्ट्र, सिख राष्ट्र, ईसाई राष्ट्र, बौद्ध राष्ट्र आदि की मांग उठने लगे और देश में हालात बिगड़ जाए। फिर भी प्रजातंत्र है सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है और लोग अपनी बात कहते भी हैं। इसी प्रकार धीरेन्द्र शास्त्री भी अपनी बात कह रहे हैं। जबकि वहीं मेरा ऐसा मानना है कि किसान राष्ट्र बनने से एकता आएगी। क्योंकि हिन्दू भी किसान होता है। मुसलमान भी किसान होता है। सिख भी किसान होता है। ईसाई भी किसान होता है और किसान राष्ट्र बनने से सभी में एकता भी बनी रहेगी। और यह भी कहा कि मैं हाथ जोड़कर सभी संतों से कहना चाहता हूं कि जो संत महात्मा हिन्दू राष्ट्र के लिए लगे हैं उन्हें सबसे पहले किसान राष्ट्र की मांग करनी चाहिए। किसान का ही पैदा किया हुआ सभी संत महात्मा भी खाते है। तो सबसे पहले किसानों के हित के लिए किसान राष्ट्र की मांग संतों को करनी चाहिए। क्योंकि किसान संत महात्माओं का सम्मान करता है। संतों के भोजन के लिए अन्न और संतों के फलाहार के लिए फल दूध दही और संतों के पूजा पाठ के लिए पूजन सामग्री भी किसान ही उत्पन्न करता है। किसान किसी के लिए कुछ भी हो, लेकिन हमारे लिए भगवान से कम नहीं क्योंकि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि सभी के अंदर ईश्वर का वास होता है। और रही बात हमारी तो हम सभी के अंदर ईश्वर का स्वरूप देखते हैं। हां एक बात और बता दूं हिन्दू राज्य तो कंस का भी था रावण का भी था। तब क्या हुआ था सबको पता है कितने खराब हालात थे। भगवान को जन्म लेना पड़ा था इनका अत्याचार और पापाचार खत्म करने के लिए। इसलिए अब कलयुग में किसानाअवता हो रहा है देश में एकता के लिए। देश में एकता का कोई दूसरा रास्ता नहीं है। किसान राष्ट्र ही एक ऐसा माध्यम है जिससे सभी को एकता के सूत्र में बांधा जा सकता है। क्योंकि देश की 70 प्रतिशत आबादी गांव में बसती है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है। भारत गांव में बसता है। भारत की आत्मा प्राण प्रतिष्ठा यूं कहें तो भारत की जान किसानों में बसती है। देश की आर्थिक समृद्धि और खुशहाली और विकास का रास्ता हमारे गांव से होकर गुजरता है। यह अन्नदाता देश का भाग्य विधाता है। और भी सच कहूं तो बड़े बड़े ऋषि मुनि मनीषी विद्वान डाक्टर इंजीनियर वैज्ञानिक जज और आप जैसे बड़े बड़े पत्रकार भी किसानों के ही वंशज हैं। शास्त्रों में यहां तक कहा गया है कि अन्नम ब्रह्म। अन्न ब्रह्म है। अन्न से रस, रस से रक्त, रक्त से मांस, मांस से मेंद, मेंद से हड्डी, हड्डी से मज्जा, मज्जा से वीर्य। और फिर मैथुनी प्रकिया से अब सृष्टि बढ़ रही है। शास्त्रों में तो यहां तक कहा गया है कि कलयुग में प्राण अन्न में ही रहेगा। क्योंकि सतयुग में प्राण हड्डियों में रहता था। त्रेतायुग में प्राण रक्त में रहता था। द्वापर युग में प्राण मांस में रहता था। और अब कलयुग में प्राण अन्न में है। अन्न से ही जीवन का अस्तित्व बना रह सकता है। अन्न के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। अतः प्राण शक्ति सम्पन्न अन्न से ही जीवन का उद्गम और रक्षण होता है। अतः अन्न को ब्रह्म के रूप में कहा गया है। और इस अन्न को अन्नदाता किसान पैदा करता है। कल्पना कीजिए अगर किसान ने खेती करना बंद कर दिया तो देश में क्या हालात हो जाएंगे। त्राहि त्राहि मच जाएगी। इसलिए किसान राष्ट्र बनाना जरूरी है। जिस प्रकार से गुरु मनुष्य होते हुए भी मनुष्य नहीं है। ईश्वर तुल्य है। उसी प्रकार से किसान मनुष्य होते हुए भी मनुष्य नहीं है वह अन्नदाता है किसान देवता हैं। किसान देश का भाग्यविधाता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैं उत्तर प्रदेश प्रतापगढ़ जिले के गांव सरायमहेश पट्टी में विश्व का पहला अन्नदाता किसान देवता का मंदिर बनवा रहा हूं। सरकार ने पत्रकारों को चौथे स्तंभ की मान्यता नहीं दी है केवल हम जनता ही है जो पत्रकारों को चौथा स्तंभ कहते हैं। किसान राष्ट्र में हम संविधान में संशोधन कर पत्रकारों को चौथे स्तंभ की मान्यता देंगे और सभी सुविधाएं भी।



