
कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर लोकतंत्र को एक झटके में तानाशाही में बदल दिया
कांग्रेस ने लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को बंधक बनाकर सत्ता के आगे घुटने टेकने पर मजबूर किया
आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर गुरुग्राम स्थित भाजपा कार्यालय गुरुकमल में गोष्ठी का आयोजन
1975 में आपातकाल लगाकर कांग्रेस ने लोकतंत्र की हत्या की थी
Bilkul Sateek News
गुरुग्राम, 25 जून। कांग्रेस द्वारा लगाए गए आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर गुरुग्राम स्थित भाजपा कार्यालय गुरुग्राम में आज गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिला अध्यक्ष सर्वप्रिय त्यागी की अध्यक्षता में हुई गोष्ठी में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और प्रदेश सचिव गार्गी कक्कड़ मुख्य वक्ता के तौर पर पहुंचे। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि इंदिरा गांधी ने सत्ता बचाने की हताशा में देश पर आपातकाल थोपा था। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने ’आंतरिक अशांति’ की आड़ लेकर अनुच्छेद 352 का दुरुपयोग किया। राव ने गोष्ठी से पहले प्रेसवार्ता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आपातकाल लगाना राजनीतिक दृष्टि से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का घातक निर्णय था। प्रेसवार्ता के दौरान केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के साथ जिला अध्यक्ष सर्वप्रिय त्यागी, विधायक मुकेश शर्मा, मेयर राजरानी मल्होत्रा और जिला उपाध्यक्ष अजीत यादव मौजूद रहे।
राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि आपातकाल के दौरान 1 करोड़ 7 लाख लोगों की नसबंदी की गई। 26 हजार नेताओं के अलावा 2 लाख लोगों को आपातकाल का विरोध करने पर जेलों में ठूंसा गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने इस काले अध्याय में न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं को रौंदा, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचलकर यह स्पष्ट कर दिया कि जब-जब कांग्रेस की सत्ता संकट में होती है, कांग्रेस संविधान और देश की आत्मा को ताक पर रखने से पीछे नहीं हटते।
राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि जिस संविधान की शपथ लेकर इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी थीं, उसी संविधान की आत्मा को कुचलते हुए उन्होंने लोकतंत्र को एक झटके में तानाशाही में बदल दिया और चुनाव में दोषी ठहराए जाने के बाद नैतिकता से इस्तीफा देने के बजाय पूरी व्यवस्था को ही कठपुतली बनाकर रखने का षड्यंत्र रच दिया। उन्होंने कहा कि आज भी कांग्रेस शासित राज्यों में कानून व्यवस्था का हाल यह है कि वहां विरोध का दमन, धार्मिक तुष्टीकरण और सत्ता का अहंकार खुलेआम दिखता है। यह सब आपातकालीन सोच की ही उपज है।
राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि कांग्रेस शासन में लोकतंत्र का ऐसा पतन हुआ कि जेलों में बंद लोगों को अपने परिजनों की अंतिम क्रिया में शामिल होने तक की अनुमति नहीं दी गई और इन लोगों में वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तक शामिल थे। राजनाथ सिंह ने खुद खुलासा किया है कि उन्हें उनकी माताजी की अंत्येष्टि में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई। राव ने कहा कि जो संविधान बाबा साहेब अंबेडकर ने जनता को अधिकार देने के लिए बनाया था, कांग्रेस ने उसी को हथियार बनाकर जनता के अधिकार छीन लिए।
सत्ता बचाने की बौखलाहट में इंदिरा गांधी ने देशा पर थोपा था आपातकाल
प्रदेश सचिव गार्गी कक्कड़ ने कहा कि आपातकाल लगाकर कांग्रेस सरकार ने कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका सहित लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को बंधक बनाकर सत्ता के आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। प्रेस की स्वतंत्रता पर ऐसा हमला हुआ कि बड़े-बड़े अखबारों की बिजली काट दी गई, सेंसरशिप लगाई गई और पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया। कक्कड़ ने कहा कि 1975 में आपातकाल की घोषणा कोई राष्ट्रीय संकट का नतीजा नहीं थी, बल्कि यह एक डरी हुई प्रधानमंत्री की सत्ता बचाने की रणनीति थी, जिसे न्यायपालिका से मिली चुनौती से बौखला कर थोपा गया।
गार्गी कक्कड़ ने कहा कि आपातकाल के दौरान एक परिवार को संविधान से ऊपर रखने वाली कांग्रेस आज भी ’राहुल-प्रियंका’ के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है और सत्ता की चाबी अब भी सिर्फ खानदानी जेब में रखी जाती है। विपक्षी गठबंधन की बैठकें आज भी कांग्रेस अध्यक्ष के घर होती हैं और यह बताने के लिए काफी है कि ’तंत्र’ आज भी परिवार के चरणों में समर्पित है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों में जब भी गांधी परिवार पर जांच होती है, कांग्रेस ’लोकतंत्र खतरे में है’ का शोर मचाती है, याद कीजिए यही भाषा इंदिरा गांधी ने अदालत से अयोग्य घोषित होने के बाद अपनाई थी।
कांग्रेस में चेहरे बदले, लेकिन तानाशाही की प्रवृत्ति आज भी जस का तस है
भाजपा जिला अध्यक्ष सर्वप्रिय त्यागी ने कहा कि 1975 में आपातकाल लगाकर कांग्रेस ने लोकतंत्र की हत्या की थी। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने मीसा जैसे काले कानूनों के जरिए एक लाख से अधिक नागरिकों को बिना किसी मुकदमे के जेलों में ठूंस दिया, जिनमें जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और राजनाथ सिंह सहित तमाम वरिष्ठ विपक्षी नेता, पत्रकार तो शामिल थे ही, लेकिन कांग्रेस शासन ने छात्रों तक को जेल में सड़ने पर मजबूर कर दिया था। त्यागी ने कहा कि आपाताकाल के इस काले दौर में कांग्रेस ने न्यायपालिका पर कभी न भरने वाले घाव किए।
जब-जब कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया गया है, उसने न जनादेश का सम्मान किया है, न विपक्ष की गरिमा बनाए रखी है। वह आज भी लोकतंत्र को तभी मानती है जब कुर्सी उसके पास हो। आज कांग्रेस में चेहरे बदल गए हैं, लेकिन तानाशाही की प्रवृत्ति और सत्ता का लोभ जस का तस है। 50 वर्ष बाद आज आपातकाल को याद करना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि यह इतिहास की एक घटना मात्र नहीं बल्कि कांग्रेस की मानसिकता का प्रमाण भी है। कार्यक्रम के दौरान लोकतंत्र सेनानियों को भी सम्मानित किया गया।
गोष्ठी में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के अलावा प्रदेश सचिव गार्गी कक्कड़, विधायक मुकेश शर्मा, मेयर राजरानी मल्होत्रा, हरविंद कोहली, शैलेंद्र पांडे, जिला महामंत्री रामबीर भाटी, जिला उपाध्यक्ष अजीत यादव, जयवीर यादव, मनीष सैदपुर, हितेश भारद्वाज, महेश यादव, श्रीचंद गुप्ता, महावीर भारद्वाज सहित सभी लोकतंत्र सेनानी उपस्थित रहे।