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गुरुग्राम, 17 मार्च। वक्फ बिल के खिलाफ आज जंतर-मंतर पर होने वाले प्रदर्शन से गुरुग्राम के मुस्लिमों ने किनारा कर लिया है। गुरुग्राम-दिल्ली बॉर्डर पर गाड़ियां सामान्य दिनों की तरह गुजर रही हैं। यहां से कोई भी प्रदर्शनकारी दिल्ली की ओर जाता दिखाई नहीं दे रहा है। प्रदर्शन का आह्वान ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने किया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार वक्फ बिल के विरोध में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन का दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है। प्रदर्शन के आह्वान को देखते हुए यहां दिल्ली पुलिस चैकिंग की तैयारी करके आई थी, परंतु गुरुग्राम से सामान्य दिनों की तरह ट्रैफिक को आता देख कोई चैकिंग नहीं की जा रही है। गाड़ियां बिना किसी रूकावट के दिल्ली की तरफ बढ़ी जा रही हैं। मालूम हो कि दो मार्च को हुए गुरुग्राम निगम चुनाव में मुस्लिमों ने भाजपा प्रत्याशियों को समर्थन देने का ऐलान किया था। जिससे पहले से ही इस प्रदर्शन में गुरुग्राम के मुस्लिमों के शामिल ना होने का अंदाजा लगाया जा रहा था।
वक्फ संपत्ति की रक्षा के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने देश के सभी मुसलमानों से अपील की थी कि वे इस बिल के विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहुंचे। एआईएमपीएलबी ने कहा है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारत के मुसलमानों को आवाज देता है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पोस्टर जारी कर कहा है कि हम भारतीय मुसलमानों को यह अहसास है कि वक्फ संशोधन बिल अवकाफ को हड़पने की एक सोची समझी साजिश है, जिसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा वक्फ बिल के खिलाफ 13 मार्च को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया था। बोर्ड के प्रवक्ता एसक्यूआर इलियास ने बताया कि यह प्रदर्शन 13 मार्च को होना था, लेकिन होली की छुट्टियों के कारण इसे स्थगित कर दिया गया है और उस दिन संसद की बैठक भी नहीं होगी। उन्होंने यह भी बताया कि इस विरोध प्रदर्शन के लिए कई सांसदों को आमंत्रित किया गया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि यह मुसलमानों पर सीधा हमला है। बोर्ड के प्रवक्ता इलियास ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि संसद की संयुक्त समिति हमारे सुझावों पर विचार करेगी, लेकिन न तो हमारी राय पर विचार किया गया और न ही विपक्षी दलों द्वारा प्रस्तावित संशोधनों को शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने संसदीय पैनल द्वारा मांगे गए सुझावों पर ई-मेल के माध्यम से 3.6 करोड़ से अधिक प्रतिक्रियाएं उपलब्ध कराई हैं। आईएमपीबीएल का कहना है कि सरकार ये संशोधन हमारे ऊपर थोपना चाहती है।