
इस केस में मरीज की इससे पहले 2021 में बार-बार कंधा खिसकने की समस्या के इलाज के लिए बैंकार्ट सर्जरी की गई थी, लेकिन यह सर्जरी सफल नहीं रही।
जब कोई और इलाज काम नहीं आया, तो अमृता हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने डोनर से लिए गए एक एसेलुलर डर्मल मैट्रिक्स की मदद से मरीज का कंधा सही किया।
Bilkul Sateek News
नई दिल्ली, 2 अगस्त। फरीदाबाद (हरियाणा) के रहने वाले 28 साल के वासु बत्रा उत्तर भारत में ऐसे पहले मरीज बने जिनकी कंधे की सर्जरी ह्यूमन डर्मल एलोग्राफ्ट (एचडीए) पैच की मदद से की गई। यह इलाज आमतौर पर अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों में होता है। यह सर्जरी 5 जून को अमृता हॉस्पिटल फरीदाबाद में की गई। यह देश के इस क्षेत्र में पहली बार था जब फटी हुई रोटेटर कफ मांसपेशी की मरम्मत के लिए एचडीए पैच का इस्तेमाल किया गया, और यह पैच खासतौर पर इस मरीज के लिए भारत में मंगवाया गया था।
वासु बत्रा की 2021 में बार-बार कंधा खिसकने की समस्या के लिए बैंकार्ट सर्जरी हुई थी । लेकिन वह सर्जरी लंबे समय तक राहत नहीं दे पाई और समय के साथ उनकी हालत और बिगड़ गई। कंधा कमजोर और अस्थिर बना रहा, जिससे उन्हें बार-बार दर्द और कंधा खिसकने की परेशानी होती रही। इस कारण डॉक्टरों को एक और सटीक और एडवांस्ड सर्जरी करनी पड़ी। यह केस अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद के सीनियर ऑर्थोपेडिक और अपर लिंब सर्जन, डॉ. प्रियतर्शी अमित द्वारा संभाला गया।
डॉ. प्रियतर्शी अमित ने इस केस के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, “यह केस बहुत गंभीर था क्योंकि हड्डी और मांसपेशी दोनों को नुकसान पहुंचा था। चूँकि ज्वाइंट सॉकेट काफी फट चुका था और कंधे की मांसपेशी बुरी तरह घिस चुकी थी, इसलिए हमें ऐसा इलाज चाहिए था जो दोनों समस्याओं को सटीकता और मजबूती से ठीक कर सके। इसी वजह से हमने बोन ग्राफ्ट के साथ-साथ ह्यूमन डर्मल एलोग्राफ्ट पैच लगाने का फैसला किया।
डॉ. अमित विदेश में भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर चुके हैं। उन्होंने इसके बारे में आगे बताया, “ फटी हुई रोटेटर कफ मांसपेशी को ठीक करने के लिए हमने यह डर्मल पैच लगाया। इस तकनीक से हमें लंबे समय तक अच्छे परिणाम मिलने की उम्मीद थी और दोबारा मांसपेशी फटने का खतरा भी कम था।
इस केस में डॉक्टरों ने मरीज के कंधे की फटी हुई मांसपेशी को सहारा देने के लिए डोनर से मिली इंसानी त्वचा से बना एक पैच इस्तेमाल किया। इस पैच को “ह्यूमन डर्मल एलोग्राफ्ट” कहा जाता है। यह शरीर को प्राकृतिक सहारा देता है और ठीक होने की प्रक्रिया में मदद करता है। इसे कंधे के खराब हिस्से पर लगाया गया ताकि मरम्मत मजबूत हो सके और फिर से चोट लगने का खतरा कम हो जाए।
ह्यूमन डर्मल एलोग्राफ्ट पैच का इस्तेमाल उत्तर अमेरिका में काफी ज्यादा होता है। वहां हर साल लगभग 20000 सर्जरी होती हैं। लेकिन भारत में यह तकनीक अभी भी बहुत कम इस्तेमाल होती है, क्योंकि यहां नियमों और लॉजिस्टिकल (व्यवस्थाओं) से जुड़ी कई चुनौतियाँ हैं। अमेरिका में हुई स्टडीज के अनुसार, जिन मरीजों को यह पैच लगाया गया, उनमें कंधे की ताकत बेहतर पाई गई और मांसपेशी के दोबारा फटने की संभावना भी कम हो गई। जहां सामान्य सर्जरी में री-टियर (दुबारा फटने) की दर 26% होती है, वहीं पैच के इस्तेमाल से यह घटकर 10% रह जाती है।
वासु बत्रा के केस में यह पैच अमेरिका से अवाना मेडिकल डिवाइसेज के माध्यम से विशेष रूप से उनके लिए मंगवाया गया था।
अवाना मेडिकल डिवाइसेज प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर पी. सुंदरराजन ने कहा, “हम इस महत्वपूर्ण केस में समय पर और नियमानुसार डर्मल एलोग्राफ्ट उपलब्ध करवाकर सहयोग देने पर गर्व महसूस करते हैं। हमारा लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय मेडिकल तकनीकों को भारत तक पहुंचाना है, ताकि यहां के मरीजों को भी बिना देरी के विश्वस्तरीय इलाज मिल सके। हम हमेशा गर्व महसूस करते हैं जब भारत में नई तकनीकों को लाकर सर्जनों को अपने मरीजों का बेहतर इलाज करने में मदद कर पाते हैं।”
मरीज वासु बत्रा ने कहा, “लगातार दर्द के कारण रोजमर्रा के काम करना बहुत मुश्किल हो गया था। यहां तक कि हाथ उठाना या कपड़े पहनना भी दूभर हो गया था। पिछली सर्जरी के फेल होने के बाद मुझे लगने लगा था कि शायद मैं कभी पूरी तरह ठीक नहीं हो पाऊंगा या सामान्य जीवन नहीं जी पाऊंगा। लेकिन इस नई सर्जरी ने मुझे दोबारा उम्मीद दी है।
भारत में 40 साल से ऊपर के लोगों में करीब 20% कंधे की समस्याएं रोटेटर कफ इंजरी के कारण होती हैं, और हर साल हजारों लोगों को सर्जरी की जरूरत पड़ती है। हालांकि कई मरीजों को कमजोर टिश्यू क्वालिटी (ऊतकों की गुणवत्ता) या बार-बार सर्जरी के कारण दोबारा चोट लगने या पूरी तरह ठीक न होने की समस्या होती है।
बेहतर योजना और सटीक इलाज की वजह से वासु बत्रा को 24 घंटे के भीतर हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई और वे फिलहाल रिहैबिलिटेशन (पुनर्वास) प्रक्रिया से गुजर रहे हैं।
ह्यूमन एलोग्राफ्ट पैच के अलावा डॉ. प्रियतर्शी अमित के नेतृत्व में सर्जरी टीम ने भारत में कई अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा तकनीकों को भी अपनाया है। इनमें से एक तकनीक Arthrex Virtual Implant Positioning (VIP) सिस्टम है, जो सीटी स्कैन से बने 3D मॉडल की मदद से कंधे की रीविजन रिप्लेसमेंट सर्जरी की पहले से सटीक योजना बनाने में मदद करता है। जर्नल ऑफ शोल्डर एंड एल्बो सर्जरी के अनुसार, यह प्रक्रिया सर्जरी की सटीकता को 30% तक बेहतर बनाती है, खासकर ऐसे रीविजन केसों में जहां शरीर की बनावट विकृत हो चुकी होती है।