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फरीदाबाद (अजय वर्मा), 22 अक्टूबर। इस बार दिवाली पर ग्रीन पटाखे की आड़ में दूसरे बारूदी पटाखे देर रात तक जमकर चलाए गए जिसके चलते फरीदाबाद शहर का प्रदूषण खतरनाक स्तर पर देखा गया और दिवाली के अगले दिन लोगों को सूर्य के दर्शन तक नहीं हुए। डॉक्टर के अनुसार दिवाली के चलते बड़े प्रदूषण के कारण बच्चों और बुजुर्गों को भारी परेशानियों सामने आई और उनके पास प्रदूषण से पीड़ित मरीजों की भारी भीड़ लग गई। वहीं शहर की बुजुर्ग महिलाओं और बुद्धिजीवियों ने बताया कि पटाखों के प्रदूषण से वह घर से बाहर ही नहीं निकले और बच्चों और बुजुर्गों को घर में ही रखा। इसके बावजूद हृदय रोगी और दमा के मरीज और बच्चे बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।
बुजुर्ग महिला जस्वीर कौर ने बताया कि मुझे दो बार हार्ट अटैक की शिकायत हो चुकी है और धुएं से मुझे बहुत परेशानी होती है जिसके चलते मैं पिछले 10 दिन से घर से बाहर ही नहीं निकल रही हूं। उन्होंने कहा कि इस बार दिवाली पर सुबह 4 बजे तक पटाखे फोड़े गए, जिसकी वजह से उनकी सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
बुजुर्ग महिला सुरेश लता ने बताया कि इस बार दिवाली हालांकि बड़ी धूमधाम से मनाई गई है और पटाखों को लेकर दिए गए निर्देशों के बावजूद लोग पता नहीं कहां से तेज आवाज करने वाले और धुआं छोड़ने वाले पटाखे लेकर आए। जिसकी वजह से उन्हें तेज खांसी और सांस लेने में दिक्कत हो रही है। उन्होंने कहा कि इस प्रदूषण में एसी तक बेकार हो गए हैं, इसलिए वह चाहते हैं कि सरकार इस पर ध्यान दें।
बुजुर्ग महिला पूनम कुमार ने बताया कि इस बार दिवाली पर लोगों ने ग्रीन पटाखे की बजाय जमकर दूसरे पटाखे चलाए। पता नहीं लोग कहां से लेकर आए थे जिसके चलते खांसी जुकाम और सांस लेने में दिक्कतें हुई। जिसके चलते हमने घर के बुजुर्गों को घर के अंदर ही रखा और उन्हें बाहर नहीं जाने दिया।
एडवोकेट जीएसटी संदीप सेठी ने कहा कि इस बार प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंचा हुआ है, हालांकि सरकार ने ग्रीन पटाखे बजाने की इजाजत दी थी इसके बावजूद दिवाली की रात बम पटाखों से खूब प्रदूषण हुआ और अगली सुबह उन्हें सूर्य भी नजर नहीं आया और इसका खासतौर पर बुजुर्गों और बच्चों पर असर देखा गया और उन्हें सांस लेने में परेशानी हुई। उन्होंने कहा कि अस्थमा के मरीज तो अपने घरों के अंदर ही कैद होकर रह गए और लोगों को को प्यूरिफाई का सहारा लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि सरकार ने ग्रीन पटाखे बजाने की इजाजत दी थी, लेकिन इसकी आड़ में देर रात तक दूसरे पटाखे चलाए गए। जिसको लेकर वह समझते हैं कि कहीं ना कहीं सरकार की कुछ ना कुछ कमी रही है। पिछले दो-तीन साल से पूरी दुनिया देख रही है कि प्रदूषण के चलते बड़ी-बड़ी त्रादसिया हो रही हैं, इसलिए सरकार को खासकर एनसीआर के शहरों पर बंदिशें लगानी चाहिए।
स्थानीय निवासी अनुज मेहता ने कहा कि हम सभी को कानून के दायरे में रहकर सरकार की हिदायतों के अनुसार ही चलना चाहिए और सरकार की गाइडलाइन का पालन ना करना भी एक तरह से अपराध है। उन्होंने कहा कि हम नवग्रह की पूजा करते हैं और धरती भी एक ग्रह है, इसलिए लोगों को चाहिए कि वह एक लिमिट के अंदर ही त्योहार को मनाए और प्रदूषण ना फैलाएं।
दिवाली के बाद बढ़ते प्रदूषण पर फिजिशियन डॉ मुकुल गोस्वामी ने कहा कि इस बार दिवाली पर देररात तक हर तरह के पटाखे फोड़े गए जिसके चलते लोगों को छाती में कंजेशन होने की वजह से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा और खासकर बुजुर्गों और बच्चों को दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा। उन्होंने कहा कि बच्चों और बुजुर्गों को घर में ही रहना सुरक्षित होगा, क्योंकि इस समय प्रदूषण का लेवल काफी बढ़ चुका है इसलिए यदि किसी को बहुत जरूरी है तो वह घर से मास्क लगाकर निकले या फिर गीला रुमाल मुंह पर बांधकर निकले जिससे हवा में आर्टिकल रुमाल पर चिपक जाएंगे और शरीर के अंदर नहीं जा पाएंगे। उन्होंने कहा कि ग्रीन पटाखे की बात की गई है, लेकिन लोगों को यह नहीं मालूम कि ग्रीन पटाखा क्या होता है। लोगों ने दिवाली की आड़ में जमकर प्रदूषण फैलाया है जिसके चलते उनके पास मरीजों की संख्या बहुत बढ़ी है।



