बिजली बचाएं, ऊर्जा बचत ही ऊर्जा का उत्पादन है
Bilkul Sateek News
गुरुग्राम, 19 अक्टूबर। ऊर्जा समिति ने दीवाली के पावन त्यौहार की सभी को बधाई देते हुए परंपरा एवं पर्यावरण में संतुलन बनाने, बिजली बचाते हुए प्रदूषण रहित व स्वच्छ दीवाली मनाने की अपील की है।
ऊर्जा समिति के महासचिव संजय कुमार चुघ ने बताया कि वर्तमान में एयर क्वालिटी इंडेक्स प्रदूषित स्तर पर है। इसे देखते हुए, सभी पर्यावरण संतुलन के लिए धुआं व धमाका मुक्त, बमों व पटाखों से मुक्त दीवाली मनाएं। बिजली की बचत के लिए अपने घरों पर लगने वाली छोटी लाइटों का प्रयोग करें। सजावट के लिए 3, 6, 9 व 12 वाट की एलईडी व स्लिम लाइटों का इस्तेमाल करें और सोते समय वे भी बंद कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि ऊर्जा की बचत ही ऊर्जा का उत्पादन है इसीलिए बचत को साधन बना कर ऊर्जा की मांग व आपूर्ति में समन्वय स्थापित किया जा सकता है। 100, 200 और 500 वाट के बड़े बल्बों व फोकस लाइटों को लगाना जरूरी नहीं है।
उन्होंने बताया कि एयर क्वालिटी प्रदूषित होने से हवा जहरीली बन जाती है। बमों व पटाखों से त्यौहार मनाना कोई आवश्यक नहीं हैं। अपनी खुशी का इजहार तो मिठाई, उपहारों, रंगोली और मिट्टी के दीयों के साथ, दूसरों में खुशियां व प्यार बांटकर कर सकते हैं। त्यौहार का सही आनंद तो परंपरा और पर्यावरण में संतुलन रखते हुए स्वच्छ व प्रदूषण रहित वातावरण में ही आएगा। पर्यावरण संतुलन के मद्देनजर सभी ने मिलजुलकर हर प्राणी के स्वास्थ्य हित में कार्य करना है।
महासचिव ने सतर्क किया कि वायु प्रदूषण से स्किन और दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा रहता है। इसके अलावा डायबिटीज, अल्जाइमर और लगातार सिरदर्द हो सकता है। छोटे बच्चों के दिमागी विकास पर बुरा असर पड़ता है, उनकी मानसिक शक्ति कम होने लगती है। धुएं से दमा, ब्रोंकाइटिस जैसी अन्य अनेक बीमारियां पैदा होती है। पटाखे छोड़ने से प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है जोकि बहुत हानिकारक है। इससे आप और हम सब मिलकर ही छुटकारा पा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि दीवाली जैसे त्यौहारों के अवसर पर बिजली की बढ़ती मांग के मद्देनजर बचत करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। बड़ी-बड़ी व ज्यादा वाट की लाइटों का इस्तेमाल न करें, बिजली को नियंत्रित करके एवं समझदारी से इस्तेमाल करके हम अपने खर्च के साथ-साथ देशहित में बिजली खपत कम कर सकते हैं।



