
गुरुग्राम में उत्तराखंड पुलिस के सब-इंस्पेक्टर की मौत के बाद परिजनों से 35 लाख की वसूली
Bilkul Sateek News
गुरुग्राम/देहरादून, 14 मई। उत्तराखंड पुलिस में कार्यरत उप निरीक्षक प्रदीप नेगी जो पिथौरागढ़ जनपद की स्थायी अभिसूचना इकाई में नियुक्त थे का 12 मई की सुबह गुरुग्राम स्थित पारस हॉस्पिटल में इलाज के दौरान निधन हो गया। वे लीवर फेल्योर से पीड़ित थे और डॉक्टरों ने तत्काल लीवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी थी। परिवार ने इलाज में लापरवाही और पारस हॉस्पिटल द्वारा आर्थिक रूप से शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं।
जानकारी के अनुसार प्रदीप नेगी 17 अक्टूबर 2024 से पिथौरागढ़ में तैनात थे। स्वास्थ्य खराब होने पर उन्होंने 21 फरवरी 2025 से 10 दिनों का आकस्मिक अवकाश लिया। इसी दौरान उन्हें पीलिया की शिकायत हुई, जिसके बाद उन्होंने देहरादून के मैक्स हॉस्पिटल में उपचार कराया। जांच में लीवर फेल्योर की पुष्टि हुई और उन्हें 15 मार्च को पारस हॉस्पिटल ग्रुरुग्राम रेफर किया गया, जहां उनका इलाज चल रहा था।
मूल रूप से ग्राम रणस्वा, थाना सतपुली, जिला पौड़ी निवासी प्रदीप नेगी वर्ष 2001 में उत्तराखंड पुलिस में आरक्षी पद पर भर्ती हुए थे। वर्ष 2008 में रैंकर परीक्षा उत्तीर्ण कर उप निरीक्षक बने। वे एक कर्तव्यनिष्ठ और अनुशासित अधिकारी के रूप में पहचाने जाते थे। परिजनों के अनुसार, इलाज के नाम पर पहले ही पारस हॉस्पिटल गुरुग्राम में 22 लाख रुपये जमा कराए गए थे, लेकिन मृत्यु के बाद अस्पताल ने 45 लाख रुपये का बिल थमा दिया और कहा कि पूरा भुगतान होने पर ही लाश सौंपी जाएगी। किसी तरह परिजनों ने 13 लाख रुपये और जुटाए, जिसके बाद 35 लाख के कुल भुगतान पर लाश को सौंपा गया।
प्रदीप नेगी की साली विनीता रावत ने हरियाणा के मुख्यमंत्री और स्थानीय प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि हमने जीते जी उनके इलाज के लिए सब कुछ लुटा दिया। अब मरने के बाद भी चैन नहीं मिला। अस्पताल हमारी एक नहीं सुन रहा। अब तो जीने की उम्मीद भी खत्म हो चुकी है।
वहीं, मृतक प्रदीप नेगी के भाई दीपेंदर नेगी ने बताया कि, भाई के इलाज के लिए हमने पहले ही 22 लाख रुपये पारस अस्पताल में जमा कर दिए थे। इलाज के दौरान डॉक्टरों का पूरा सहयोग भी मिला, लेकिन जब प्रदीप की मौत हुई और अस्पताल ने 45 लाख रुपये का अंतिम बिल दिया, तो उसमें कई विसंगतियां थीं। प्रबंधन ने स्पष्ट रूप से कहा कि पूरे पैसे देने पर ही लाश को सौंपा जाएगा। इस दबाव में हमने किसी तरह 13 लाख रुपये और जमा किए, इस तरह कुल 35 लाख रुपये हम दे चुके हैं, तब जाकर लाश हमें सौंपी गई। हालांकि अस्पताल प्रबंधन अब भी कह रहा है कि बाकी की राशि बाद में जमा करानी होगी। इस घटना ने न सिर्फ स्वास्थ्य व्यवस्था, बल्कि निजी अस्पतालों की संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। नेगी परिवार ने हरियाणा सरकार और उत्तराखंड सरकार से न्याय की मांग की है।
परिजन 12 मई की देररात अस्पताल से शव को लेकर 13 मई को अल सुबह देहरादून पहुंचे। वहां पर रिश्तेदारों के आने के बाद वे शव को लेकर हरिद्वार गए और वहां पर उसका अंतिम संस्कार किया। शव का अंतिम संस्कार करने के बाद परिजन अपने गांव लौट गए और वहां पर बाकि बची रस्मों को पूरा कर रहे हैं।