रोहतक: हरियाणा के रोहतक में पुलिस को 15 साल से फरार एक हत्यारे को पकड़ने में कामयाबी मिली है। आरोपी ने बेटी से छेड़छाड़ के शक में एक युवक की हत्या कर दी थी। यह घटना 21 साल पहले की बताई जा रही है। न्यायालय से उसे हत्या का दोषी करार दे दिया गया था। लेकिन, 2009 में वो फरार हो गया था।
फरार चंद्रभान पर पांच हजार रुपये का ईनाम घोषित किया हुआ था। अब 15 साल बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है। वह यूपी के वाराणसी शहर में दलबीर सिंह के नाम से रह रहा था। परिवार से मोह नहीं छूटा और इसी गलती ने चंद्रभान को दोबारा सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
पुलिस के अनुसार अक्तूबर 2003 में जनता कॉलोनी निवासी चंद्रभान ने सिटी थाने में हत्या का मामला दर्ज किया। चंद्रभान का आरोप था कि पड़ोसी प्रमोद, समुंद्र व बालकिशन के साथ उसका झगड़ा था। पहले तो दोनों पक्षों में पंचायती तौर पर समझौता हो गया। इसके बावजूद आरोपियों ने उसके बेटे संजय की पीट-पीट कर हत्या कर दी।
साथ ही शव में आग लगा दी। पुलिस ने हत्या का केस दर्ज कर जांच की। इसी बीच 13वीं के बाद तुरंत बाद चंद्रभान का परिवार जनता कॉलोनी स्थित मकान को बेचकर भिवानी के जुई में जाकर रहने लगा। दूसरी तरफ पुलिस को जांच में पता चला कि संजय तो जिंदा है। दिसंबर 2003 में पुलिस ने संजय को काबू कर पूछताछ की तो हत्याकांड की असली कहानी खुलकर सामने आई।
पुलिस के मुताबिक जींद के गांव गतौली निवासी नरेंद्र जनता कॉलोनी में चंद्रभान के मकान के सामने फलों की रेहड़ी लगाता था। चंद्रभान को शक था की नरेंद्र उसकी बेटी से छेड़खानी करता है। इससे नाराज होकर चंद्रभान ने योजना के तहत नरेंद्र को अपने घर बुलाया। पत्नी व बेटे के साथ मिलकर नरेंद्र को दूध में नींद को गोलियां दे दी।
इसके बाद नरेंद्र की बेहोशी की हालत में बिजली की डोरी से गला घोंटकर हत्या कर दी। इसके बाद शव में आग लगा दी। बचने के लिए नरेंद्र के शव के बेटे संजय का शव बताकर पड़ोसियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करवा दिया। पुलिस ने हत्या के आरोप में चंद्रभान, उसकी पत्नी व बेटे संजय को गिरफ्तार किया। जिला अदालत ने तीनों को सजा सुनाई। चंद्रभान ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। साथ ही जमानत की अर्जी लगाई। हाईकोर्ट से चंद्रभान को जमानत मिल गई, लेकिन सजा के खिलाफ अपील खारिज हो गई।
इसके बाद चंद्रभान अपने दोस्त बिहार निवासी नरेंद्र के साथ यूपी के वाराणसी चला गया। दोनों वहां मजदूरी करने लगे। चंद्रभान ने अपना नाम दलबीर सिंह रख दिया। सजा पूरी करके चंद्रभान की पत्नी व बेटा संजय जेल से बाहर आ गए। जबकि चंद्रभान को अदालत ने भगोड़ा घोषित कर दिया। पुलिस ने उसके ऊपर पांच हजार रुपये का इनाम था।
पुलिस के मुताबिक चंद्रभान ने लंबे समय तक परिवार से संपर्क नहीं किया। छह माह पहले वह हरियाणा में आ गया। अब पत्नी के साथ भिवानी में रह रहा था। पुलिस ने दबिश देकर उसे रेवाड़ी से धर दबोचा। अदालत में पेश किया गया, जहां से न्यायिक हिरासत के चलते जेल भेज दिया गया।



