गुरुग्राम, 11 दिसंबर। Reconceive, Redefine, Recreate for an ingenious world “भाषा मानवीय संवाद की शांत संरचना है- जो विचारों को आकार देती है, संस्कृति को वहन करती है और समय के विस्तार में पुल बनाती है।”
ब्लू बेल्स मॉडल स्कूल ने जीपीएससी के तत्वावधान में आज “इंक एंड इमैजिनेशन” थीम पर आधारित ‘ला फेत द ला लांग – ए फेस्टिवल ऑफ लैंग्वेजेज’ के छठे संस्करण का आयोजन किया गया। इस उत्सव का उद्देश्य भाषाओं की गहराई, विविधता और सांस्कृतिक महत्त्व का उत्सव मनाना था, जो अभिव्यक्ति, विरासत और नवाचार के सशक्त माध्यम हैं।
समारोह की शुरुआत स्वर्गीय बी. डी. गुलाटी संस्थापक अध्यक्ष बीबीजीएस की स्मृति में दीप प्रज्वलन एवं एक प्रेरक गीत के साथ हुई। विद्यालय की प्राचार्या अलका सिंह ने भाषण देते हुए संप्रेषण को भाषा का अभिन्न अंग बताते हुए विद्यार्थियों को सार्थक अभिव्यक्ति के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. सरोज सुमन गुलाटी निदेशिका ब्लू बेल्स ग्रुप ऑफ स्कूल्स द्वारा किया गया। सौम्या गुलाटी एसोसिएट डायरेक्टर एकेडमिक डेवलपमेंट एंड इनोवेशन ब्लू बेल्स ग्रुप ऑफ स्कूल्स ने संप्रेषण, संवेदनशीलता और वैश्विक समझ के निर्माण में भाषा की बढ़ती प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

मुख्य अतिथि डॉ. सरोज सुमन गुलाटी ने भाषा को पहचान, रचनात्मकता और सामंजस्य को पोषित करने वाले माध्यम के रूप में रेखांकित किया। विविध विषयों से आए प्रतिष्ठित निर्णायक मंडल की उपस्थिति ने कार्यक्रम में गहनता जोड़ी। उन्होंने प्रतिभागियों का मार्गदर्शन करते हुए अपने अनुभव साझा किए।
इस उत्सव में एनसीआर के 26 विद्यालयों के लगभग 400 प्रतिभागियों ने पांच भाषाओं पर आधारित तेरह सावधानीपूर्वक तैयार की गई प्रतियोगिताओं में भाग लिया। विद्यालय के प्रतिभाशाली लेखकों को “वर्ड्स दैट मैटर” के अंतर्गत् इन-हाउस क्रिएटिव राइटिंग प्रतियोगिता में सम्मानित किया गया। वैलेडिक्टरी समारोह में निर्णायक मंडल की प्रतिक्रिया, कार्यक्रम की झलकियों की प्रस्तुति, एक मनमोहक नृत्य प्रदर्शन तथा भाषाओं के संगम ने आशा, उत्तरदायित्व और साझा प्रगति का संदेश दिया।
ओवरऑल विनर्स ट्रॉफी दिल्ली पब्लिक स्कूल सेक्टर 45 गुरुग्राम को प्रदान की गई, जबकि रनर-अप डीएवी पब्लिक स्कूल सेक्टर 14, गुरुग्राम रहा। समारोह का समापन भाषाओं की सुंदरता, समृद्धि और परिवर्तनकारी शक्ति के प्रति नए उत्साह और सम्मान के साथ हुआ, जिसने युवा शिक्षार्थियों को जिज्ञासा और आत्मविश्वास के साथ भाषाओं की दुनिया का अन्वेषण करने के लिए प्रेरित किया।



